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नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 'कैनिन डिस्टेम्पर' के खतरे, जांच के लिए वन्यजीवों के भेजे ब्लड सैंपल - Canine Distemper Canine

जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में दो वन्यजीवों की मौत से वन विभाग को गहरा आघात लगा है. वहीं वन विभाग को अब दूसरे वन्यजीवों की चिंता होने लगी है.

कैनिन डिस्टेम्पर वायरस ,Nahargarh Biological Park
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Published : Sep 22, 2019, 11:57 PM IST

जयपुर. एशियाटिक शेरनी की मौत के बाद 10 महीने की बाघिन रिद्धि ने दम तोड़ दिया. सूजन के विसरा में कैनिन डिस्टेम्पर वायरस पॉजिटिव आने के बाद इस बात की आशंका खड़ी हो गई है कि कई रिद्धि की मौत भी इसी वायरस की वजह से तो नहीं हुई. अगर ऐसा है तो बायोलॉजिकल पार्क में पल रहे दर्जनों वन्यजीवों के जीवन पर खतरे का संकेत है.

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में कैनिन डिस्टेम्पर वायरस के खतरे का संकेत

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरनी सुजैन और बाघिन के मादा शावक रिद्धि की आकस्मिक मौत हो जाने पर वन विभाग ने शेरनी सुहासिनी, मादा बाघिन रंभा और उसके शावक रूद्र, बाघ नाहर का ब्लड सैंपल लिया है. वन्यजीवों के ब्लड सैंपल जांच के लिए आईवीआरआई बरेली और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भिजवाया है. बाकी दूसरे वन्यजीवों के सैंपल भी लिए जाएंगे. वन्यजीवों को वायरस से बचाने के लिए दिल्ली से डोज मंगवाकर दी जा रही है.

पढ़ें- जनजातीय क्षेत्र के विद्यार्थियों को निशुल्क मिलेगी तकनीकी शिक्षा, मंत्री सुभाष गर्ग ने क्या कहा सुनिए

दरअसल कुत्तों में फैला कैनिन डिस्टेम्पर वायरस शेर और बाघ के लिए खतरा बन गया है. यह वायरस कभी भी उन पर कहर बरपा सकता है. अभी तक इसके संक्रमण से जूझ रहे शेर और बाघो को बचाने वाली कोई वैक्सीन तक नहीं है. ऐसे में कुत्तों के लिए बनी वैक्सीन के शेर और बाघ पर टेस्ट की अनुमति देने की तैयारी चल रही है. आईवीआरआई ने मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट और सेंट्रल जू अथॉरिटी को पत्र भेजा था.

वहीं इटावा लायन सफारी के शेयर कुबेर में कैनिन डिस्टेम्पर वायरस के संक्रमण की पुष्टि के बाद वैक्सीन का मुद्दा गरमा गया है. दरअसल इस बीमारी को फैलाने वाले कुत्तों के लिए जरूर वैक्सीन बनाई गई है, पर वैज्ञानिक इसे शेर- बाघो पर टेस्ट करने से घबरा रहे हैं.

आईवीआरआई वाइल्डलाइफ सेंटर के हेड प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर एके शर्मा के मुताबिक वैक्सीन दो तरह से बनती है. एक वायरस को मारकर और दूसरा वायरस को अपंग बनाकर कुत्तों के लिए बनाई गई. कैनिन डिस्टेम्पर वैक्सीन लाइव ऐड वैक्सीन है. इसमें वायरस जिंदा रहता है पर इसमें बीमारी फैलाने की क्षमता खत्म कर दी जाती है. शेर या बाघ खतरे में पड़ी प्रजातियों में सूचीबद्ध है. ऐसे में इनके लाइव टेस्ट में समस्या आ रही है और वैक्सीन की टेस्टिंग शेर और बाघ पर नहीं हो पा रही.

पढ़ें: पुलिस का बदला : पपला गुर्जर कांड में पकड़े गए बदमाशों का सड़कों पर निकाला जुलूस, देखें VIDEO

वैज्ञानिकों के अनुसार वायरस इतना खतरनाक है कि इसका संक्रमण फैल जाए तो काफी नुकसान हो सकता है. पिछले 3 वर्षों के दौरान जंगली जानवरों में कैनिन डिस्टेम्पर संक्रमण के 7 से अधिक मामले आए हैं. आईवीआरआई में पिछले 3 वर्ष के दौरान देशभर में आए जानवरों के सैंपल में से दो रेड पांडा, दो शेर, दो तेंदुए और एक बाघ में कैनिन डिस्टेम्पर वायरस मिला था. 2 दिन में बायोलॉजिकल पार्क में दो वन्यजीवों की मौत हो जाने के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है और वन विभाग के पास फिलहाल कैनिन डिस्टेम्पर वायरस से लड़ने की कोई वैक्सीन और दवा मौजूद नहीं है. ऐसे में जल्दी ठोस उपाय नहीं हुए तो नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वन्यजीवों का जीवन खतरे में पड़ सकता है.

