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JLF 2023: फेस्टिवल का चौथा दिन रहा इतिहास, साहित्य और समाज के नाम

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे दिन रविवार को भारतीय और पश्चिमी संगीतकारों के बैंड ने अपने सुरों का जादू बिखेरा. आज फेस्टिवल में विवेकानंद के ज्ञान, जाति प्रथा के दंश और कला के विविध रूपों पर बात हुई.

Jaipur Literature Festival  2023
JLF 2023: फेस्टिवल का चौथा दिन रहा इतिहास के नाम
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Published : Jan 22, 2023, 8:34 PM IST

जयपुर. जेएलएफ में 'कास्ट मैटर' सत्र ने श्रोताओं को समाज की वास्तविकता से रूबरू कराया. सत्र सूरज येंग्ड़े की किताब 'कास्ट मैटर' पर आधारित था, जिसमें वरिष्ठ अकादमिक सुरेंदर एस जोधका ने उनसे बात की. सत्र की शुरुआत करते हुए जोधका ने भारत में जातिवाद के इतिहास पर रोशनी डालते हुए कहा, भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं, लेकिन आज जाति के बारे में जो बात हो रही है वो 70 और 80 के दशक से अलग है. उन्होंने मंडल मिशन के जरिए ओबीसी और दलितों के संघर्ष को व्यक्त किया. लंबे समय तक जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाने वाले लेखक और विचारक सूरज येंग्ड़े ने विजय सिंह पथिक समेत उन सभी विचारकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस दिशा में काफी काम किया.

जातिवाद कुछ के लिए गर्व, कुछ के लिए शर्मिंदगी: उन्होंने जातिवाद की जमीनी हकीकत के बारे में कहा, कुछ लोगों के लिए ये गर्व की बात है. लेकिन अधिकांश लोगों के लिए शर्मिंदगी है. ये शर्मिंदगी ही उन्हें हिंसा के लिए मजबूर करती है. वो इस नए रिपब्लिक का हिस्सा नहीं बन पाते. हालांकि, उन्होंने माना कि भारत की प्रत्येक विचारधारा ने जाति प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, फिर वो चाहे बौद्ध हो, नाथपंथी, कबीरदास या तुलसीदास.

लेखिका रोहिणी निलेकनी ने क्या कहा जानिए: समाज, सरकार, बाजार सत्र में लेखिका रोहिणी निलेकनी ने बताया कि नागरिकों को इसके प्रति क्या नजरिया रखना चाहिए. सत्र में रोहिणी से लेखक वीर सांघवी ने बातचीत किया. उन्होंने कहा, उनका पालन-पोषण मुंबई के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ और सादगी से जीने वाले उनके परिवार में संसाधनों को वरीयता दी जाती थी. इंफोसिस और उसके बाद के बदलावों के बारे में उन्होंने कहा कि पैसा आने के बाद जिम्मेदारियों का एहसास हुआ. लेखिका रोहिणी ने आगे बताया कि इसके बाद उन्होंने छोटे-छोटे बदलावों की तरफ ध्यान दिया जैसे रोड सेफ्टी और साफ पानी.

पढ़ें: JLF 2023: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मुगल टेंट पर विवाद, शिक्षामंत्री ने कहा- विपक्ष को उनकी सोच मुबारक

अमेरिकी इतिहासकार ने बताया विवेकानंद का प्रभाव: एक अन्य सत्र गुरु टू द वर्ल्ड में अमेरिकी इतिहासकार रुथ हैरिस ने पश्चिम पर पड़े विवेकानंद के प्रभाव को बताया. रुथ की किताब गुरु टू द वर्ल्ड: द लाइफ एंड लीगेसी ऑफ विवेकानंद पर आधारित था. सत्र शुरू करते हुए भारतीय इतिहासकार हिंडोल सेनगुप्ता ने कहा, विवेकानंद के बारे में जितना भी कहा जाए उतना कम है. रुथ ने कहा कि लगभग एक ही समय में भारत से स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी पश्चिम गए और अपने कार्यों से वहां के मन-मस्तिष्क को हिला दिया. उन्होंने कहा कि वो पश्चिमी लोगों पर भारतीय विचारों के प्रभाव से हैरान हैं. स्वामी विवेकानंद ने पश्चिमी लोगों को आध्यात्मिकता का नया अर्थ समझाया.

