जयपुर: राजस्थान पुलिस मुख्यालय की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स ने नौकरी लगाने के नाम पर आदिवासी समाज के 35 लोगों से लाखों रुपए की ठगी करने वाले आरोपी को पकड़ने में सफलता हासिल की है. टीम ने प्रतापगढ़ के आदिवासी समुदाय के 35 लोगों को बांसवाड़ा बुला ट्रेनिंग के बाद गार्ड और सुपरवाइजर की नौकरी लगाने का झांसा देकर लाखों रुपए की ठगी करने के मामले में डीग निवासी 10000 रुपए के इनामी सियाराम गुर्जर को पकड़कर अग्रिम कार्रवाई के लिए बांसवाड़ा की कोतवाली थाना पुलिस को सौंप दिया गया है. आरोपी करीब 6 साल से फरार चल रहा था.
एडीजी एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स दिनेश एमएन के मुताबिक विभिन्न आपराधिक मुकदमा में वांछित अपराधियों, गैंगस्टर, तस्करों के बारे में आसूचना संकलन और धरपकड़ के लिए डीआईजी योगेश यादव और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्धांत शर्मा के सुपरविजन में एजीटीएफ की विभिन्न टीमें अलग-अलग शहरों में रवाना की गई हैं. 20 मई, 2019 को बालाजी सिक्योरिटी सर्विस ट्रेनिंग सेंटर, शाखा प्रताप सर्कल बांसवाड़ा के कर्मी जगराम और सियाराम के विरुद्ध थाना पीपलखूंट और घण्टाली निवासी आदिवासी समाज के 35 लोगों की ओर से थाना कोतवाली बांसवाड़ा में रिपोर्ट दी गई थी कि जल स्वावलंबन योजना के अंतर्गत लगी हुई पानी की टंकी और पाइपलाइन की सुरक्षा के लिए गार्ड और सुपरवाइजर पद पर प्रशिक्षण के बाद नियुक्ति देने की कह कर सिक्योरिटी राशि के रूप में लाखों रुपए ले लिए गए. उसके बाद ना तो आरोपियों ने नौकरी दी, ना पैसे लौटाए.
इस मामले में फरार आरोपी सियाराम गुर्जर के विरुद्ध बांसवाड़ा कोर्ट से स्थाई गिरफ्तारी वारंट भी जारी है. जिसकी गिरफ्तारी के लिए एसपी बांसवाड़ा की ओर से 10 हजार रुपए के इनाम की घोषणा की गई थी. एजीटीएफ के उप निरीक्षक सुभाष सिंह के नेतृत्व में एएसआई शैलेंद्र शर्मा, हैड कांस्टेबल मदनलाल, अरुण कुमार, कांस्टेबल श्रवण और बृजेश कुमार की टीम को भरतपुर की ओर भेजा गया था. टीम को सूचना मिली कि बांसवाड़ा जिले का इनामी दिल्ली और गुड़गांव इलाके में फरारी काट रहा है, जो अभी 10 दिन पहले ही अपने गांव लौटा है.
सूचना पर एजीटीएफ ने एसपी डीग राजेश मीणा के समन्वय और एसएचओ खोह विशंभर सिंह के सहयोग से निगोई गांव दबिश देकर आरोपी सियाराम गुर्जर को डिटेन किया, जिसे अग्रिम कार्रवाई के लिए थाना कोतवाली जिला बांसवाड़ा से आए हैड कांस्टेबल पृथ्वीपाल सिंह की टीम के सुपुर्द किया गया.