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'यौन अपराधियों को उम्रकैद'...मतलब, मौत होने तक रहना होगा जेल में! तमिलनाडु सरकार का बड़ा फैसला - TAMIL NADU GOVERNMENT

तमिलनाडु में यौन अपराध करने वालों को मृत्युदंड दिया जाएगा! विधानसभा ने आज बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) में संशोधन बिल पारित किया. पढ़ें, विस्तार से.

MK stalin
सदन में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

चेन्नई: महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए शुक्रवार 10 जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा में दो संशोधन विधेयक पेश किए गए. विधानसभा में भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम 1998 में संशोधन पेश किए गए. उपरोक्त दोनों अधिनियमों में संशोधन किया गया और तमिलनाडु आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2025 और महिला उत्पीड़न रोकथाम संशोधन अधिनियम, 2025 में अधिकतम दंड जोड़ा गया.

उम्रकैद का प्रावधानः भारतीय न्याय संहिता की धारा-64 (1) में संशोधन कर कम से कम 14 वर्ष का कठोर कारावास किया गया है, जबकि यौन उत्पीड़न के लिए सजा 10 वर्ष से कम नहीं थी. वहीं, अगर दोषी की सजा आजीवन कारावास तक बढ़ा दी जाती है, तो उसे स्वाभाविक रूप से मृत्यु होने तक जेल में रहना होगा. धारा 65 (2) - अगर 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ यौन हिंसा की जाती है, तो अपराधी को कम से कम 20 वर्ष का कठोर कारावास या आजीवन कारावास, वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.

जुर्माना और मौत की सजा: धारा 70 (2) - 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक यौन अपराध आजीवन कारावास या एक अवधि के लिए जुर्माना और मौत की सजा से दंडनीय होगा. धारा 71 - बार-बार यौन अपराध मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडनीय है. धारा 72 (1) - यौन घटना में पीड़िता की पहचान का खुलासा करने पर कम से कम तीन साल की कैद और अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है. धारा 77 - यौन इरादे से पीछा करने के अपराध के लिए सजा दो साल या पांच साल तक होगी. संशोधन अधिनियम की कुछ धाराओं के तहत दर्ज मामलों में आरोपी को जमानत नहीं मिल सकती.

महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियमः महिला उत्पीड़न निषेध संशोधन अधिनियम, 2025 के नाम से जाने जाने वाले इस अधिनियम में भी कई संशोधन किए गए हैं. संशोधन अधिनियम की धारा 1 (ए) के अनुसार, "उत्पीड़न" का अर्थ शारीरिक, मौखिक, गैर-मौखिक, स्पर्श, इलेक्ट्रॉनिक या किसी अन्य तरीके से धमकी देना या कोड़े मारना या चोट पहुंचाना या उत्पीड़न या हमला या धमकी देना है, जिसमें बल का प्रयोग भी शामिल है. भय, शर्मिंदगी या शर्मिंदगी का कारण बनना किसी व्यक्ति के असामान्य, अभद्र आचरण, कृत्य या किसी भी कार्य का अर्थ होगा.

10 लाख जुर्माना का प्रवधानः मुख्य अधिनियम की धारा 4 के अनुसार, तीन साल तक की कैद और दस हजार रुपये तक का जुर्माना अब पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये से कम नहीं होने वाले जुर्माने से दंडनीय होगा. दूसरी बार या लगातार अपराध के लिए दोषी पाए जाने वालों को कम से कम पांच साल से दस साल की सजा दी जाएगी. संशोधन में कम से कम दस लाख रुपये का जुर्माना लगाने सहित कई महत्वपूर्ण विशेषताएं भी शामिल हैं.

क्या कहा मुख्यमंत्री नेः तमिलनाडु विधानसभा में इनके बारे में बातते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा "सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के अपराधों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही है. महिलाओं के खिलाफ अपराध के 86 प्रतिशत मामलों में 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दायर किया गया है." उन्होंने कहा तमिलनाडु विधानसभा में लाए गए दोनों संशोधनों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है.

