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Rajasthan High Court: मेडिकल अनफिट को चालक लगाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

मेडिकल रूप से अनफिट चालक को लगाने पर राजस्थान हाइकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

HC sought reply for using medical unfit driver
Rajasthan High Court: मेडिकल अनफिट को चालक लगाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
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Published : Apr 20, 2023, 8:37 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक और अलवर के तिजारा डिपो के मुख्य प्रबंधक से पूछा है कि मेडिकल अनफिट होने के बावजूद याचिकाकर्ता को चालक पद पर क्यों लगाया गया है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश जयपाल सिंह की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता एसके सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 1994 में चालक पद पर नियुक्त किया गया था. वहीं जुलाई 2005 में उसे परिचालक पद का काम सौंपा गया. जिसे वह पूरी ईमानदारी से करता रहा. इस दौरान दिसंबर 2021 में याचिकाकर्ता हृदय रोग से पीड़ित हो गया. जिसके चलते उसके स्टंट लगाने पड़े और उसे कई दिनों तक उसे बेड रेस्ट पर रहना पड़ा. याचिका में कहा गया कि 16 दिसंबर, 2021 को रोडवेज ने उसे परिचालक पद से रिलीव कर चालक नियुक्त कर दिया गया.

पढ़ेंः खेल कोटे में डीसीपी पद पर नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब...

इसे चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा बताया गया कि वह हृदय रोग से पीड़ित है और चालक पद पर काम करने के दौरान बस की सवारियों की जान को भी खतरा हो सकता है. हाल ही में भीलवाड़ा जिले में रोडवेज के एक अन्य बस चालक को बस चलाने के दौरान ही हार्ट अटैक आ गया था. जिसके चलते बस में बैठी ढाई दर्जन सवारियों की जान पर बन आई थी. ऐसे में याचिकाकर्ता को चालक पद से हटाकर परिचालक या कार्यालय का अन्य कार्यभार दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक और अलवर के तिजारा डिपो के मुख्य प्रबंधक से पूछा है कि मेडिकल अनफिट होने के बावजूद याचिकाकर्ता को चालक पद पर क्यों लगाया गया है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश जयपाल सिंह की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता एसके सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 1994 में चालक पद पर नियुक्त किया गया था. वहीं जुलाई 2005 में उसे परिचालक पद का काम सौंपा गया. जिसे वह पूरी ईमानदारी से करता रहा. इस दौरान दिसंबर 2021 में याचिकाकर्ता हृदय रोग से पीड़ित हो गया. जिसके चलते उसके स्टंट लगाने पड़े और उसे कई दिनों तक उसे बेड रेस्ट पर रहना पड़ा. याचिका में कहा गया कि 16 दिसंबर, 2021 को रोडवेज ने उसे परिचालक पद से रिलीव कर चालक नियुक्त कर दिया गया.

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इसे चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा बताया गया कि वह हृदय रोग से पीड़ित है और चालक पद पर काम करने के दौरान बस की सवारियों की जान को भी खतरा हो सकता है. हाल ही में भीलवाड़ा जिले में रोडवेज के एक अन्य बस चालक को बस चलाने के दौरान ही हार्ट अटैक आ गया था. जिसके चलते बस में बैठी ढाई दर्जन सवारियों की जान पर बन आई थी. ऐसे में याचिकाकर्ता को चालक पद से हटाकर परिचालक या कार्यालय का अन्य कार्यभार दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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