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बजट से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नाराज, कहा सरकार ने किया छलावा

गहलोत सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा सरकार ने उनके साथ छलावा किया है. 2 लाख आंगनबड़ी कार्यकर्ताओं की आशा पर बजट में पानी फिरा है. जिसके बाद उन्होंने सरकार को आंदोलन के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है.

बजट पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नाराजगी
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Published : Jul 10, 2019, 6:22 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को बजट पेश कर दिया. बजट के जरिए सीएम गहलोत ने हर वर्ग को साधने की कोशिश की है. बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता और सहायिका का मानदेय बढ़ाने की घोषणा की गई लेकिन इस बजट में आशा सहयोगिनी शिशु पालन कार्यकर्ता और ग्राम साथिन को नजरअंदाज कर दिया गया.

ऐसे में अब अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दे दी है. गहलोत सरकार ने आज अपने बजट भाषण में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 1500 मिनी कार्यकर्ता की 1250 और सहायिका के ₹750 मानदेय बढ़ाने की घोषणा की है. लेकिन सीएम गहलोत द्वारा इस बजट में शिशु पालन कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन के मानदेय बढ़ाने को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई. जिसके बाद प्रदेशभर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ में नाराजगी देखी गई है.

बजट पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नाराजगी

अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ ने सीएम गहलोत से मांग की है कि वह अपने इस बजट को संशोधित कर बजट पेश करते हुए शिशु पालन कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन का मानदेय बढ़ाने की घोषणा करें. और साथ ह चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में सरकार को प्रदेश की 70 हजार से अधिक इन कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है.

संयुक्त कर्मचारी संघ के संस्थापक छोटे लाल बुनकर ने बताया कि सरकार से मांग कर गई थी कि वह सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को समान रूप से मानदेय बढ़ाए लेकिन सरकार ने कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता और सहायिका का मानदेय बढ़ाया जबकि शिशु पालन कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन के मानदेय बढ़ाने की कोई घोषणा नहीं की. ऐसे में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

बुनकर ने बताया कि सरकार की हर योजना को गांव ढाणी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आशा सहयोगिनी, ग्राम साथिन की होती है. यह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है. जो राज्य सरकार के अधीन आती हैं जबकि कार्यकर्ता मिनी कार्यकर्ता और सहायिका, केंद्र सरकार के अधीन आती है. शिशु पालन कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन यह राज्य सरकार के अधीन आती हैं लेकिन दुर्भाग्य कि राज्य सरकार ने अपनी द्वारा लगाए गए आंगनबाड़ी महिला कर्मियों की सुध नहीं ली.

बता दें कि प्रदेश में करीब दो लाख महिला आंगनबाड़ी कर्मी है. जिनमें शिशु पालन कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन की संख्या करीब 70 हजार से अधिक है और इन सभी के जिम्मे गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य की और शिशु के टीकाकरण सहित जच्चा-बच्चा की जिम्मेदारी होती है. ऐसे में अगर यह वर्ग सरकार से नाराज होकर आंदोलन पर उतर जाता है तो सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं पर भी काफी असर पड़ेगा.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को बजट पेश कर दिया. बजट के जरिए सीएम गहलोत ने हर वर्ग को साधने की कोशिश की है. बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता और सहायिका का मानदेय बढ़ाने की घोषणा की गई लेकिन इस बजट में आशा सहयोगिनी शिशु पालन कार्यकर्ता और ग्राम साथिन को नजरअंदाज कर दिया गया.

ऐसे में अब अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दे दी है. गहलोत सरकार ने आज अपने बजट भाषण में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 1500 मिनी कार्यकर्ता की 1250 और सहायिका के ₹750 मानदेय बढ़ाने की घोषणा की है. लेकिन सीएम गहलोत द्वारा इस बजट में शिशु पालन कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन के मानदेय बढ़ाने को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई. जिसके बाद प्रदेशभर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ में नाराजगी देखी गई है.

बजट पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नाराजगी

अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ ने सीएम गहलोत से मांग की है कि वह अपने इस बजट को संशोधित कर बजट पेश करते हुए शिशु पालन कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन का मानदेय बढ़ाने की घोषणा करें. और साथ ह चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में सरकार को प्रदेश की 70 हजार से अधिक इन कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है.

