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Gandhi Jayanti 2023 : गांधी के साथ से गांधी के बाद तक की परिकल्पना को दिया आधुनिक अवतार, ताकि जुड़ सकें युवा

Gandhi Vatika of Jaipur, राजधानी जयपुर में एक गांधी वाटिका बनाया गया है, जिसमें 'गांधी के साथ से गांधी के बाद' तक की परिकल्पना को आधुनिक रूप दिया गया है. इसके निर्माण में युवाओं का खास ध्यान रखा गया है. गांधी जयंती पर देखिए जयपुर से ये खास रिपोर्ट...

Gandhi Jayanti 2023
गांधी के साथ से गांधी के बाद
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 2, 2023, 8:00 AM IST

गांधी के साथ से गांधी के बाद तक की परिकल्पना को दिया आधुनिक अवतार

जयपुर. पूरा देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है. इस बीच आपको लेकर चलते हैं ऐसी गांधी वाटिका में जहां एक ही प्रांगण में गांधी जी के साउथ अफ्रीका और भारत के पांचों आश्रम नजर आते हैं. यहां उनकी जीवन यात्रा को वॉल पेंटिंग के जरिए उकेरा गया है. मिट्टी की दीवारों से लेकर मिट्टी के स्कल्पचर कई कहानियां कहते हैं. कॉन्फ्रेंस हॉल को ऐसा डिजाइन दिया गया है, मानो गांधी वाटिका में ही बैठे हों. खास बात ये है कि युवाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई इस आधुनिक गांधी वाटिका में गांधी के साथ से गांधी के बाद तक की परिकल्पना को जीवंत होते देखा जा सकता है.

राजधानी में हाल ही में जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से सेंट्रल पार्क में गांधी वाटिका तैयार की गई. इस आधुनिक गांधी वाटिका को बनाने में राज्य सरकार ने 85 करोड़ खर्च किए और 11 सदस्यीय गांधी विचारकों की कमेटी ने इसे मूर्त रूप देने में अहम योगदान निभाया. स्थानीय साधनों के इस्तेमाल से गांधी-वाटिका को इस तरह आकार दिया गया है कि इससे सेंट्रल पार्क के पर्यावरण की भी वृद्धि हो. सादगी और शांति भी बनी रहे. डिजिटल और नवीन तकनीक पर आधारित गांधी-वाटिका को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है.

Gandhi Jayanti 2023
गांधी के साथ से गांधी के बाद तक की परिकल्पना

पहला हिस्सा : अंग्रेजों के भारत आगमन से लेकर गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास तक

वैभव की रोशनी : गुलामी का अंधेरा

आजादी की आहट

1857 की बगावत और घबराए अंग्रेज

गांधीः एक बड़े आदमी की छोटी सी कहानी

दक्षिण अफ्रीकाः गांधी के अनुभव और उनका आंतरिक परिवर्तन

दूसरा हिस्सा : गांधीजी के भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों और उनका दर्शन

स्वदेश आगमन

गांधीमय हुआ देश

1942ः अंग्रेजों भारत छोड़ो

भारत को चुनौती देती सांप्रदायिक ताकतें

आखिरी दिन: आखिरी प्रयोग

तीसरा हिस्सा : एक विशेष पुस्तकालय, सेमीनार हॉल और एक कॉन्फ्रेंस कक्ष बनाया है

राजस्थान ने पकड़ी गांधी की राह

गांधीः अपने आईने में मैं

गांधीजी जी के सपनों का संसार

गांधी विचारक और महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रोफेसर बीएम शर्मा ने बताया कि इस भवन में मिट्टी की दीवारें तैयार की गई हैं. इससे भवन की सादगी और पर्यावरण की हरियाली, संतुलन को बल मिला है. वाटिका की सुंदर हरियाली को चौतरफा बढ़ावा देने के लिए लगभग 14 हजार पेड़-पौधे लगाए गए हैं. वाटिका की केलू की छत और इसके भवन की ऊंचाई सेंट्रल पार्क की प्रकृति से मिलती है. वाटिका के अंदर दो प्रदर्शन-कक्ष, मध्यवर्ती हरा मैदान, कैफेटेरिया, खुला नाट्य-मंच, खुला बड़ा मंच, एक गांधी-पुस्तकालय, विर्मश कक्ष भी तैयार किया गया है.

पढ़ें : International Day of Non-Violence : क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस, क्या है गांधी से संबंध, जानें

प्रोफेसर बीएम शर्मा ने बताया कि ये देश का एकमात्र ऐसा गांधी संस्थान है, जहां युवाओं को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यहां मोहन से महात्मा और महात्मा से राष्ट्रपिता बनने का सफर होलोग्राफिक तकनीक के माध्यम से प्रदर्शित किया जा सकेगा. इस आधुनिक तकनीक से युवाओं को ऐसा लगेगा मानो महात्मा गांधी उनके साथ हैं और युवा उनसे सीधे जुड़ पा रहे हैं. इसके साथ ही यहां गांधी नेहरू का साथ, गांधी का बच्चों के प्रति प्रेम मिट्टी के स्ट्रक्चर के माध्यम से उकेरा गया है. यही नहीं, विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्शन तकनीक, सॉल्ट माउंटेंस, गांधी जी की वास्तविक आवाज, (ऑडियो विजुअल शो) एनीमेटेड शो, इमर्सिव टेक्निक के जरिए ऐतिहासिक घटनाओं से भी रूबरू कराया जा सकेगा.

