जयपुर. पिछले 10 साल में देश के 28 राज्यों में 38846.7 हेक्टेयर संरक्षित वन क्षेत्र में खनन गतिविधियों की अनुमति दी गईं है. यह जानकारी सांसद हनुमान बेनीवाल के एक सवाल के जवाब में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दी.
संसद में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के लिखित सवाल के जवाब में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बताया कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार के पूर्व अनुमोदन से संबंधित राज्य सरकारों की ओर से संरक्षित वन क्षेत्रों में खनन क्रिया कलापों की अनुमति दी जा सकती है और देश के 28 राज्यों में विगत 10 वर्षों में 38846.7 हेक्टेयर संरक्षित वन क्षेत्र में खनन गतिविधियों की अनुमति दी गई है.
सांसद ने अपने मूल सवाल में वन क्षेत्रों में खनन क्रियाकलापों पर प्रतिबंध से जुड़े विषय को उठाया था और इस पर चिंता भी जताई थी. सरकार ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के 4 अगस्त 2006 की रिट याचिका सिविल संख्या 202/ 1995 के अनुसार किसी राष्ट्रीय पार्क और वन्य जीव अभ्यारण्य के अंदर खनन की अनुमति प्रदान नहीं की जा सकती. वही विगत 10 वर्षों में 145.45 हेक्टेयर वन क्षेत्र में खनन गतिविधियों की अनुमति राजस्थान में दी गई.
बेनीवाल ने लोक सभा मे विदेश मंत्री के नाम एक पत्र विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को दिया, जिसमें उन्होंने बाड़मेर जिले के दलित युवक गेमराराम मेघवाल की पाकिस्तान से जल्द से जल्द वतन वापसी की मांग को दोहराया.
बता दें, सांसद ने गेमराराम मेघवाल की वतन वापसी को लेकर पूर्व में भी मांग उठाई थी, जिस पर इस्लामाबाद स्थित भारत के उच्चायोग ने पाकिस्तान की सरकार से इस सम्बन्ध में वार्ता की थी. सांसद ने कहा कि इस मामले को लेकर वो जल्द ही विदेश मंत्री से भी मुलाकात करेंगे.