संयुक्त कर्मचारी संघ के संस्थापक छोटे लाल बुनकर ने बताया कि सरकार से मांग कर गई थी कि वह सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को समान रूप से मानदेय बढ़ाए लेकिन सरकार ने कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता और सहायिका का मानदेय बढ़ाया जबकि शिशु पालन कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन के मानदेय बढ़ाने की कोई घोषणा नहीं की. ऐसे में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

बुनकर ने बताया कि सरकार की हर योजना को गांव ढाणी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आशा सहयोगिनी, ग्राम साथिन की होती है. यह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है. जो राज्य सरकार के अधीन आती हैं जबकि कार्यकर्ता मिनी कार्यकर्ता और सहायिका, केंद्र सरकार के अधीन आती है. शिशु पालन कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन यह राज्य सरकार के अधीन आती हैं लेकिन दुर्भाग्य कि राज्य सरकार ने अपनी द्वारा लगाए गए आंगनबाड़ी महिला कर्मियों की सुध नहीं ली.

बता दें कि प्रदेश में करीब दो लाख महिला आंगनबाड़ी कर्मी है. जिनमें शिशु पालन कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन की संख्या करीब 70 हजार से अधिक है और इन सभी के जिम्मे गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य की और शिशु के टीकाकरण सहित जच्चा-बच्चा की जिम्मेदारी होती है. ऐसे में अगर यह वर्ग सरकार से नाराज होकर आंदोलन पर उतर जाता है तो सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं पर भी काफी असर पड़ेगा.

Intro:
जयपुर

बजट से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नाराज , कहा सरकार ने किया छलावा , 2 लाख आंगनबड़ी कार्यकर्ताओं की आशा पर बजट में फ़िरा पानी , अब आंदोलन की की तैयारी

एंकर:- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज अपना बजट पेश कर दिया बजट के जरिए सीएम गहलोत ने हर वर्ग को साधने की कोशिश करें बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता , मिनी कार्यकर्ता और सहायिका का मानदेय बढ़ाने की घोषणा करी गई , लेकिन इस बजट में आशा सहयोगिनी शिशु पालन कार्यकर्ता और ग्राम साथिन को नजरअंदाज कर दिया गया ऐसे में अब अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दे दी है।


Body:VO:- गहलोत सरकार ने आज अपने बजट भाषण में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 1500 मिनी कार्यकर्ता की 1250 और सहायिका के ₹750 मानदेय बढ़ाने की घोषणा करी है लेकिन सीएम गहलोत किस बजट में शिशु पालन कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन के मानदेय बढ़ाने को लेकर कोई घोषणा नहीं करी गई इसके बाद प्रदेशभर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ में नाराजगी देखी गई है अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ ने सीएम गहलोत से मांग करिए कि वह अपने इस बजट में संशोधित बजट पेश करते हुए शिशु पालन कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन का मानदेय बढ़ाने की घोषणा करें नहीं तो आने वाले दिनों में सरकार को प्रदेश की 70 हजार से अधिक इन कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है संयुक्त कर्मचारी संघ के संस्थापक छोटे लाल बुनकर ने बताया कि सरकार से मांग कर गई थी कि वह सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को समान रूप से मानदेय बढ़ाए लेकिन सरकार ने कार्यकर्ता मिनी कार्यकर्ता और सहायिका का मानदेय बढ़ाया जबकि शिशु पालन कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन के मानदेय बढ़ाने की कोई घोषणा नहीं कर गई ऐसे में प्रदेश की सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं में सरकार के प्रति नाराजगी है अगर सरकार समय रहते अपनी इस गलती को नहीं सुधरती है तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा बुनकर ने बताया कि सरकार की हर योजना को गांव ढाणी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आशा सहयोगिनी ग्राम साथिन की होती है यह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है दो राज्य सरकार के अधीन आती हैं जबकि कार्यकर्ता मिनी कार्यकर्ता और सहायिका केंद्र सरकार के अधीन आती है शिशु पालन कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन यह राज्य सरकार के दिन आती हैं लेकिन दुर्भाग्य कि राज्य सरकार ने अपनी द्वारा लगाए गए आंगनबाड़ी महिला कर्मियों की सुध नहीं ली हम आपको बता दें कि प्रदेश में करीब दो लाख महिला आंगनबाड़ी कर्मी है जिनमें शिशु पालन कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन की संख्या करीब 70000 से अधिक है और इन सभी के जिम्मे गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य की और शिशु के टीकाकरण सहित जच्चा बच्चा की जिम्मेदारी इन्हीं आंगनबाड़ी महिला कर्मियों के जिम्मे है ऐसे में अगर यह वर्ग सरकार से नाराज होकर आंदोलन पर उतर जाता है तो सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं पर भी काफी असर पड़ेगा ।
one to one छोटे लाल बुनकर - संस्थापक , अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ


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