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यमुना जल समझौते को लेकर केन्द्रीय जल आयोग से प्रगति रिपोर्ट तलब

राजस्थान हाईकोर्ट ने यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर केंद्रीय जल आयोग को आगामी छह सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश एक दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

राजस्थान उच्च न्यायालय
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Published : Jul 9, 2019, 9:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर केंद्रीय जल आयोग से 6 सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश यशवर्धन सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रकरण की डीपीआर बनाकर केंद्रीय जल आयोग को भेजी जा चुकी है. वहीं जल आयोग की ओर से एएसजी आरडी रस्तोगी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने नहर से पानी देने से इनकार कर दिया है. ऐसे में भूमिगत पाइप लाइन डालने पर विचार किया जा रहा है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

याचिका में कहा गया है कि वर्ष 1994 में नदी के पानी के बंटवारे को लेकर हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल और राजस्थान के बीच समझौता हुआ था. इसके तहत 1.19 क्यूबिक पानी प्रदेश को मिलना था. यह पानी हरियाणा के ताजेवाला हैड से आना था, लेकिन चूरू और झुंझुनू के लिए पाइप लाइन डालने का काम पूरा नहीं हुआ.

हाईकोर्ट ने कोर्स पर लगी रोक को हटा लिया

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की ओर से इंक्रेडिबल इंडिया टूरिस्ट फैसिलिटेटर कोर्स में प्रवेश पर लगी रोक को हटा लिया है. न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की एकल पीठ ने यह आदेश केंद्र सरकार की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि 15 नवंबर 2018 को पर्यावरण मंत्रालय ने टूरिस्ट फैसिलिटेटर कोर्स में प्रवेश के लिए विज्ञापन जारी किया था. जिसे टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन की ओर से याचिका दायर कर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए गत 19 दिसंबर को विज्ञापन पर रोक लगा दी थी.

केंद्र सरकार की ओर से प्रार्थना पत्र में कहा गया कि टूरिस्ट गाइड का काम प्राचीन भवनों की जानकारी पर्यटकों को देना होता है, जबकि फैसिलिटेटर सिर्फ पर्यटक स्थलों की जानकारी देंगे. ऐसे में कोर्स पर लगी रोक को हटाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने कोर्स पर लगी रोक को हटा लिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर केंद्रीय जल आयोग से 6 सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश यशवर्धन सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रकरण की डीपीआर बनाकर केंद्रीय जल आयोग को भेजी जा चुकी है. वहीं जल आयोग की ओर से एएसजी आरडी रस्तोगी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने नहर से पानी देने से इनकार कर दिया है. ऐसे में भूमिगत पाइप लाइन डालने पर विचार किया जा रहा है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

याचिका में कहा गया है कि वर्ष 1994 में नदी के पानी के बंटवारे को लेकर हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल और राजस्थान के बीच समझौता हुआ था. इसके तहत 1.19 क्यूबिक पानी प्रदेश को मिलना था. यह पानी हरियाणा के ताजेवाला हैड से आना था, लेकिन चूरू और झुंझुनू के लिए पाइप लाइन डालने का काम पूरा नहीं हुआ.

हाईकोर्ट ने कोर्स पर लगी रोक को हटा लिया

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की ओर से इंक्रेडिबल इंडिया टूरिस्ट फैसिलिटेटर कोर्स में प्रवेश पर लगी रोक को हटा लिया है. न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की एकल पीठ ने यह आदेश केंद्र सरकार की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि 15 नवंबर 2018 को पर्यावरण मंत्रालय ने टूरिस्ट फैसिलिटेटर कोर्स में प्रवेश के लिए विज्ञापन जारी किया था. जिसे टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन की ओर से याचिका दायर कर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए गत 19 दिसंबर को विज्ञापन पर रोक लगा दी थी.

केंद्र सरकार की ओर से प्रार्थना पत्र में कहा गया कि टूरिस्ट गाइड का काम प्राचीन भवनों की जानकारी पर्यटकों को देना होता है, जबकि फैसिलिटेटर सिर्फ पर्यटक स्थलों की जानकारी देंगे. ऐसे में कोर्स पर लगी रोक को हटाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने कोर्स पर लगी रोक को हटा लिया है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर केंद्रीय जल आयोग से 6 सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश यशवर्धन सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।


Body:सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रकरण की डीपीआर बनाकर केंद्रीय जल आयोग को भेजी जा चुकी है। वहीं जल आयोग की ओर से एएसजी आर डी रस्तोगी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने नहर से पानी देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में भूमिगत पाइप लाइन डालने पर विचार किया जा रहा है। दोनों पक्षों सुनने के बाद अदालत ने कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
याचिका में कहा गया है कि वर्ष 1994 में नदी के पानी के बंटवारे को लेकर हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल और राजस्थान के बीच समझौता हुआ था। इसके तहत 1.19 क्यूबिक पानी प्रदेश को मिलना था। यह पानी हरियाणा के ताजेवाला हेड से वाला हेड से आना था, लेकिन चूरू और झुंझुनू के लिए पाइप लाइन डालने का काम पूरा नहीं हुआ।


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