Gandhi Jayanti 2023
आधुनिक गांधी वाटिका

आपको बता दें कि वाटिका-क्षेत्र का निर्माण 14 हजार 500 वर्गमीटर में हुआ है. वाटिका का अपना क्षेत्रफल लगभग 7 हजार 560 वर्गमीटर है. पावर बैकअप के साथ, आपातकालीन परिस्थितियों के लिए ये भवन तैयार किया गया है. फिलहाल, ऑनलाइन टिकट का मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है. इसके बाद ही इसे आम जनता के लिए शुरू किया जाएगा.

गांधी के साथ से गांधी के बाद तक की परिकल्पना को दिया आधुनिक अवतार

जयपुर. पूरा देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है. इस बीच आपको लेकर चलते हैं ऐसी गांधी वाटिका में जहां एक ही प्रांगण में गांधी जी के साउथ अफ्रीका और भारत के पांचों आश्रम नजर आते हैं. यहां उनकी जीवन यात्रा को वॉल पेंटिंग के जरिए उकेरा गया है. मिट्टी की दीवारों से लेकर मिट्टी के स्कल्पचर कई कहानियां कहते हैं. कॉन्फ्रेंस हॉल को ऐसा डिजाइन दिया गया है, मानो गांधी वाटिका में ही बैठे हों. खास बात ये है कि युवाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई इस आधुनिक गांधी वाटिका में गांधी के साथ से गांधी के बाद तक की परिकल्पना को जीवंत होते देखा जा सकता है.

राजधानी में हाल ही में जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से सेंट्रल पार्क में गांधी वाटिका तैयार की गई. इस आधुनिक गांधी वाटिका को बनाने में राज्य सरकार ने 85 करोड़ खर्च किए और 11 सदस्यीय गांधी विचारकों की कमेटी ने इसे मूर्त रूप देने में अहम योगदान निभाया. स्थानीय साधनों के इस्तेमाल से गांधी-वाटिका को इस तरह आकार दिया गया है कि इससे सेंट्रल पार्क के पर्यावरण की भी वृद्धि हो. सादगी और शांति भी बनी रहे. डिजिटल और नवीन तकनीक पर आधारित गांधी-वाटिका को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है.

Gandhi Jayanti 2023
गांधी के साथ से गांधी के बाद तक की परिकल्पना

पहला हिस्सा : अंग्रेजों के भारत आगमन से लेकर गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास तक

वैभव की रोशनी : गुलामी का अंधेरा

आजादी की आहट

1857 की बगावत और घबराए अंग्रेज

गांधीः एक बड़े आदमी की छोटी सी कहानी

दक्षिण अफ्रीकाः गांधी के अनुभव और उनका आंतरिक परिवर्तन

दूसरा हिस्सा : गांधीजी के भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों और उनका दर्शन

स्वदेश आगमन

गांधीमय हुआ देश

1942ः अंग्रेजों भारत छोड़ो

भारत को चुनौती देती सांप्रदायिक ताकतें

आखिरी दिन: आखिरी प्रयोग

तीसरा हिस्सा : एक विशेष पुस्तकालय, सेमीनार हॉल और एक कॉन्फ्रेंस कक्ष बनाया है

राजस्थान ने पकड़ी गांधी की राह

गांधीः अपने आईने में मैं

गांधीजी जी के सपनों का संसार

गांधी विचारक और महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रोफेसर बीएम शर्मा ने बताया कि इस भवन में मिट्टी की दीवारें तैयार की गई हैं. इससे भवन की सादगी और पर्यावरण की हरियाली, संतुलन को बल मिला है. वाटिका की सुंदर हरियाली को चौतरफा बढ़ावा देने के लिए लगभग 14 हजार पेड़-पौधे लगाए गए हैं. वाटिका की केलू की छत और इसके भवन की ऊंचाई सेंट्रल पार्क की प्रकृति से मिलती है. वाटिका के अंदर दो प्रदर्शन-कक्ष, मध्यवर्ती हरा मैदान, कैफेटेरिया, खुला नाट्य-मंच, खुला बड़ा मंच, एक गांधी-पुस्तकालय, विर्मश कक्ष भी तैयार किया गया है.

पढ़ें : International Day of Non-Violence : क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस, क्या है गांधी से संबंध, जानें

प्रोफेसर बीएम शर्मा ने बताया कि ये देश का एकमात्र ऐसा गांधी संस्थान है, जहां युवाओं को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यहां मोहन से महात्मा और महात्मा से राष्ट्रपिता बनने का सफर होलोग्राफिक तकनीक के माध्यम से प्रदर्शित किया जा सकेगा. इस आधुनिक तकनीक से युवाओं को ऐसा लगेगा मानो महात्मा गांधी उनके साथ हैं और युवा उनसे सीधे जुड़ पा रहे हैं. इसके साथ ही यहां गांधी नेहरू का साथ, गांधी का बच्चों के प्रति प्रेम मिट्टी के स्ट्रक्चर के माध्यम से उकेरा गया है. यही नहीं, विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्शन तकनीक, सॉल्ट माउंटेंस, गांधी जी की वास्तविक आवाज, (ऑडियो विजुअल शो) एनीमेटेड शो, इमर्सिव टेक्निक के जरिए ऐतिहासिक घटनाओं से भी रूबरू कराया जा सकेगा.

Gandhi Jayanti 2023
आधुनिक गांधी वाटिका

आपको बता दें कि वाटिका-क्षेत्र का निर्माण 14 हजार 500 वर्गमीटर में हुआ है. वाटिका का अपना क्षेत्रफल लगभग 7 हजार 560 वर्गमीटर है. पावर बैकअप के साथ, आपातकालीन परिस्थितियों के लिए ये भवन तैयार किया गया है. फिलहाल, ऑनलाइन टिकट का मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है. इसके बाद ही इसे आम जनता के लिए शुरू किया जाएगा.

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