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एक तरफ सरकार का चिंतन, दूसरी तरफ सर्द मौसम में धरने को मजबूर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता - PROTEST OF ANGANWADI WORKERS

राजधानी जयपुर में तीन दिन से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कड़ाके की ठंड में धरना दे रही है, लेकिन सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही.

Anganwadi workers' protest continues in Jaipur
उदयपुर में महिला बाल विकास विभाग का चिंतन शिविर और जयपुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का धरना (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 11, 2025, 6:57 PM IST

जयपुर: एक तरफ उदयपुर में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिलाओं और प्रदेश के भविष्य बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और सशक्तिकरण के लिए चिंतन शिविर आयोजित किया जा रहे हैं. वहीं, दूसरी और इसी विभाग में काम करने वाली आगनबाड़ी कार्यकर्ता कड़ाके की सर्दी और बारिश में धरना देने को मजबूर है, लेकिन सरकार इनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही.

गांधी नगर स्थित महिला अधिकारिता विभाग कार्यालय के सामने शनिवार को सर्दी के साथ बारिश में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता धरने पर बैठी रही. ये धरना अखिल राजस्थान संयुक्त कर्मचारी महासंघ एकीकृत के बैनर तले दिया जा रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना था कि जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मान लेती, तब तक उनका धरना जारी रहेगा, फिर चाहे बारिश आए या सर्दी पड़े.

जयपुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का धरना. (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें: घटिया पोषाहार लेकर कलेक्ट्रेट पहुंची आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एडीएम से की शिकायत

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांग है कि उन्हें स्थायी किया जाए. साथ ही मानदेय में बढोतरी की जाए. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ अध्यक्ष मधुबाला ने कहा कि ऑनलाइन सिस्टम आने की वजह से उनका काम बढ़ चुका है और उनको खास प्रशिक्षण भी नहीं मिला है. प्रशासन उनको ऑफिस पोर्टल पर जानकारी देने को कहा रहा है, लेकिन इसका कभी प्रशिक्षण नहीं दिया गया. इसके चलते इस काम में उन्हें दूसरों की मदद लेनी पड़ रही है. उनसे सरकारी कर्मचारियों की तरह काम लिया जाता है, लेकिन अब तक नियमित नहीं किया जा रहा है, इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को तुरंत प्रभाव से नियमित किया जाए.

मानदेय बढ़ाया जाए: उन्होंने कहा कि उनका मानदेय मात्र ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. इस समय आंगनबाड़ी कर्मचारियों को 6000-9000 रुपए मासिक शुल्क मिलता है, जिसे बढ़ाकर 13 ​हजार तक किया जाए. संघ अध्यक्ष मधु बाला ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती तब धरना जारी रहेगा.

यह भी पढ़ें: महिला एवं बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक के पद बढ़ाए, अब 254 पदों पर होगी भर्ती

महासंघ ने दिया समर्थन: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के इस धरने को अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ ने भी समर्थन दिया है. महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि 2 अक्टूबर 1975 को आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना की गई थी. इसके बाद कई सरकारें स्थापित हुई, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के लिए कोई नीति निर्धारित नहीं की गई. इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से सरकारी कर्मचारियों की तरह काम लिया जाता है, लेकिन अब तक नियमित नहीं किया जा रहा है. ऐसे में उन्हें नियमित किए जाने की शीघ्र कार्यवाही की जाए. इसके साथ मानदेय संबंधी मांग को भी प्रमुखता के साथ पूरा किया जाए.

ये हैं प्रमुख मांगे: महासंघ ने मांग की कि विभाग में सुपरवाइजर के सारे पद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से ही भरे जाएं, अन्य विभाग में कनिष्ट लिपिक (सहायक) एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद भी 50% प्रतिशत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए आरक्षित रखे जाए. इसके साथ आंगनबाड़ी केंद्र को ही बालबाड़ी बनाया जाए और कार्यकर्ता को ही नर्सरी शिक्षक बनाया जाए. पोषाहार देते समय लाभार्थी को फेस रीडिंग के स्थान पर OTP व्यवस्था लागू की जाए. बजट में की गई घोषणा सेवानिवृत्ति पर 2 से 3 लाख की राशि देने की व्यवस्था शीघ्र लागू की जाए. साथ ही पेंशन व्यवस्था अति शीघ्र लागू की जाए.

