जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रिटायर होने के बीस साल बाद वेतन परिलाभ अदा करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ अदालत ने परिलाभ पर नौ फीसदी ब्याज अदा करने को कहा है. वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को अनावश्यक याचिका पेश करने के लिए मजबूर करने पर राज्य सरकार पर पचास हजार रुपए का हर्जाना लगाया है.
अदालत ने कहा है कि हर्जाना राशि की वसूली परिलाभ देने में देरी करने वाले अफसर से जा सकती है. जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश लक्ष्मी देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता या उसके पति को समय पर परिलाभ अदा नहीं किए. इसके चलते याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट आना पड़ा और नोटिस जारी होने के बाद बीस साल की देरी से विभाग ने परिलाभ अदा किए. राज्य सरकार के अधिकारियों के ऐसे रवैये की भर्तसना की जाती है.
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याचिका में अधिवक्ता सीपी शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पति परिवहन विभाग में कर्मचारी थे, जो वर्ष 2002 में रिटायर हुए थे. वहीं वर्ष 2003 में उनकी मौत हो गई. इस दौरान विभाग ने न तो उनको द्वितीय चयनीत वेतन और न ही पांचवें वेतन आयोग सहित अन्य परिलाभ अदा किए. इसके चलते याचिकाकर्ता को वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी. वहीं याचिका के लंबित रहने के दौरान वर्ष 2022 में विभाग ने बकाया परिलाभ याचिकाकर्ता को अदा किए. इसलिए उसे इस अवधि का ब्याज भी दिलाया जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने 17 साल की देरी से याचिका पेश की है और उसे समस्त परिलाभ अदा किए जा चुके हैं. इसलिए याचिका को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार पर हर्जाना लगाते हुए इस अवधि का ब्याज अदा करने को कहा है.