जयपुर. शहर में 1933 से शुरू हुए पाइप लाइन से पानी सप्लाई का दौर आज भी बदस्तूर जारी है. कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो शहर के अधिकतर इलाकों में बीसलपुर का पानी पाइप लाइन से ही सप्लाई किया जा रहा है. बदलते समय और तकनीकी के चलते लीकेज में भी काफी कमी आई है और शहर में लगातार पुरानी पाइप लाइन बदलने का काम भी चल रहा है. इसके लिए जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग की ओर से समय-समय पर करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट में आते रहे हैं.
1902 में डैम कमीशन बनने के बाद रामगढ़ बांध के निर्माण का काम शुरू हुआ था और यह निर्माण 1933 तक चला. 1933 से ही जयपुर शहर में पाइप लाइन के जरिए ही घर-घर पानी पहुंचाने का दौर शुरू हुआ था. शुरुआत में चारदीवारी इलाके में पाइप लाइन से पानी सप्लाई शुरू की गई थी. इसके बाद 1975 में बाहरी इलाकों बनीपार्क, सी स्कीम और अंबाबाड़ी में नई योजना के तहत पाइप लाइन से पानी सप्लाई शुरू हुई.
शुरुआत में सीमेंटेड पाइप से पानी सप्लाई किया जाता था और इनका आकार भी अलग-अलग होता था. वर्तमान में पुराने सीमेंटेड पाइप की जगह डीआई (डकटाइल आयरन) पाइप से पानी पहुंचाया जा रहा है. डीआई पाइप सीमेंटेड पाइप से ज्यादा मजबूत होता है और इसकी लाइफ भी ज्यादा होती है. वर्तमान में अधिकतर इलाकों में डीआई पाइप के जरिए ही लोगों तक पानी पहुंचाया जा रहा है.
कई इलाकों में बदली पाइप लाइन-
परकोटे में कई ऐसे इलाके थे, जहां आए दिन लीकेज की समस्या सामने आती थी. इससे पानी का अपव्यय भी ज्यादा होता है. चारदीवारी क्षेत्र की बात की जाए तो यहां तोपखाना, तोपखाना हजूरी, चौकड़ी मोदीखाना, चौकड़ी विश्वेश्वर और घाट गेट इलाकों में पुरानी जर्जर पाइप लाइनों को बदल दिया गया है. यहां डीआई पाइप लाइन से पानी सप्लाई किया जा रहा है. जयपुर शहर में करीब 800 किलोमीटर पुरानी पाइप लाइन से पानी सप्लाई किया जाता था, लेकिन अब पीएचईडी विभाग की ओर से 200 किलोमीटर पाइप लाइन को बदल दिया गया है. रामगंज, पुरानी बस्ती, चांदपोल, शास्त्री नगर, जवाहर नगर, वीकेआई रोड ऐसे इलाके हैं, जहां अक्सर पाइप लाइन टूटने की समस्या सामने आती है.
अब कंक्रीट से बनाए जाते हैं सीवरेज के चैंबर-
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले सीवरेज के चैंबर पत्थरों से बनाए जाते थे. इन चैम्बरों में बनी गैस से प्लास्टर उखड़ जाते थे और इसके कारण पाइपलाइन में सीवरेज का पानी पहुंच जाता था. आए दिन विभाग को ऐसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता था. वर्तमान में सीवरेज कंक्रीट से बनाये जाते है और चैंबर मजबूत होते हैं. सीमेंटेड के चेंबर बनने से 50% लीकेज की संख्या में कमी आई है.
पानी का अपव्यय
जयपुर शहर में अधिकतर जगह पाइप लाइनों के जरिए ही पानी सप्लाई किया जा रहा है. वर्तमान में जलदाय विभाग जो पानी सप्लाई करता है, उसमें 25 फ़ीसदी अपव्यय हो जाता है. इसमें पानी चोरी के मामले भी शामिल है. विभाग की ओर से जिस पानी का मीटर गणना नहीं करते, उसकी मात्रा भी अपव्यय में गिना जाता है. विभाग के अनुसार पाइपलाइन लीकेज से 2% पानी अपव्यय होता है.
