जयपुर. एक ओर जनता को राज्य सरकार की 10 अहम योजनाओं से जोड़ने के लिए महंगाई राहत कैंप लगाए जा रहे हैं तो दूसरी ओर नाराज सरपंचों ने इन कैंपों से खुद को अलग कर लिया है. दरअसल, प्रदेशभर के सरपंच उनकी मांगे नहीं माने जाने से नाराज हैं. यही वजह है कि अब वो अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार के साथ ही धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. इसी कड़ी में सोमवार को प्रदेश में कई जगह सरपंचों की ओर से पंचायतों में तालाबंदी कर दी गई. अब क्योंकि प्रशासन की ओर से महंगाई राहत कैंप शुरू किया गया है तो ऐसे में जिन पंचायतों में सोमवार को तालाबंदी की गई थी, वहां प्रशासन ने ताले खुलवाए.
वहीं, चूरू की सुजानगढ़ विधानसभा की खुड़ी पंचायत समिति में भी कुछ ऐसे ही दृश्य देखने को मिले. यहां पंचायत समिति में कैंप की जगह तालाबंदी दिखाई दी. इसके बाद प्रशासन ने पुलिसकर्मियों को पंचायत भवन में लगे ताले को तोड़ने को कहा. हालांकि, काफी प्रयास के बाद जब ताला नहीं टूटा तो फिर ग्राइंडर कटर से ताले को काटा गया. बता दें कि सरपंचों ने अपनी मांगों को लेकर बचत राहत कैंपों का बहिष्कार किया है. जिसके चलते प्रदेशभर में सरपंच पंचायत समिति और उपखंड कार्यालयों पर धरने प्रदर्शन कर रहे हैं.
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सरपंचों ने राज्य की गहलोत सरकार के समक्ष 11 सूत्री मांगे रखी हैं. लेकिन सरपंचों का आरोप है कि सरकार गांव के विकास के चार हजार करोड़ रुपए का बजट रोके बैठी है. यहां तक की केंद्र से आए 1500 करोड़ रुपए भी जारी नहीं किए जा रहे हैं. यही कारण है कि सरपंच अपनी इस मांग समेत 11 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरपंचों का साफ कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.
बता दें कि 13 अप्रैल से सरपंच अलग-अलग तरीके से अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसमें ज्ञापन देने, धरने देने से लेकर तालाबंदी और अब महंगाई राहत कैंपों का बहिष्कार भी शुरू हो गया है.