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राजस्थान में नए जिलों की सौगात के बीच इन क्षेत्रों को मिली निराशा, बीजेपी बोली- जनमत के दवाब में लिया फैसला

राजस्थान में नए जिलों की सौगात के बीच कई क्षेत्रों को निराशा भी मिली और वहां के लोगों की मांगें पूरी नहीं हुईं. गहलोत सरकार के फैसले को बीजेपी ने जनमत के दवाब में लिया गया फैसला बताया. जानिए किसकी रही मांग अधूरी.

CM Ashok Gehlot
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Published : Mar 17, 2023, 8:51 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी साल में 3 संभाग और 19 नए जिले बनाने की घोषणा कर एक बड़ा दांव खेला है. पक्ष और विपक्ष के विधायकों की मांग के अनुसार अनुमान से ज्यादा जिले और संभागों की घोषणा हुई है. हालांकि, इस घोषणा के बाद भी कई क्षेत्र रह गए, जो लंबे समय से सरकार से जिला बनाने की मांग कर रहे थे. लेकिन उन्हें आज भी निराशा हाथ लगी है. वहीं, बीजेपी ने नए जिलों की घोषणा को जनमत के दबाव में लिया निणर्य करार दिया.

बीजेपी ने कहा- जनमत के दबाव में लिया निर्णय : नए जिलों की घोषणा के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने बयान जारी किया है. पूनिया ने कहा कि राजस्थान भौगोलिक रूप से बड़ा प्रदेश है. सबसे पहले नए जिले बनाने की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भैरोंसिंह शेखावत ने हनुमानगढ़ और प्रतापगढ़ को जिला बनाकर की थी. अब कांग्रेस सरकार को जनमत के दबाव में यह फैसला लेना पड़ा.

2008 के बाद अब हुई जिलों की घोषणा : राजस्थान में 35 साल में राजस्थान की आबादी 3.43 करोड़ से बढ़कर 7.95 करोड़ के करीब हो गई, यानी दोगुनी से भी ज्यादा आबादी बढ़ी तो कसबे शहरों में तब्दील हो गए. जिसके बाद कई सालों से इन शहरों को जिला बनाने की मांग भी उठती रही, लेकिन अब तक राज्य में जिलों की संख्या में सिर्फ 7 का इजाफा हुआ. 1981 में राजस्थान में 26 जिले थे, जो आज से पहले तक 33 थे. प्रदेश में 2008 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने प्रतापगढ़ जिला बनाया था, उसके बाद से राज्य में कोई नया जिला नहीं बना था.

पढ़ें : Rathore targets CM Gehlot: राठौड़ ने सीएम को घेरा, कहा-प्रदेश की अर्थव्यवस्था बीमार, आईसीयू की ओर जा रही

60 से अधिक आये थे प्रस्ताव : क्षेत्रफल के लिहाज से देश के सबसे बड़े इस राज्य में नए जिलों की मांग उठना लाजिमी है. राजस्थान के मौजूदा 33 में से 25 जिलों की 60 तहसीलें ऐसी थीं, जहां से जिले के दर्जे की मांग उठ रही थी. जयपुर, अलवर, श्रीगंगानगर और सीकर में सबसे ज्यादा 4 तहसीलों से नए जिले की मांग उठी है. जबकि अजमेर, उदयपुर, पाली और नागौर से 3-3 तहसीलें जिले का दर्जा चाहती थी. नए जिलों के गठन को लेकर लगातार उठ रही मांग के बीच गहलोत सरकार ने पूर्व आईएएस राम लुभाया की अध्यक्षता में 5 मई 2022 उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई. कमेटी की सिफारिश पर संभाग और जिलों की घोषणा भी हुई, लेकिन अभी कई शहर ऐसे हैं जो लम्बे समय से मांग कर रहे थे और उन्हें शुक्रवार को भी निराशा हाथ लगी. कमेटी के पास करीब 60 से अधिक जिलों के प्रस्तावों आए थे, जिसमें से 19 जिलों की घोषणा हुई.

