जयपुर. बिहार में चमकी बुखार का तांडव जारी है. बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. यहां 100 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है. यह बिमारी हर साल आती है और सैकड़ों बच्चों को मौत की नींद सुला देती है. लेकिन इस साल मौत का आंकड़ा सबसे अधिक रहा. इसी को देखते हुए राजस्थान सरकार ने भी प्रदेश में चमकी बुखार को लेकर अलर्ट जारी किया है.
हालांकि राजस्थान में इसका कोई केस सामने नहीं आया है, लेकिन सावधानी बेहद जरूरी है. चिकित्सकों की मानें तो एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार के लिए बचाव बहुत जरूरी है. क्योंकि बचाव ही इसका असली उपाय है. यह जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस के चलते मच्छर के काटने से फेलता है. हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि बिहार और यूपी के कुछ क्षेत्रों में यह वायरस अत्यधिक मात्रा में फैला होता है और इसका मुख्य कारण खेतों में पानी जमा होना है. चिकित्सकों का यह भी कहना है कि कच्ची लीची के सेवन के चलते भी व्यक्ति वायरस की चपेट में आ सकता है और बच्चों में इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होने के चलते बच्चे इसकी चपेट में सबसे जल्दी आते हैं.
बचाव ही इलाज
डॉक्टर्स का कहना है कि हालांकि इस वायरस से का वैक्सीनेशन किया जाता है लेकिन अगर किसी कारण वश वैक्सीनेशन नहीं हो तो बुखार होने पर तुरंत चिकित्सक के परामर्श जरूर लें क्योंकि जितना जल्दी व्यक्ति को इलाज मिलेगा उसके ठीक होने की संभावना है उतनी ही अधिक है.
यह है लक्षण
चमकी बुखार है चपेट में आने के बाद व्यक्ति को दौरे आने शुरू हो जाते हैं और व्यक्ति बुखार की चपेट में भी आ जाता है. अगर समय पर इलाज ना हो तो व्यक्ति कोमा में भी पहुंच सकता है और आखिर में उसकी मृत्यु भी हो सकती है. चिकित्सकों का कहना है कि सही समय पर इलाज और वैक्सीनेशन के चलते ही इस बीमारी से बचा जा सकता है. सरकार ने प्रदेश में चमकी बुखार को लेकर अलर्ट जारी किया है और सभी अस्पतालों में इस बीमारी से निपटने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं.