जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा भर्ती के अनुचित साधनों की रोकथाम के अधयुपाध्यय (संशोधन) विधेयक पास हो गया. इसमें 2022 में पास किए गए कानून में जो सजा 5 साल की थी, उसे 10 साल और 10 साल की सजा को बढ़ाकर उम्र कैद कर दिया गया है. इसके साथ ही सरकार ने पेपर लीक में शामिल लोगों पर कठोर कार्रवाई करने के उद्देश्य से जुर्माने का प्रावधान भी बढ़ाया है.
पहले इस बिल में कम से कम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान था, जिसे अब बढ़ाकर 10 लाख कर दिया गया है. वहीं अधिकतम जुर्माने का प्रावधान जो पहले एक करोड़ का था, उसे अब बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया गया है. विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने राजस्थान में पेपर लीक को लेकर जमकर कटाक्ष किए. संयम लोढ़ा ने कहा कि हमारी भर्ती बोर्ड के सिस्टम को गैंगरीन हो गया है. पेपर लीक मामले में हमारी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े हुए हैं. जनता हमे रुखसत करते देर नहीं लगाएगी. ऐसे में सरकार को कार्रवाई कर दूध का दूध और पानी का पानी करने की जरूरत है, तभी सजा बढ़ाने का मतलब रहेगा. अगर मुख्य अपराधियों को बचाते रहे तो कितनी भी सजा बढ़ा दो राजस्थान के नौजवान को उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. संयम लोढ़ा ने आरपीएससी के मेंबर के चयन में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की कमेटी से ही चयन करवाने की बात कही.
ओएमआर शीट किसने निकाला? : उन्होंने कहा कि कर्मचारी भर्ती बोर्ड का पेपर आउट हुआ, एसओजी ने माना कि पर्चा आउट हुआ तो वापस भर्ती बोर्ड क्या पूछ रहा है? कितने लोगों को पर्चा भेजा गया ? संयम लोढ़ा ने कहा कि जब सोशल मीडिया पर एक बार आ गया तो कितने भी लोगों को गया इससे क्या फर्क पड़ता है. संयम लोढ़ा ने कहा कि कुछ दिन पहले हुए गोपाल केसावत की गिरफ्तारी पर उन्होंने कहा कि ओएमआर शीट बाहर कैसे ओर कहां से आ गई, जबकि आरपीएससी के हर पेपर का एक मेंबर इंचार्ज होता है. ओएमआर शीट निकालने में कौन जिम्मेदार है?
सरकार अपना दामन साफ रखें : संयम लोढ़ा ने कहा कि मैंने 5 महीने पहले भी यही बात उठाई थी कि आरपीएससी का पेपर आरपीएससी से निकला है और बाद में आरपीएससी का मेंबर पकड़ा गया. अगर आरपीएससी के लोग उसमें इंवॉल्व नहीं होते तो ओएमआर शीट बाहर कैसे आती? उन्होंने आरपीएससी चेयरमैन को लेकर कहा कि जब ओएमआर शीट गायब हुई तो आरपीएससी के चेयरमैन ने मुकदमा क्यों नहीं करवाया. सरकार से विनती है कि अपना दामन साफ रखें. जब परिवादी ने किसी सदस्य का नाम जाहिर किया है तो एसीबी के डीजी सफाई देने लगे. इस मामले में सफाई देने की जरूरत क्या थी, ऐसे अनेक सवाल राजस्थान की जनता के मन में खड़े हो रहे हैं.