जयपुर. शहर के जवाहर कला केन्द्र के रंगायन में शुक्रवार को तीन दिवसीय ‘विविधा’ की शुरुआत हुई. कलाकारों ने लोककथा शैली में कठपुतली और बैले नृत्य को संयोजित करते हुए दर्शकों के समक्ष रामायण को बेहद अनोखे अंदाज में पेश किया. भोपाल के रंगश्री लिटिल बैले ट्रूप की ओर से प्रस्तुत इस कठपुतली डांस ड्रामा में शास्त्रीय और लोक नृत्य के सांस्कृतिक संगम को मंच पर बखूबी प्रस्तुत किया गया.
इस दौरान कलाकारों ने कठपुतली बनकर सीता-राम विवाह के बाद अयोध्या आगमन से लेकर रावण वध तक की कथा की प्रस्तुत दी. चौकोर आकार के आकर्षक मुखौटों से ढ़के चेहरे, रंग-बिरंगे लुभावने कॉस्ट्यूम, चलने का अंदाज, संगीत की लयबद्धता ने बैले को और भी अधिक आकर्षक बना दिया.
संगीत नाटक अकादमी की ओर से ‘बैले ऑफ द सेंचुरी‘ जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित यह नाटक फ्रांस, पोलैंड, हॉलैंड सहित मेक्सिको में इंटरनेशनल फेस्टिवल अवार्डस भी प्राप्त कर चुका है. बता दें कि स्वर्गीय शांति वर्धन की कोरियोग्राफी और निर्देशन में इस नाटक का प्रथम शो मुंबई में 1953 में हुआ था.
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इस बीच तीन दिवसीय उत्सव ‘विविधा‘ के तहत शनिवार 2 नवम्बर को रंगायन में शाम ग्लोबल फ्यूजन कॉन्सर्ट ‘जोग जैज़’ का आयोजन होगा. इसके तहत में थिएटर, संगीत और सिने स्टोरी के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.