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72 साल पहले भूमि की किस्म बदलने के प्रकरण में तृतीय पक्ष के अधिकार सृजित करने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने मालपुरा में भूमि की किस्म बदलने पर तृतीय पक्ष के अधिकार सृजित करने पर रोक लगाई, याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया.

Rajasthan High Court
भूमि की किस्म बदलने के प्रकरण में फैसला (ETV Bharat File Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 11, 2025, 8:32 PM IST

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने टोंक जिले के मालपुरा में 72 साल पहले भूमि की किस्म बदलकर उसे तलाई घोषित करने के मामले में तृतीय पक्ष के अधिकार सृजित करने पर रोक लगा दी है. यह आदेश जस्टिस अवनीश झिंगन की एकलपीठ ने मोहम्मद हुसैन शाह की याचिका पर दिया.

याचिका में अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की पैतृक भूमि मालपुरा में स्थित है. 1995 में सेटलमेंट अधिकारी ने इस भूमि की किस्म बदलकर उसे तलाई के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने मालपुरा एसडीओ के समक्ष अपनी दावेदारी प्रस्तुत की, जिसे एसडीओ ने 2008 में खारिज कर दिया.

इसे भी पढ़ें- रेरा ने आवंटियों को राहत दी, बिल्डर को अधूरी विला परियोजना के लिए पैसा लौटाने का दिया आदेश

याचिकाकर्ता ने एसडीओ के आदेश के खिलाफ अपील की, जिस पर राजस्व अपील अधिकारी ने एसडीओ के आदेश को निरस्त कर याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया. हालांकि, मालपुरा तहसीलदार ने राजस्व अपील अधिकारी (आरएए) के आदेश के खिलाफ राजस्व मंडल में अपील दायर की और मंडल ने आरएए के आदेश को निरस्त कर एसडीओ के आदेश को सही ठहराया.

इस फैसले से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसके पूर्वजों की भूमि को गलत तरीके से राजस्व रिकॉर्ड में चढ़ाया गया है, जबकि पहले यह भूमि उनके पूर्वजों के नाम पर दर्ज थी. इस मामले पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आदेश दिया कि भूमि पर किसी तृतीय पक्ष के अधिकार सृजित नहीं किए जाएं.

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने टोंक जिले के मालपुरा में 72 साल पहले भूमि की किस्म बदलकर उसे तलाई घोषित करने के मामले में तृतीय पक्ष के अधिकार सृजित करने पर रोक लगा दी है. यह आदेश जस्टिस अवनीश झिंगन की एकलपीठ ने मोहम्मद हुसैन शाह की याचिका पर दिया.

याचिका में अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की पैतृक भूमि मालपुरा में स्थित है. 1995 में सेटलमेंट अधिकारी ने इस भूमि की किस्म बदलकर उसे तलाई के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने मालपुरा एसडीओ के समक्ष अपनी दावेदारी प्रस्तुत की, जिसे एसडीओ ने 2008 में खारिज कर दिया.

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याचिकाकर्ता ने एसडीओ के आदेश के खिलाफ अपील की, जिस पर राजस्व अपील अधिकारी ने एसडीओ के आदेश को निरस्त कर याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया. हालांकि, मालपुरा तहसीलदार ने राजस्व अपील अधिकारी (आरएए) के आदेश के खिलाफ राजस्व मंडल में अपील दायर की और मंडल ने आरएए के आदेश को निरस्त कर एसडीओ के आदेश को सही ठहराया.

इस फैसले से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसके पूर्वजों की भूमि को गलत तरीके से राजस्व रिकॉर्ड में चढ़ाया गया है, जबकि पहले यह भूमि उनके पूर्वजों के नाम पर दर्ज थी. इस मामले पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आदेश दिया कि भूमि पर किसी तृतीय पक्ष के अधिकार सृजित नहीं किए जाएं.

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