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दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब AAP समर्थित शिक्षक संगठन AADTA को DU EC AC चुनाव में लगा झटका, जानें मामला - DELHI UNIVERSITY EC AC ELECTION

आम आदमी पार्टी को डीयू ईसी व एसी चुनाव में दो पदों पर मिली हार का सामना करना पड़ा है. आइए जानते हैं विस्तार से..

डीयू एसी और ईसी चुनाव में आप शिक्षक विंग को दो सीटें गंवानी पड़ीं
डीयू एसी और ईसी चुनाव में आप शिक्षक विंग को दो सीटें गंवानी पड़ीं (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 11, 2025, 11:20 AM IST

Updated : Feb 11, 2025, 5:02 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय में अकादमिक परिषद (एसी) और कार्यकारी परिषद (ईसी) के चुनावों में आम आदमी पार्टी समर्थित शिक्षक संगठन एकैडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (एएडीटीए) को बड़ा झटका लगा है. कार्यकारी परिषद में उनकी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है. साथ ही अकादमिक परिषद में उनका एक सदस्य कम हो गया है.

अकादमिक परिषद में पहले उनके पांच सदस्य थे, लेकिन इस बार चार सदस्य ही चुने जा सके. एक पद पर एएडीटीए को हार का सामना करना पड़ा है. वहीं वाम समर्थित डेमाक्रेटिक टीचर फ्रंट (डीटीएफ) ने अपनी उपस्थिति बढ़ाई है. कार्यकारी परिषद में उनका प्रत्याशी चुनकर पहुंचा है और अकादमिक परिषद में भी उन्होंने एक अतिरिक्त सदस्य बनाया है. उधर आरएसएस समर्थित नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) भी अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने में कामयाब रहा है.

AAP की हार का सिलसिला जारी: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की हार के बाद उनके शिक्षक संगठन का डीयू के अकादमिक परिषद, कार्यकारी परिषद चुनावों में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. कार्यकारी परिषद में एएडीटीए तीसरे स्थान पर रहा. उनकी प्रत्याशी प्रो. रिचा राज चुनाव हार गईं. वहीं एनडीटीएफ के प्रो. सुनील शर्मा और डीटीएफ के प्रो. मिथुराज धुसिया कार्यकारी परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए. इससे पहले एएडीटीए की प्रो. सीमा दास कार्यकारी परिषद में सदस्य थीं, जिनके हाथ से यह पद चला गया. अकादमिक परिषद में उनके पांच सदस्य थे, लेकिन इन चुनावों में चार सदस्य ही निर्वाचित हुए. डॉ. ममता चौधरी, प्रो. टीएन ओझा, डॉ. राम किशोर यादव और डॉ. पवन कुमार ने जीत दर्ज की.

शिक्षक AAP से थे नाराज: कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार की ओर से पूरी तरह से वित्त पोषित 12 कॉलेज का मुद्दा एएडीटीए पर भारी पड़ा. नियमित वेतन न मिलना, लंबे समय से दिल्ली सरकार की ओर से फंड न बढ़ने के चलते इन कालेजों के शिक्षक एएडीटीए से नाराज थे. इसलिए उन्हें इन चुनावों में शिक्षकों का समर्थन हासिल नहीं हुआ और संगठन को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले. शिक्षक संगठन ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री आतिशी से मुलाकात की. लेकिन, मसले का हल निकालने में कामयाब नहीं हो सके. दूसरी तरफ डीटीएफ, एनडीटीएफ और इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस (इंटेक) इस मुद्दे को उठाते रहे और उन्हें फायदा हुआ.

एनडीटीएफ की एसी के आठ पदों पर जीत: एनडीटीएफ के आठ उम्मीदवार डॉ. हरेंद्र तिवारी, डॉ. धनपाल सिंह, डॉ. अंकित अग्रवाल, डॉ. रति ढिल्लो, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. विवेक चौधरी, डॉ. अश्विनी सिहवाल और डॉ. पदम परिहार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. पहले भी उनके आठ उम्मीदवार अकादमिक परिषद में थे. वहीं इंटेक की प्रो. नीलम और डॉ. लतिका गुप्ता अकादमिक परिषद में निर्वाचित हुईं.

