जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस सरकार की स्थिति मध्यप्रदेश और कर्नाटका जैसी नहीं है. लिहाजा यहां अपनी सरकार बनाने के सपने देखने के बजाय भाजपा नेता मौजूदा गहलोत सरकार को अस्थिर करने में जुटे हैं. लोकसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद प्रदेश कांग्रेस में आए सियासी भूचाल का फायदा लेने की जुगत में प्रदेश भाजपा के नेता जुटे हैं. खासतौर पर इस कवायद के दौरान कांग्रेस के असंतुष्ट विधायक और नेताओं पर भाजपा की नजरें है. तो वहीं प्रदेश के निर्दलीय विधायकों से भी भाजपा संपर्क में है.
राजस्थान में मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसी स्थिति कांग्रेस की नहीं है. लिहाजा यहां सरकार गिराने के मंसूबे भाजपा के शायद ही पूरे हो. लेकिन सरकार को अस्थिर करने से जुड़े बयान लगातार भाजपा के नेता दे रहे हैं. फिर चाहे भाजपा अध्यक्ष मदन लाल सैनी हो या प्रदेश उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा या फिर पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ और राजेंद्र राठौड़ सभी के कांग्रेस के खिलाफ बयान आ रहे हैं. बता दें कि अहूजा पहले ही इशारा कर चुके हैं कि केंद्र में मंत्रिमंडल के गठन के बाद देखिए होता है क्या. कालीचरण सराफ और राजेंद्र राठौड़ लगातार मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के सदस्यों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. वहीं अब भाजपा युवा मोर्चा पदाधिकारियों ने भी पार्टी के निर्देश पर गहलोत और पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मोर्चा प्रदेश महामंत्री राजेंद्र गुर्जर ने भी लोकसभा में हुई कांग्रेस की हार और प्रदेश कांग्रेस में चल रही जूतमपैजार को देखते हुए मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के सदस्यों से इस्तीफे की मांग कर डाली.
200 विधानसभा सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 100 सीटें हैं. भाजपा के पास 73 सीट है. वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ हुए बीजेपी के गठबंधन के बाद आरएलपी की 3 सीटें भी भाजपा के खाते में जुड़ती है. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में भाजपा और आरएलपी के एक-एक विधायक सांसद बन गए हैं. लिहाजा 2 सीटें भाजपा के खाते से कम हो गई हैं. इसी तरह 13 निर्दलीय, 2 माकपा, 6 बहुजन समाज पार्टी,1 राष्ट्रीय लोक दल और 2 सीटें भारतीय ट्राइबल पार्टी के पास है. मतलब बहुमत की बात फिलहाल भाजपा के लिए दूर की कौड़ी साबित होती दिखती है. यही कारण है कि भाजपा राजस्थान में कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने में जुटी हैं ताकि मौका मिलते ही उसका फायदा लिया जाए.