जयपुर: एक तरफ उदयपुर में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिलाओं और प्रदेश के भविष्य बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और सशक्तिकरण के लिए चिंतन शिविर आयोजित किया जा रहे हैं. वहीं, दूसरी और इसी विभाग में काम करने वाली आगनबाड़ी कार्यकर्ता कड़ाके की सर्दी और बारिश में धरना देने को मजबूर है, लेकिन सरकार इनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही.

गांधी नगर स्थित महिला अधिकारिता विभाग कार्यालय के सामने शनिवार को सर्दी के साथ बारिश में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता धरने पर बैठी रही. ये धरना अखिल राजस्थान संयुक्त कर्मचारी महासंघ एकीकृत के बैनर तले दिया जा रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना था कि जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मान लेती, तब तक उनका धरना जारी रहेगा, फिर चाहे बारिश आए या सर्दी पड़े.

जयपुर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का धरना. (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें: घटिया पोषाहार लेकर कलेक्ट्रेट पहुंची आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एडीएम से की शिकायत

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांग है कि उन्हें स्थायी किया जाए. साथ ही मानदेय में बढोतरी की जाए. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ अध्यक्ष मधुबाला ने कहा कि ऑनलाइन सिस्टम आने की वजह से उनका काम बढ़ चुका है और उनको खास प्रशिक्षण भी नहीं मिला है. प्रशासन उनको ऑफिस पोर्टल पर जानकारी देने को कहा रहा है, लेकिन इसका कभी प्रशिक्षण नहीं दिया गया. इसके चलते इस काम में उन्हें दूसरों की मदद लेनी पड़ रही है. उनसे सरकारी कर्मचारियों की तरह काम लिया जाता है, लेकिन अब तक नियमित नहीं किया जा रहा है, इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को तुरंत प्रभाव से नियमित किया जाए.

मानदेय बढ़ाया जाए: उन्होंने कहा कि उनका मानदेय मात्र ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. इस समय आंगनबाड़ी कर्मचारियों को 6000-9000 रुपए मासिक शुल्क मिलता है, जिसे बढ़ाकर 13 ​हजार तक किया जाए. संघ अध्यक्ष मधु बाला ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती तब धरना जारी रहेगा.

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महासंघ ने दिया समर्थन: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के इस धरने को अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ ने भी समर्थन दिया है. महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि 2 अक्टूबर 1975 को आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना की गई थी. इसके बाद कई सरकारें स्थापित हुई, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के लिए कोई नीति निर्धारित नहीं की गई. इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से सरकारी कर्मचारियों की तरह काम लिया जाता है, लेकिन अब तक नियमित नहीं किया जा रहा है. ऐसे में उन्हें नियमित किए जाने की शीघ्र कार्यवाही की जाए. इसके साथ मानदेय संबंधी मांग को भी प्रमुखता के साथ पूरा किया जाए.

ये हैं प्रमुख मांगे: महासंघ ने मांग की कि विभाग में सुपरवाइजर के सारे पद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से ही भरे जाएं, अन्य विभाग में कनिष्ट लिपिक (सहायक) एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद भी 50% प्रतिशत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए आरक्षित रखे जाए. इसके साथ आंगनबाड़ी केंद्र को ही बालबाड़ी बनाया जाए और कार्यकर्ता को ही नर्सरी शिक्षक बनाया जाए. पोषाहार देते समय लाभार्थी को फेस रीडिंग के स्थान पर OTP व्यवस्था लागू की जाए. बजट में की गई घोषणा सेवानिवृत्ति पर 2 से 3 लाख की राशि देने की व्यवस्था शीघ्र लागू की जाए. साथ ही पेंशन व्यवस्था अति शीघ्र लागू की जाए.

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