इन कारणों से होता है पाइप लाइन में लीकेज-
पीएचईडी विभाग के अधिकारियों के अनुसार पाइप लाइन में लीकेज होने से पानी का अपव्यय होता है. मानवीय गतिविधियों से पाइप लाइनों में लीकेज होता है. निर्माण कार्य करवाने, सड़कों पर गड्ढा खुदवाने, अलग अलग एजेंसियों के केबल डालने आदि से पाइप लाइनों में लीकेज ज्यादा होता है. इसके अलावा ट्रैफिक के दबाव के चलते भी पाइप लाइनों में लीकेज होता है. यह लीकेज पुरानी लाइनों में ज्यादा होता है.
अमृत जल योजना है उदाहरण
विभाग की ओर से पुरानी पाइप लाइनों का बदलने का काम लगातार चलता रहता है, चारदीवारी में अमृत जल योजना इसका उदाहरण है. इस योजना के जरिए पुरानी पाइप लाइनों को बदला जा रहा है. योजना के तहत 77 किलोमीटर की पाइप लाइन डालनी है और करीब 40 किलोमीटर पाइप लाइन डालने का काम पूरा हो चुका है. इस पर विभाग के 52 करोड़ रुपये खर्च होंगे और करीब सवा लाख लोगों को 24 घंटे पानी मिलेगा.
इस तरह पाइप लाइन बदलने पर हुआ खर्च
पीएचईडी विभाग की ओर से पेयजल प्रदूषित पाइप लाइन बदलने की योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं. विभाग की ओर से पाइप लाइन बदलने के लिए 2007 में फेज-1 में 23 करोड़, 2007 में फेज-2 में 57 करोड़, 2010 में 98 करोड और 2014 में 15 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इसके अलावा दिल्ली रोड पर स्थित बीसलपुर पेयजल सप्लाई से वंचित इलाकों के लिए भी 165 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है. इस योजना में 110 करोड़ रुपए केवल पाइप लाइन बिछाने पर ही खर्च किया जाएगा.
हैरिटेज के वार्ड 74 के मोहल्ला विकास समिति के अध्यक्ष महेश यादव ने बताया कि उनके वार्ड में 40 साल पुरानी पाइप लाइन बिछी हुई है, जो आज जर्जर हालात में है. कई पाइपलाइन ऐसी हैं, जो सीवरेज के चेंबर से निकल रही हैं और जब चैंबर ओवर फ्लो हो जाता है तो घरों में गंदा पानी आता है. यादव ने कहा कि हम अपने स्तर पर ही नगर निगम को शिकायत कर चेंबर साफ करवाते हैं और उसके बाद साफ पानी घरों तक पहुंचता है.
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पीएचईडी के कर्मचारी कई बार चैंबर में लीकेज हुई पाइपलाइन को रबड़ से बांधकर अस्थाई रूप से ठीक करते हैं. उन्होंने कहा कि मुख्य सड़क पर मुख्य पाइप लाइन बिछी हुई है, जहां से मोहल्लों में जाने वाली 100 मीटर पाइप लाइन विभाग नहीं बदल रहा, जिसके कारण यह समस्या बनी हुई है. कई बार विभाग के उच्च अधिकारियों को इस समस्या से अवगत भी कराया. स्थानीय विधायक अमीन कागजी के अनुशंसा के बाद भी विभाग पुरानी पाइप लाइन को बदलने को तैयार नहीं है.
वार्ड 72 के सुनील कुमार यादव ने बताया कि जब से जयपुर शहर की बसावट हुई, तभी से चारदीवारी क्षेत्र में पाइप लाइन बिछी हुई है और जब कभी पाइप लाइन जीर्ण शीर्ण अवस्था में होती है तो औपचारिकता पूरा कर उसे ठीक करवा दिया जाता है, लेकिन पाइप लाइन को बदला नहीं जाता. उन्होंने कहा कि विभागीय स्तर पर पाइपलाइन का रखरखाव नहीं किया जा रहा है.
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विभाग कागजी स्तर पर तो बड़ी-बड़ी योजना बनाता है, लेकिन धरातल पर उसको क्रियान्वित नहीं किया जाता. जब शिकायत करने पहुंचते हैं तो कर्मचारी और अधिकारी असमर्थता जता देते हैं. पाइप लाइन बदलने को लेकर विधायक, पीएचईडी के अधिकारियों को भी कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही और उसका नतीजा यह रहता है कि आम आदमी को पानी को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ता है.