शिक्षकों का एनडीटीएफ की नीति में विश्वास: इंटेक के पहले भी दो और डीटीएफ के पहले तीन सदस्य थे. इस बार डॉ. मोनामी सिन्हा, प्रो. संजीव कौशल, डॉ. जीतेंद्र कुमार मीणा और पहली बार चुनाव लड़ रहीं डॉ. अनुमेहा मिश्रा ने जीत हासिल की. एनडीटीएफ के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने कहा कि शिक्षकों ने हमारी नीति में विश्वास जताया है. हम 12 कॉलेज के मुद्दे को जल्द सुलझाएंगे. बता दें कि छह फरवरी को कार्यकारी परिषद और अकादमिक परिषद चुनाव के लिए मतदान हुआ था. कार्यकारी परिषद में दो पदों के लिए पांच और अकादमिक परिषद में 26 पदों के लिए 40 उम्मीदवार मैदान में थे.

ईसी और एसी सीटों पर हार का कारण: आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन एएडीटीए के एक ईसी और एक एसी की सीट पर चुनाव हारने को लेकर एएडीटीए के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि इन दो सीटों पर हमारी हार का कारण एनडीटीएफ की ओर से डीटीएफ को मदद करना रहा. जबकि 12 कॉलेजों को देरी से फंड देना इस चुनाव में मुद्दा नहीं था क्योंकि जो पैसा जारी होना था वह पैसा आ चुका था.

शिक्षकों के हित में लड़ाई का परिणाम कामयाबी: वहीं, एसी की आठ और ईसी की एक सीट पर जीत दर्ज करने वाले संगठन एनडीटीएफ के अध्यक्ष प्रोफेसर एके भागी ने कहा कि ईसी और एसी के चुनाव में एनडीटीएफ की जीत हमारी ओर से शिक्षकों के लिए लड़ी गई लड़ाई का परिणाम है. हमने हमेशा शिक्षकों के हित की में लड़ाई आगे बढ़कर लड़ी है. पिछले दो साल में रिकॉर्ड प्रमोशन और नियुक्तियां हुई हैं. इसका हमें चुनाव में फायदा मिला है. आम आदमी पार्टी की सरकार ने कभी अपने 12 कॉलेजों को समय से फंड नहीं दिया. इससे इन कॉलेजों के शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिला. इस वजय से एएडीटीए को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा. अब दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने जा रही है इन 12 कॉलेजों के फंड की समस्या भी जल्दी दूर हो जाएगी.

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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय में अकादमिक परिषद (एसी) और कार्यकारी परिषद (ईसी) के चुनावों में आम आदमी पार्टी समर्थित शिक्षक संगठन एकैडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (एएडीटीए) को बड़ा झटका लगा है. कार्यकारी परिषद में उनकी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है. साथ ही अकादमिक परिषद में उनका एक सदस्य कम हो गया है.

अकादमिक परिषद में पहले उनके पांच सदस्य थे, लेकिन इस बार चार सदस्य ही चुने जा सके. एक पद पर एएडीटीए को हार का सामना करना पड़ा है. वहीं वाम समर्थित डेमाक्रेटिक टीचर फ्रंट (डीटीएफ) ने अपनी उपस्थिति बढ़ाई है. कार्यकारी परिषद में उनका प्रत्याशी चुनकर पहुंचा है और अकादमिक परिषद में भी उन्होंने एक अतिरिक्त सदस्य बनाया है. उधर आरएसएस समर्थित नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) भी अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने में कामयाब रहा है.

AAP की हार का सिलसिला जारी: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की हार के बाद उनके शिक्षक संगठन का डीयू के अकादमिक परिषद, कार्यकारी परिषद चुनावों में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. कार्यकारी परिषद में एएडीटीए तीसरे स्थान पर रहा. उनकी प्रत्याशी प्रो. रिचा राज चुनाव हार गईं. वहीं एनडीटीएफ के प्रो. सुनील शर्मा और डीटीएफ के प्रो. मिथुराज धुसिया कार्यकारी परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए. इससे पहले एएडीटीए की प्रो. सीमा दास कार्यकारी परिषद में सदस्य थीं, जिनके हाथ से यह पद चला गया. अकादमिक परिषद में उनके पांच सदस्य थे, लेकिन इन चुनावों में चार सदस्य ही निर्वाचित हुए. डॉ. ममता चौधरी, प्रो. टीएन ओझा, डॉ. राम किशोर यादव और डॉ. पवन कुमार ने जीत दर्ज की.

