कोटा : जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम में 300 में से 300 अंक लाकर परफेक्ट स्कोर बनाने वाले ओम प्रकाश बेहरा मूलतः ओडिशा के भुवनेश्वर के रहने वाले हैं, लेकिन बीते 3 सालों से कोटा में रहकर तैयारी कर रहे थे. उनकी सफलता में एक अहम भूमिका उनकी मां स्मिता रानी की भी है, जिन्होंने बेटे के लिए जॉब छोड़ दी. बता दें कि वे एजुकेशन सब्जेक्ट की लेक्चरर के पद पर कार्यरत थीं, लेकिन वो अपने बेटे के साथ रहने के लिए और उसे सपोर्ट करने के लिए कोटा आ गई.
टॉपर ओम प्रकाश का कहना है कि कोटा के बारे में एक परिचित ने बताया था, जो खुद भी कोटा में पढ़ रहे थे. उन्होंने गाइड किया कि कोटा में काफी सुविधा मिल जाएगी. कोटा में कई तरह से आपके लक्ष्य साधने में मदद मिलेगी. ओम का कहना है कि जब वो 10वीं में कोटा आया, तब नहीं सोचा था कि परफेक्ट स्कोर बनेगा. उस समय बस पढ़ाई करने के लिए कोटा आया था और केवल लक्ष्य था कि जेईई मेन और एडवांस्ड दोनों क्रैक करना है. अब जब जेईई मेन क्रैक हो गया है तो एडवांस्ड क्रैक कर आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस ब्रांच से बीटेक करना ओम का लक्ष्य है.
![ओडिशा के भुवनेश्वर के रहने वाले हैं ओम प्रकाश](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-02-2025/specialomprakashmadeperfectscoreinjeemainsacrificedhismotherbehindthescenesleftjobandhasbeenlivinginkotaforthreeyears_12022025090356_1202f_1739331236_405.jpg)
पढे़ं NTA ने जारी किया रिजल्ट, राजस्थान के पांच कैंडिडेट सहित 14 Candidates के आए 100 परसेंटाइल
कभी भी डाउट हो सॉल्यूशन हमेशा तैयार : ओम ने बताया कि उनकी मां उनके साथ ही आ गई थीं, ताकि बेटे को कोई प्रॉब्लम नहीं हो. पिता कमलकांत बेहरा ओडिशा के प्रशासनिक सेवा में हैं. उन्होंने भी बेटे के लिए अपना ट्रांसफर दिल्ली करवा लिया. कई सालों से वो दिल्ली में ही पोस्टेड हैं. उन्होंने बताया कि कोटा में काफी सुविधा है. फैकल्टी हर तरह से मदद करती है. कोई भी डाउट हो, कभी भी डिस्कशन की जरूरत हो, मैसेज कर देते हैं, वे हमारी मदद करते हैं. बाकी दोस्त भी इतनी मेहनत से पढ़ते हैं कि उन्हें पढ़ते हुए देखकर आपको भी मोटिवेशन आता है. यहां पर बुक, स्टेशनरी, स्टडी मटेरियल सब कुछ आसानी से उपलब्ध है. कोटा एक ऐसी जगह है, जहां पर पढ़ने आने वाले बच्चों को कभी निराशा नहीं होगी.
![जॉब छोड़ बेटे के साथ तीन साल से कोटा में रह रही मां](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-02-2025/specialomprakashmadeperfectscoreinjeemainsacrificedhismotherbehindthescenesleftjobandhasbeenlivinginkotaforthreeyears_12022025090356_1202f_1739331236_805.jpg)
बैडमिंटन खेला, नोवेल्स पढ़े, नहीं रखते हैं मोबाइल : ओम ने बताया कि वो रोजाना लगभग 8 से 9 घंटे सेल्फ स्टडी करते हैं. 10वीं में उनके 92 फीसदी आए थे. 12वीं बोर्ड की परीक्षा इस साल होने वाले हैं. उनका कहना है कि रिक्रिएशन के लिए बैडमिंटन खेलता था. ब्रेक चाहिए तो दोस्तों से बातें कर लेता था या फिर रिलैक्स कर लेता था. बाहर घूमने नहीं जाता. उन्होंने बताया कि उनके पास फोन नहीं है, क्योंकि इससे ध्यान भटकता है. उन्हें नोवल्स पढ़ना भी पसंद है. ओमप्रकाश का कहना है कि सुबह 8 बजे उठते थे और रात 12 बजे तक सो जाया करते थे. इस बीच वे पूरे टाइम खाने के अलावा केवल पढ़ाई ही करते रहते हैं.
![JEE MAIN में ओम प्रकाश ने बनाया परफेक्ट स्कोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12-02-2025/specialomprakashmadeperfectscoreinjeemainsacrificedhismotherbehindthescenesleftjobandhasbeenlivinginkotaforthreeyears_12022025090356_1202f_1739331236_105.jpg)
पढे़ं. कोटा के बदौलत इस बार राजस्थान टॉपर, पेपर पैटर्न के बदलाव से 100 परसेंटाइल भी कम हुए
टेस्ट के बाद सेल्फ एनालिसिस : ओम ने बताया कि टीचर्स और स्टडी मटेरियल परफेक्ट हैं. फैकल्टी को इन परीक्षाओं का बड़ा अनुभव है. जेईई मेन के लिए एनसीईआरटी सिलेबस पर फोकस किया. 'वीकली टेस्ट में मार्क्स का ग्राफ कम-ज्यादा होता रहता है, लेकिन मैं अपना बेस्ट देने की कोशिश करता हूं. हर टेस्ट के बाद सेल्फ एनालिसिस करता था और देखता था कि किन गलतियों की वजह से कम अंक आए हैं. अगले टेस्ट में कोशिश रहती थी कि उन गलतियों को नहीं दोहराया जाए. सक्सेस का यही मंत्र रहा है कि जो बीत गया है, मैं उस पर ध्यान देने की जगह आगे जो हो रहा है उसे पर ध्यान देता हूं.'