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जयपुर में अब निजी भवनों पर लगे विज्ञापनों पर होगी टैक्स वसूली

जयपुर नगर निगम अब तय मानकों से अधिक साइज के विज्ञापनों पर टैक्स वसूली की योजना बना रहा है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे निगम के लिए यह लाभकारी पहल हो सकती है.

जयपुर नगर निगम
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Published : Apr 24, 2019, 11:34 PM IST

जयपुर. तय मानकों के अधिक साइज के विज्ञापनों पर अब निगम निगम टैक्स वसूली की तैयारी में हैं. निजी भवन, दुकान और शोरूम लगे विज्ञापनों पर आउट सोर्स के जरिए पैसा वसूल किया जाएगा. माना जा रहा है कि अगर निगम की यह कवायद सफल हुई तो इससे करीब 10 करोड़ रुपए सालाना कमाई होने की उम्मीद है.

जयपुर नगर निगम निजी भवन पर लगने वाले विज्ञापनों से करेगा टैक्स वसूली

साल 2009-10 और 2010-11 में निगम ने आउटसोर्स के जरिए निजी विज्ञापनों की वसूली का ठेका दिया था. पहले साल निगम को 7 करोड़ से ज्यादा की आय हुई. जबकि इसके अगले साल कमाई घटकर 5 करोड़ के आस-पास हो गई. इसी वजह से साल 2012-13 और उसके बाद दोबारा ये वसूली नहीं की गई. करीब 7 साल से निगम ने इस मद से कोई वसूली नहीं की. अब आर्थिक तंगी से जूझ रहा निगम इस योजना को दोबारा शुरू करने की कवायद कर रहा है. इसके लिए राजस्व शाखा ने फाइल भी निगम प्रशासन को उपलब्ध करा दी है. जिस पर मंजूरी के बाद निगम ठेका जारी करेगा.

हालांकि निगम प्रशासन के पास अभी ऐसा कोई सर्वे नहीं है. जिसमें विज्ञापन से जुड़ी संपत्तियों की संख्या का ब्यौरा हो. ऐसे में निगम शहर भर की उन सभी संपत्तियों से वसूली का अधिकार फर्म को देगा जहां तय मापदंड 1x7 फिट से ज्यादा का विज्ञापन लगा है. इसे लेकर दुकान, शोरूम, निजी कमर्शियल भवन तक की सूची बनाई जाएगी.

नगर निगम इस मद में सर्वाधिक आय को आधार बनाकर ठेका राशि तय करेगा. ऐसे में 7 साल के बाद निगम करीब 10 करोड रुपए की आय का अनुमान लगाकर ठेका जारी करेगा. संभव है कि इस मद के जरिए सालाना करोडों रुपये के राजस्व की वसूली कर निगम को आर्थिक तंगी से बाहर निकलने का एक रास्ता मिलेगा.

जयपुर. तय मानकों के अधिक साइज के विज्ञापनों पर अब निगम निगम टैक्स वसूली की तैयारी में हैं. निजी भवन, दुकान और शोरूम लगे विज्ञापनों पर आउट सोर्स के जरिए पैसा वसूल किया जाएगा. माना जा रहा है कि अगर निगम की यह कवायद सफल हुई तो इससे करीब 10 करोड़ रुपए सालाना कमाई होने की उम्मीद है.

जयपुर नगर निगम निजी भवन पर लगने वाले विज्ञापनों से करेगा टैक्स वसूली

साल 2009-10 और 2010-11 में निगम ने आउटसोर्स के जरिए निजी विज्ञापनों की वसूली का ठेका दिया था. पहले साल निगम को 7 करोड़ से ज्यादा की आय हुई. जबकि इसके अगले साल कमाई घटकर 5 करोड़ के आस-पास हो गई. इसी वजह से साल 2012-13 और उसके बाद दोबारा ये वसूली नहीं की गई. करीब 7 साल से निगम ने इस मद से कोई वसूली नहीं की. अब आर्थिक तंगी से जूझ रहा निगम इस योजना को दोबारा शुरू करने की कवायद कर रहा है. इसके लिए राजस्व शाखा ने फाइल भी निगम प्रशासन को उपलब्ध करा दी है. जिस पर मंजूरी के बाद निगम ठेका जारी करेगा.

हालांकि निगम प्रशासन के पास अभी ऐसा कोई सर्वे नहीं है. जिसमें विज्ञापन से जुड़ी संपत्तियों की संख्या का ब्यौरा हो. ऐसे में निगम शहर भर की उन सभी संपत्तियों से वसूली का अधिकार फर्म को देगा जहां तय मापदंड 1x7 फिट से ज्यादा का विज्ञापन लगा है. इसे लेकर दुकान, शोरूम, निजी कमर्शियल भवन तक की सूची बनाई जाएगी.

नगर निगम इस मद में सर्वाधिक आय को आधार बनाकर ठेका राशि तय करेगा. ऐसे में 7 साल के बाद निगम करीब 10 करोड रुपए की आय का अनुमान लगाकर ठेका जारी करेगा. संभव है कि इस मद के जरिए सालाना करोडों रुपये के राजस्व की वसूली कर निगम को आर्थिक तंगी से बाहर निकलने का एक रास्ता मिलेगा.

Intro:निजी भवन, दुकान और शोरूम पर तय नियमों से ज्यादा लगे विज्ञापनों से टैक्स वसूलने की तैयारी में नगर निगम जुट गया है... आउट सोर्स के जरिए इन भवनों से पैसा वसूल किया जाएगा.. अगर निगम की कवायद ठीक रही तो 10 करोड रुपए सालाना इस मद में कमाई होने की उम्मीद है...


Body:साल 2009-10 और 2010-11 में निगम ने आउटसोर्स के जरिए निजी विज्ञापनों की वसूली का ठेका दिया था... पहले साल निगम को 7 करोड़ से ज्यादा की आय हुई... जबकि इसके अगले साल कमाई घटकर 5 करोड़ के आस-पास हो गई... इसी वजह से साल 2012-13 और उसके बाद दोबारा ये वसूली नहीं की गई... करीब 7 साल से निगम ने इस मद से कोई वसूली नहीं की... अब आर्थिक तंगी से जूझ रहा निगम इस योजना को दोबारा शुरू करने की कवायद कर रहा है... इसके लिए राजस्व शाखा ने फाइल भी आगे चला दी है... इस पर मंजूरी के बाद निगम ठेका जारी करेगा... हालांकि निगम के पास अभी ऐसा कोई सर्वे नहीं है,,, जिसमें इन संपत्तियों की संख्या का उल्लेख हो... ऐसे में निगम शहर भर की उन सभी संपत्तियों से वसूली का अधिकार फर्म को देगा,,, जहां तय मापदंड 1*7 से ज्यादा का विज्ञापन हो रखा है... इसे लेकर दुकान, शोरूम, निजी कमर्शियल भवन तक की सूची बनाई जाएगी...


Conclusion:नगर निगम इस मद में सर्वाधिक आय को आधार बनाकर ठेका राशि तय करेगा... ऐसे में 7 साल के बाद निगम करीब 10 करोड रुपए की आय का अनुमान लगाकर ठेका जारी करेगा... संभव है कि इस मद के जरिए सालाना करोडों रुपये के राजस्व की वसूली कर,,, निगम को आर्थिक तंगी से बाहर निकलने का एक रास्ता मिलेगा...
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