बता दें कि शनिवार को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 10 महीनों से वन विभाग की आंख का तारा बनी शावक रिद्धि की मौत हो गई थी. इससे दो दिन पहले ही शेरनी सुजैन की भी मौत हो चुकी है. लगातार हो रही वन्यजीवों की मौत से वन विभाग गहरे सदमे में है. शावक रिद्धि की मौत का प्राथमिक कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया था. जिसके बाद विसरा सैंपल आईवीआरआई बरेली आधुनिक लैब में भेजे गए.

जयपुर. एशियाटिक शेरनी की मौत के बाद 10 महीने की बाघिन रिद्धि ने दम तोड़ दिया. सूजन के विसरा में कैनिन डिस्टेम्पर वायरस पॉजिटिव आने के बाद इस बात की आशंका खड़ी हो गई है कि कई रिद्धि की मौत भी इसी वायरस की वजह से तो नहीं हुई. अगर ऐसा है तो बायोलॉजिकल पार्क में पल रहे दर्जनों वन्यजीवों के जीवन पर खतरे का संकेत है.

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में कैनिन डिस्टेम्पर वायरस के खतरे का संकेत

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरनी सुजैन और बाघिन के मादा शावक रिद्धि की आकस्मिक मौत हो जाने पर वन विभाग ने शेरनी सुहासिनी, मादा बाघिन रंभा और उसके शावक रूद्र, बाघ नाहर का ब्लड सैंपल लिया है. वन्यजीवों के ब्लड सैंपल जांच के लिए आईवीआरआई बरेली और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भिजवाया है. बाकी दूसरे वन्यजीवों के सैंपल भी लिए जाएंगे. वन्यजीवों को वायरस से बचाने के लिए दिल्ली से डोज मंगवाकर दी जा रही है.

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दरअसल कुत्तों में फैला कैनिन डिस्टेम्पर वायरस शेर और बाघ के लिए खतरा बन गया है. यह वायरस कभी भी उन पर कहर बरपा सकता है. अभी तक इसके संक्रमण से जूझ रहे शेर और बाघो को बचाने वाली कोई वैक्सीन तक नहीं है. ऐसे में कुत्तों के लिए बनी वैक्सीन के शेर और बाघ पर टेस्ट की अनुमति देने की तैयारी चल रही है. आईवीआरआई ने मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट और सेंट्रल जू अथॉरिटी को पत्र भेजा था.

वहीं इटावा लायन सफारी के शेयर कुबेर में कैनिन डिस्टेम्पर वायरस के संक्रमण की पुष्टि के बाद वैक्सीन का मुद्दा गरमा गया है. दरअसल इस बीमारी को फैलाने वाले कुत्तों के लिए जरूर वैक्सीन बनाई गई है, पर वैज्ञानिक इसे शेर- बाघो पर टेस्ट करने से घबरा रहे हैं.

आईवीआरआई वाइल्डलाइफ सेंटर के हेड प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर एके शर्मा के मुताबिक वैक्सीन दो तरह से बनती है. एक वायरस को मारकर और दूसरा वायरस को अपंग बनाकर कुत्तों के लिए बनाई गई. कैनिन डिस्टेम्पर वैक्सीन लाइव ऐड वैक्सीन है. इसमें वायरस जिंदा रहता है पर इसमें बीमारी फैलाने की क्षमता खत्म कर दी जाती है. शेर या बाघ खतरे में पड़ी प्रजातियों में सूचीबद्ध है. ऐसे में इनके लाइव टेस्ट में समस्या आ रही है और वैक्सीन की टेस्टिंग शेर और बाघ पर नहीं हो पा रही.

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वैज्ञानिकों के अनुसार वायरस इतना खतरनाक है कि इसका संक्रमण फैल जाए तो काफी नुकसान हो सकता है. पिछले 3 वर्षों के दौरान जंगली जानवरों में कैनिन डिस्टेम्पर संक्रमण के 7 से अधिक मामले आए हैं. आईवीआरआई में पिछले 3 वर्ष के दौरान देशभर में आए जानवरों के सैंपल में से दो रेड पांडा, दो शेर, दो तेंदुए और एक बाघ में कैनिन डिस्टेम्पर वायरस मिला था. 2 दिन में बायोलॉजिकल पार्क में दो वन्यजीवों की मौत हो जाने के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है और वन विभाग के पास फिलहाल कैनिन डिस्टेम्पर वायरस से लड़ने की कोई वैक्सीन और दवा मौजूद नहीं है. ऐसे में जल्दी ठोस उपाय नहीं हुए तो नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वन्यजीवों का जीवन खतरे में पड़ सकता है.

बता दें कि शनिवार को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 10 महीनों से वन विभाग की आंख का तारा बनी शावक रिद्धि की मौत हो गई थी. इससे दो दिन पहले ही शेरनी सुजैन की भी मौत हो चुकी है. लगातार हो रही वन्यजीवों की मौत से वन विभाग गहरे सदमे में है. शावक रिद्धि की मौत का प्राथमिक कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया था. जिसके बाद विसरा सैंपल आईवीआरआई बरेली आधुनिक लैब में भेजे गए.