इसे भी पढ़ेंः आरजी कर रेप-हत्या मामला : CBI ने संजय रॉय के लिए मांगी मौत की सजा, 18 जनवरी को आएगा फैसला

चेन्नई: महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए शुक्रवार 10 जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा में दो संशोधन विधेयक पेश किए गए. विधानसभा में भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम 1998 में संशोधन पेश किए गए. उपरोक्त दोनों अधिनियमों में संशोधन किया गया और तमिलनाडु आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2025 और महिला उत्पीड़न रोकथाम संशोधन अधिनियम, 2025 में अधिकतम दंड जोड़ा गया.

उम्रकैद का प्रावधानः भारतीय न्याय संहिता की धारा-64 (1) में संशोधन कर कम से कम 14 वर्ष का कठोर कारावास किया गया है, जबकि यौन उत्पीड़न के लिए सजा 10 वर्ष से कम नहीं थी. वहीं, अगर दोषी की सजा आजीवन कारावास तक बढ़ा दी जाती है, तो उसे स्वाभाविक रूप से मृत्यु होने तक जेल में रहना होगा. धारा 65 (2) - अगर 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ यौन हिंसा की जाती है, तो अपराधी को कम से कम 20 वर्ष का कठोर कारावास या आजीवन कारावास, वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.

जुर्माना और मौत की सजा: धारा 70 (2) - 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक यौन अपराध आजीवन कारावास या एक अवधि के लिए जुर्माना और मौत की सजा से दंडनीय होगा. धारा 71 - बार-बार यौन अपराध मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडनीय है. धारा 72 (1) - यौन घटना में पीड़िता की पहचान का खुलासा करने पर कम से कम तीन साल की कैद और अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है. धारा 77 - यौन इरादे से पीछा करने के अपराध के लिए सजा दो साल या पांच साल तक होगी. संशोधन अधिनियम की कुछ धाराओं के तहत दर्ज मामलों में आरोपी को जमानत नहीं मिल सकती.

महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियमः महिला उत्पीड़न निषेध संशोधन अधिनियम, 2025 के नाम से जाने जाने वाले इस अधिनियम में भी कई संशोधन किए गए हैं. संशोधन अधिनियम की धारा 1 (ए) के अनुसार, "उत्पीड़न" का अर्थ शारीरिक, मौखिक, गैर-मौखिक, स्पर्श, इलेक्ट्रॉनिक या किसी अन्य तरीके से धमकी देना या कोड़े मारना या चोट पहुंचाना या उत्पीड़न या हमला या धमकी देना है, जिसमें बल का प्रयोग भी शामिल है. भय, शर्मिंदगी या शर्मिंदगी का कारण बनना किसी व्यक्ति के असामान्य, अभद्र आचरण, कृत्य या किसी भी कार्य का अर्थ होगा.

10 लाख जुर्माना का प्रवधानः मुख्य अधिनियम की धारा 4 के अनुसार, तीन साल तक की कैद और दस हजार रुपये तक का जुर्माना अब पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये से कम नहीं होने वाले जुर्माने से दंडनीय होगा. दूसरी बार या लगातार अपराध के लिए दोषी पाए जाने वालों को कम से कम पांच साल से दस साल की सजा दी जाएगी. संशोधन में कम से कम दस लाख रुपये का जुर्माना लगाने सहित कई महत्वपूर्ण विशेषताएं भी शामिल हैं.

क्या कहा मुख्यमंत्री नेः तमिलनाडु विधानसभा में इनके बारे में बातते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा "सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के अपराधों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही है. महिलाओं के खिलाफ अपराध के 86 प्रतिशत मामलों में 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दायर किया गया है." उन्होंने कहा तमिलनाडु विधानसभा में लाए गए दोनों संशोधनों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है.

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