जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने परिनिन्दा की सजा के आधार पर पुलिस निरीक्षक को उपाधीक्षक पद पर पदोन्नत नहीं करने पर प्रमुख गृह सचिव, डीजीपी और कार्मिक सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि पुलिस निरीक्षक को पात्र होने के बावजूद सिर्फ परिनिन्दा की सजा के आधार पर पदोन्नत क्यों नहीं किया गया है?. इसके साथ ही अदालत ने पुलिस निरीक्षक बाबूलाल रैगर को वर्ष 2022-23 की रिक्तियों पर उपाधीक्षक पद पर पदोन्नत करने के आदेश दिए हैं.
अदालत ने स्पष्ट किया है कि यह पदोन्नति याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश बाबूलाल रैगर की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में अधिवक्ता रमाकांत गौतम ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर तैनात है और पुलिस उपाधीक्षक पद पर पदोन्नत होने की सारी योग्यता रखता है. याचिकाकर्ता को अपने सेवाकाल के दौरान पूर्व में परिनिन्दा का दंड मिला था.
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विभाग ने परिनिंदा से दंडित होने के आधार पर वर्ष 2022-23 की रिक्तियों में उसे पुलिस उपाधीक्षक पद पर पदोन्नति देने से इनकार कर दिया और उससे जूनियर अधिकारियों को पदोन्नत कर वरिष्ठ बना दिया. याचिका में कहा गया कि वास्तव में परिनिन्दा दंड की श्रेणी में नहीं आती है, इसके तहत कर्मचारी के कार्य की भर्त्सना की जाती है. ऐसे में सभी तरह से पात्र होने के बावजूद महज परिनिंदा के आधार पर पदोन्नति से वंचित करना उसके अधिकारों का हनन है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट भी पूर्व में दिशा-निर्देश दे चुका है, इसलिए उसे उपाधीक्षक पद पर पदोन्नत किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को पदोन्नत करने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.