गणेश पोल में हेरिटेज इवनिंग का आयोजन: फेस्टिवल के चौथे दिन आमेर फोर्ट जयपुर के गणेश पोल में हेरिटेज इवनिंग का आयोजन किया गया. इतिहास और संस्कृति के मिश्रण का गवाह बनी ये शाम श्रोताओं के लिए एक शानदार अनुभव रहा. वहीं, नृत्यग्राम और चित्रसेना डांसर्स ने आहुति नामक प्रस्तुति में ओडिसी और कांडियन नृत्य पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. इससे पहले शेयर्ड ड्रीम्स के हरप्रीत और जॉर्ज ब्रुक्स ने अपनी शायरी और संगीत से शाम को सजाया.

जयपुर. जेएलएफ में 'कास्ट मैटर' सत्र ने श्रोताओं को समाज की वास्तविकता से रूबरू कराया. सत्र सूरज येंग्ड़े की किताब 'कास्ट मैटर' पर आधारित था, जिसमें वरिष्ठ अकादमिक सुरेंदर एस जोधका ने उनसे बात की. सत्र की शुरुआत करते हुए जोधका ने भारत में जातिवाद के इतिहास पर रोशनी डालते हुए कहा, भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं, लेकिन आज जाति के बारे में जो बात हो रही है वो 70 और 80 के दशक से अलग है. उन्होंने मंडल मिशन के जरिए ओबीसी और दलितों के संघर्ष को व्यक्त किया. लंबे समय तक जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाने वाले लेखक और विचारक सूरज येंग्ड़े ने विजय सिंह पथिक समेत उन सभी विचारकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस दिशा में काफी काम किया.

जातिवाद कुछ के लिए गर्व, कुछ के लिए शर्मिंदगी: उन्होंने जातिवाद की जमीनी हकीकत के बारे में कहा, कुछ लोगों के लिए ये गर्व की बात है. लेकिन अधिकांश लोगों के लिए शर्मिंदगी है. ये शर्मिंदगी ही उन्हें हिंसा के लिए मजबूर करती है. वो इस नए रिपब्लिक का हिस्सा नहीं बन पाते. हालांकि, उन्होंने माना कि भारत की प्रत्येक विचारधारा ने जाति प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, फिर वो चाहे बौद्ध हो, नाथपंथी, कबीरदास या तुलसीदास.

लेखिका रोहिणी निलेकनी ने क्या कहा जानिए: समाज, सरकार, बाजार सत्र में लेखिका रोहिणी निलेकनी ने बताया कि नागरिकों को इसके प्रति क्या नजरिया रखना चाहिए. सत्र में रोहिणी से लेखक वीर सांघवी ने बातचीत किया. उन्होंने कहा, उनका पालन-पोषण मुंबई के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ और सादगी से जीने वाले उनके परिवार में संसाधनों को वरीयता दी जाती थी. इंफोसिस और उसके बाद के बदलावों के बारे में उन्होंने कहा कि पैसा आने के बाद जिम्मेदारियों का एहसास हुआ. लेखिका रोहिणी ने आगे बताया कि इसके बाद उन्होंने छोटे-छोटे बदलावों की तरफ ध्यान दिया जैसे रोड सेफ्टी और साफ पानी.

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अमेरिकी इतिहासकार ने बताया विवेकानंद का प्रभाव: एक अन्य सत्र गुरु टू द वर्ल्ड में अमेरिकी इतिहासकार रुथ हैरिस ने पश्चिम पर पड़े विवेकानंद के प्रभाव को बताया. रुथ की किताब गुरु टू द वर्ल्ड: द लाइफ एंड लीगेसी ऑफ विवेकानंद पर आधारित था. सत्र शुरू करते हुए भारतीय इतिहासकार हिंडोल सेनगुप्ता ने कहा, विवेकानंद के बारे में जितना भी कहा जाए उतना कम है. रुथ ने कहा कि लगभग एक ही समय में भारत से स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी पश्चिम गए और अपने कार्यों से वहां के मन-मस्तिष्क को हिला दिया. उन्होंने कहा कि वो पश्चिमी लोगों पर भारतीय विचारों के प्रभाव से हैरान हैं. स्वामी विवेकानंद ने पश्चिमी लोगों को आध्यात्मिकता का नया अर्थ समझाया.

गणेश पोल में हेरिटेज इवनिंग का आयोजन: फेस्टिवल के चौथे दिन आमेर फोर्ट जयपुर के गणेश पोल में हेरिटेज इवनिंग का आयोजन किया गया. इतिहास और संस्कृति के मिश्रण का गवाह बनी ये शाम श्रोताओं के लिए एक शानदार अनुभव रहा. वहीं, नृत्यग्राम और चित्रसेना डांसर्स ने आहुति नामक प्रस्तुति में ओडिसी और कांडियन नृत्य पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. इससे पहले शेयर्ड ड्रीम्स के हरप्रीत और जॉर्ज ब्रुक्स ने अपनी शायरी और संगीत से शाम को सजाया.

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