शिक्षक AAP से थे नाराज: कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार की ओर से पूरी तरह से वित्त पोषित 12 कॉलेज का मुद्दा एएडीटीए पर भारी पड़ा. नियमित वेतन न मिलना, लंबे समय से दिल्ली सरकार की ओर से फंड न बढ़ने के चलते इन कालेजों के शिक्षक एएडीटीए से नाराज थे. इसलिए उन्हें इन चुनावों में शिक्षकों का समर्थन हासिल नहीं हुआ और संगठन को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले. शिक्षक संगठन ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री आतिशी से मुलाकात की. लेकिन, मसले का हल निकालने में कामयाब नहीं हो सके. दूसरी तरफ डीटीएफ, एनडीटीएफ और इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस (इंटेक) इस मुद्दे को उठाते रहे और उन्हें फायदा हुआ.

एनडीटीएफ की एसी के आठ पदों पर जीत: एनडीटीएफ के आठ उम्मीदवार डॉ. हरेंद्र तिवारी, डॉ. धनपाल सिंह, डॉ. अंकित अग्रवाल, डॉ. रति ढिल्लो, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. विवेक चौधरी, डॉ. अश्विनी सिहवाल और डॉ. पदम परिहार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. पहले भी उनके आठ उम्मीदवार अकादमिक परिषद में थे. वहीं इंटेक की प्रो. नीलम और डॉ. लतिका गुप्ता अकादमिक परिषद में निर्वाचित हुईं.

शिक्षकों का एनडीटीएफ की नीति में विश्वास: इंटेक के पहले भी दो और डीटीएफ के पहले तीन सदस्य थे. इस बार डॉ. मोनामी सिन्हा, प्रो. संजीव कौशल, डॉ. जीतेंद्र कुमार मीणा और पहली बार चुनाव लड़ रहीं डॉ. अनुमेहा मिश्रा ने जीत हासिल की. एनडीटीएफ के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने कहा कि शिक्षकों ने हमारी नीति में विश्वास जताया है. हम 12 कॉलेज के मुद्दे को जल्द सुलझाएंगे. बता दें कि छह फरवरी को कार्यकारी परिषद और अकादमिक परिषद चुनाव के लिए मतदान हुआ था. कार्यकारी परिषद में दो पदों के लिए पांच और अकादमिक परिषद में 26 पदों के लिए 40 उम्मीदवार मैदान में थे.

ईसी और एसी सीटों पर हार का कारण: आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन एएडीटीए के एक ईसी और एक एसी की सीट पर चुनाव हारने को लेकर एएडीटीए के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि इन दो सीटों पर हमारी हार का कारण एनडीटीएफ की ओर से डीटीएफ को मदद करना रहा. जबकि 12 कॉलेजों को देरी से फंड देना इस चुनाव में मुद्दा नहीं था क्योंकि जो पैसा जारी होना था वह पैसा आ चुका था.

शिक्षकों के हित में लड़ाई का परिणाम कामयाबी: वहीं, एसी की आठ और ईसी की एक सीट पर जीत दर्ज करने वाले संगठन एनडीटीएफ के अध्यक्ष प्रोफेसर एके भागी ने कहा कि ईसी और एसी के चुनाव में एनडीटीएफ की जीत हमारी ओर से शिक्षकों के लिए लड़ी गई लड़ाई का परिणाम है. हमने हमेशा शिक्षकों के हित की में लड़ाई आगे बढ़कर लड़ी है. पिछले दो साल में रिकॉर्ड प्रमोशन और नियुक्तियां हुई हैं. इसका हमें चुनाव में फायदा मिला है. आम आदमी पार्टी की सरकार ने कभी अपने 12 कॉलेजों को समय से फंड नहीं दिया. इससे इन कॉलेजों के शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिला. इस वजय से एएडीटीए को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा. अब दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने जा रही है इन 12 कॉलेजों के फंड की समस्या भी जल्दी दूर हो जाएगी.

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Last Updated : Feb 11, 2025, 5:02 PM IST
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