जयपुर. पूरा देश आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है. इस बीच आपको लेकर चलते हैं ऐसी गांधी वाटिका में जहां एक ही प्रांगण में गांधी जी के साउथ अफ्रीका और भारत के पांचों आश्रम नजर आते हैं. यहां उनकी जीवन यात्रा को वॉल पेंटिंग के जरिए उकेरा गया है. मिट्टी की दीवारों से लेकर मिट्टी के स्कल्पचर कई कहानियां कहते हैं. कॉन्फ्रेंस हॉल को ऐसा डिजाइन दिया गया है, मानो गांधी वाटिका में ही बैठे हों. खास बात ये है कि युवाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई इस आधुनिक गांधी वाटिका में गांधी के साथ से गांधी के बाद तक की परिकल्पना को जीवंत होते देखा जा सकता है.
राजधानी में हाल ही में जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से सेंट्रल पार्क में गांधी वाटिका तैयार की गई. इस आधुनिक गांधी वाटिका को बनाने में राज्य सरकार ने 85 करोड़ खर्च किए और 11 सदस्यीय गांधी विचारकों की कमेटी ने इसे मूर्त रूप देने में अहम योगदान निभाया. स्थानीय साधनों के इस्तेमाल से गांधी-वाटिका को इस तरह आकार दिया गया है कि इससे सेंट्रल पार्क के पर्यावरण की भी वृद्धि हो. सादगी और शांति भी बनी रहे. डिजिटल और नवीन तकनीक पर आधारित गांधी-वाटिका को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है.
पहला हिस्सा : अंग्रेजों के भारत आगमन से लेकर गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास तक
वैभव की रोशनी : गुलामी का अंधेरा
आजादी की आहट
1857 की बगावत और घबराए अंग्रेज
गांधीः एक बड़े आदमी की छोटी सी कहानी
दक्षिण अफ्रीकाः गांधी के अनुभव और उनका आंतरिक परिवर्तन
दूसरा हिस्सा : गांधीजी के भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों और उनका दर्शन
स्वदेश आगमन
गांधीमय हुआ देश
1942ः अंग्रेजों भारत छोड़ो
भारत को चुनौती देती सांप्रदायिक ताकतें
आखिरी दिन: आखिरी प्रयोग
तीसरा हिस्सा : एक विशेष पुस्तकालय, सेमीनार हॉल और एक कॉन्फ्रेंस कक्ष बनाया है
राजस्थान ने पकड़ी गांधी की राह
गांधीः अपने आईने में मैं
गांधीजी जी के सपनों का संसार
गांधी विचारक और महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रोफेसर बीएम शर्मा ने बताया कि इस भवन में मिट्टी की दीवारें तैयार की गई हैं. इससे भवन की सादगी और पर्यावरण की हरियाली, संतुलन को बल मिला है. वाटिका की सुंदर हरियाली को चौतरफा बढ़ावा देने के लिए लगभग 14 हजार पेड़-पौधे लगाए गए हैं. वाटिका की केलू की छत और इसके भवन की ऊंचाई सेंट्रल पार्क की प्रकृति से मिलती है. वाटिका के अंदर दो प्रदर्शन-कक्ष, मध्यवर्ती हरा मैदान, कैफेटेरिया, खुला नाट्य-मंच, खुला बड़ा मंच, एक गांधी-पुस्तकालय, विर्मश कक्ष भी तैयार किया गया है.
प्रोफेसर बीएम शर्मा ने बताया कि ये देश का एकमात्र ऐसा गांधी संस्थान है, जहां युवाओं को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यहां मोहन से महात्मा और महात्मा से राष्ट्रपिता बनने का सफर होलोग्राफिक तकनीक के माध्यम से प्रदर्शित किया जा सकेगा. इस आधुनिक तकनीक से युवाओं को ऐसा लगेगा मानो महात्मा गांधी उनके साथ हैं और युवा उनसे सीधे जुड़ पा रहे हैं. इसके साथ ही यहां गांधी नेहरू का साथ, गांधी का बच्चों के प्रति प्रेम मिट्टी के स्ट्रक्चर के माध्यम से उकेरा गया है. यही नहीं, विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्शन तकनीक, सॉल्ट माउंटेंस, गांधी जी की वास्तविक आवाज, (ऑडियो विजुअल शो) एनीमेटेड शो, इमर्सिव टेक्निक के जरिए ऐतिहासिक घटनाओं से भी रूबरू कराया जा सकेगा.
आपको बता दें कि वाटिका-क्षेत्र का निर्माण 14 हजार 500 वर्गमीटर में हुआ है. वाटिका का अपना क्षेत्रफल लगभग 7 हजार 560 वर्गमीटर है. पावर बैकअप के साथ, आपातकालीन परिस्थितियों के लिए ये भवन तैयार किया गया है. फिलहाल, ऑनलाइन टिकट का मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है. इसके बाद ही इसे आम जनता के लिए शुरू किया जाएगा.