Intro:जयपुर
एंकर- राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में दो वन्यजीवों की मौत से वन विभाग को गहरा आघात लगा है। अचानक दो वन्यजीवो की मौत होने से वन विभाग को अब दूसरे वन्यजीवो की चिंता होने लगी है।


Body:एशियाटिक शेरनी की मौत के बाद 10 महीने की बाघिन रिद्धि ने दम तोड़ दिया। सूजन के विसरा में कैनाईल डिस्टेंपर वायरस पॉजिटिव आने के बाद इस बात की आशंका खड़ी हो गई है कि कई रिद्धि की मौत भी इसी वायरस की वजह से तो नहीं हुई। अगर ऐसा है तो बायोलॉजिकल पार्क में पल रहे दर्जनों वन्यजीवों के जीवन पर खतरे का संकेत है।
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरनी सुजैन और बाघिन के मादा शावक रिद्धि की आकस्मिक मौत हो जाने पर वन विभाग ने शेरनी सुहासिनी, मादा बाघिन रंभा और उसके शावक रूद्र, बाघ नाहर का ब्लड सैंपल लिया है। वन्यजीवों के ब्लड सैंपल जांच के लिए आईवीआरआई बरेली और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भिजवाया है। बाकी दूसरे वन्यजीवों के सैंपल भी लिए जाएंगे। वन्यजीवों को वायरस से बचाने के लिए दिल्ली से डोज मंगवाकर दी जा रही है।

दरअसल कुत्तों में फैला केनाइन डिस्टेंपर वायरस शेर और बाघ के लिए खतरा बन गया है। यह वायरस कभी भी उन पर कहर बरपा सकता है। अभी तक इसके संक्रमण से जूझ रहे शेर और बाघो को बचाने वाली कोई वैक्सीन तक नहीं है। ऐसे में कुत्तों के लिए बनी वैक्सीन के शेर और बाघ पर टेस्ट की अनुमति देने की तैयारी चल रही है। आईवीआरआई ने मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट और सेंट्रल जू अथॉरिटी को पत्र भेजा था। इटावा लायन सफारी के शेयर कुबेर में केनाइन डिस्टेंपर वायरस के संक्रमण की पुष्टि के बाद वैक्सीन का मुद्दा गरमा गया है। दरअसल इस बीमारी को फैलाने वाले कुत्तों के लिए जरूर वैक्सीन बनाई गई है, पर वैज्ञानिक इसे शेर- बाघो पर टेस्ट करने से घबरा रहे हैं। आईवीआरआई वाइल्डलाइफ सेंटर के हेड प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर एके शर्मा के मुताबिक वैक्सीन दो तरह से बनती है एक वायरस को मारकर और दूसरा वायरस को अपंग बनाकर। कुत्तों के लिए बनाई गई केनाइन डिस्टेंपर वैक्सीन लाइव ऐड वैक्सीन है। इसमें वायरस जिंदा रहता है पर इसमें बीमारी फैलाने की क्षमता खत्म कर दी जाती है। शेर या बाघ खतरे में पड़ी प्रजातियों में सूचीबद्ध है। ऐसे में इनके लाइव टेस्ट में समस्या आ रही है और वैक्सीन की टेस्टिंग शेर और बाघ पर नहीं हो पा रही।
वैज्ञानिकों के अनुसार वायरस इतना खतरनाक है कि इसका संक्रमण फैल जाए तो काफी नुकसान हो सकता है। पिछले 3 वर्षों के दौरान जंगली जानवरों में कैनाईल डिस्टेंपर संक्रमण के 7 से अधिक मामले आए हैं। आईवीआरआई में पिछले 3 वर्ष के दौरान देशभर में आए जानवरों के सैंपल में से दो रेड पांडा, दो शेर, दो तेंदुए और एक बाघ में केनाइन डिस्टेंपर वायरस मिला था। 2 दिन में बायोलॉजिकल पार्क में दो वन्यजीवों की मौत हो जाने के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है और वन विभाग के पास फिलहाल केनाइन डिस्टेंपर वायरस से लड़ने की कोई वैक्सीन या दवा मौजूद नहीं है। ऐसे में जल्दी ठोस उपाय नहीं हुए तो नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वन्यजीवों का जीवन खतरे में पड़ सकता है।
बता दे कि शनिवार को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 10 महीनों से वन विभाग की आंख का तारा बनी सावक रिद्धि की मौत हो गई थी। इससे दो दिन पहले ही शेरनी सुजैन की भी मौत हो चुकी है। लगातार हो रही वन्यजीवों की मौत से वन विभाग गहरे सदमे में है। शावक रिद्धि की मौत का प्राथमिक कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया था। जिसके बाद विसरा सैंपल आईवीआरआई बरेली आधुनिक लैब में भेजे गए।



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