इनकी रही ख्वाहिश अधूरी : जयपुर के सांभरलेक, शाहपुरा, फुलेरा, विराटनगर, सीकर के फतेहपुर शेखावाटी, श्रीमाधोपुर, खंडेला, झुंझुनू का उदयपुरवाटी, अलवर के खैरथल, भिवाड़ी, नीमराणा, बाड़मेर का गुडामालानी, जैसलमेर का पोकरण, अजमेर का मदनगंज-किशनगढ़, नागौर के मकराना, मेड़ता सिटी, चूरू के सुजानगढ़, रतनगढ़, सुजला क्षेत्र सुजानगढ़, जसवंतगढ़ और लाडनूं क्षेत्र को मिलाकर सुजला के नाम से जिला, श्रीगंगानगर के सूरतगढ़, घड़साना, श्री विजयनगर, हनुमानगढ़ से नोहर, भादरा, बीकानेर का नोखा, कोटा का रामगंज मंडी, बारां का छाबड़ा, झालावाड़ का भवानीमंडी, भरतपुर का बयाना, कामां और नगर को जिला बनाने की मांग की जा रही थी. लेकिन यहां के लोगों की यह हसरत पूरी नहीं हो पाई है.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी साल में 3 संभाग और 19 नए जिले बनाने की घोषणा कर एक बड़ा दांव खेला है. पक्ष और विपक्ष के विधायकों की मांग के अनुसार अनुमान से ज्यादा जिले और संभागों की घोषणा हुई है. हालांकि, इस घोषणा के बाद भी कई क्षेत्र रह गए, जो लंबे समय से सरकार से जिला बनाने की मांग कर रहे थे. लेकिन उन्हें आज भी निराशा हाथ लगी है. वहीं, बीजेपी ने नए जिलों की घोषणा को जनमत के दबाव में लिया निणर्य करार दिया.

बीजेपी ने कहा- जनमत के दबाव में लिया निर्णय : नए जिलों की घोषणा के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने बयान जारी किया है. पूनिया ने कहा कि राजस्थान भौगोलिक रूप से बड़ा प्रदेश है. सबसे पहले नए जिले बनाने की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भैरोंसिंह शेखावत ने हनुमानगढ़ और प्रतापगढ़ को जिला बनाकर की थी. अब कांग्रेस सरकार को जनमत के दबाव में यह फैसला लेना पड़ा.

2008 के बाद अब हुई जिलों की घोषणा : राजस्थान में 35 साल में राजस्थान की आबादी 3.43 करोड़ से बढ़कर 7.95 करोड़ के करीब हो गई, यानी दोगुनी से भी ज्यादा आबादी बढ़ी तो कसबे शहरों में तब्दील हो गए. जिसके बाद कई सालों से इन शहरों को जिला बनाने की मांग भी उठती रही, लेकिन अब तक राज्य में जिलों की संख्या में सिर्फ 7 का इजाफा हुआ. 1981 में राजस्थान में 26 जिले थे, जो आज से पहले तक 33 थे. प्रदेश में 2008 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने प्रतापगढ़ जिला बनाया था, उसके बाद से राज्य में कोई नया जिला नहीं बना था.

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60 से अधिक आये थे प्रस्ताव : क्षेत्रफल के लिहाज से देश के सबसे बड़े इस राज्य में नए जिलों की मांग उठना लाजिमी है. राजस्थान के मौजूदा 33 में से 25 जिलों की 60 तहसीलें ऐसी थीं, जहां से जिले के दर्जे की मांग उठ रही थी. जयपुर, अलवर, श्रीगंगानगर और सीकर में सबसे ज्यादा 4 तहसीलों से नए जिले की मांग उठी है. जबकि अजमेर, उदयपुर, पाली और नागौर से 3-3 तहसीलें जिले का दर्जा चाहती थी. नए जिलों के गठन को लेकर लगातार उठ रही मांग के बीच गहलोत सरकार ने पूर्व आईएएस राम लुभाया की अध्यक्षता में 5 मई 2022 उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई. कमेटी की सिफारिश पर संभाग और जिलों की घोषणा भी हुई, लेकिन अभी कई शहर ऐसे हैं जो लम्बे समय से मांग कर रहे थे और उन्हें शुक्रवार को भी निराशा हाथ लगी. कमेटी के पास करीब 60 से अधिक जिलों के प्रस्तावों आए थे, जिसमें से 19 जिलों की घोषणा हुई.

इनकी रही ख्वाहिश अधूरी : जयपुर के सांभरलेक, शाहपुरा, फुलेरा, विराटनगर, सीकर के फतेहपुर शेखावाटी, श्रीमाधोपुर, खंडेला, झुंझुनू का उदयपुरवाटी, अलवर के खैरथल, भिवाड़ी, नीमराणा, बाड़मेर का गुडामालानी, जैसलमेर का पोकरण, अजमेर का मदनगंज-किशनगढ़, नागौर के मकराना, मेड़ता सिटी, चूरू के सुजानगढ़, रतनगढ़, सुजला क्षेत्र सुजानगढ़, जसवंतगढ़ और लाडनूं क्षेत्र को मिलाकर सुजला के नाम से जिला, श्रीगंगानगर के सूरतगढ़, घड़साना, श्री विजयनगर, हनुमानगढ़ से नोहर, भादरा, बीकानेर का नोखा, कोटा का रामगंज मंडी, बारां का छाबड़ा, झालावाड़ का भवानीमंडी, भरतपुर का बयाना, कामां और नगर को जिला बनाने की मांग की जा रही थी. लेकिन यहां के लोगों की यह हसरत पूरी नहीं हो पाई है.

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