जयपुर. वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी उमेश मिश्रा ने डीजीपी का पदभार ग्रहण करते ही प्रदेश के तमाम पुलिसकर्मियों को यह चेतावनी दी थी कि जो काम नहीं करेगा, उसे उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. डीजीपी उमेश मिश्रा ने ऐसे पुलिसकर्मियों के सर्विस रिकॉर्ड को खंगाला जो लगातार खराब होते जा रहे हैं और फिर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के आदेश दिए गए. पुलिस मुख्यालय द्वारा रिव्यु करने के बाद 11 पुलिसकर्मियों सहित 19 कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई (19 police personal given compulsory retirement) है.
इनमें वे पुलिसकर्मी शामिल हैं जिनकी अपराधियों से सांठगांठ पाई गई है या अनुसंधान में असमर्थ रहे हैं और जिनका सर्विस रिकॉर्ड लगातार खराब होता गया है. डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि पुलिस मुख्यालय ने 5 निरीक्षक, 6 उपनिरीक्षक और 8 मंत्रालियक कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी है. जिन पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है उनका सर्विस रिकॉर्ड काफी लंबे समय से खराब चल रहा है. उनके खिलाफ कई बार विभागीय कार्रवाई भी की जा चुकी है. जिन 5 पुलिस निरीक्षक को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है उनका सर्विस रिकॉर्ड कुछ इस प्रकार रहा है:
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गणपत राम: पुलिस मुख्यालय की ओर से विभागीय कार्रवाई करते हुए वर्ष 2002 से 2021 तक 16 व 17 सीसीए से 9 बार दंडित किया जा चुका है. आरोपियों की जानकारी होने पर भी उन्हें नहीं पकड़ना और अनुसंधान में गड़बड़ी करना.
संजय कुमार शर्मा: पुलिस मुख्यालय की विभागीय कार्रवाई में वर्ष 2010 से 2017 तक 16 व 17 सीसीए से 8 बार दंडित किया जा चुका है. जवानों से मंदिर के नाम पर चंदा लेकर स्वयं रखना, हेड़ कांस्टेबल द्वारा महिला कांस्टेबल से छेड़छाड़ करने के मामले में 20 हजार रुपए रिश्वत मांगना और अनुसंधान अधिकारी के समक्ष गलत बयान देकर उच्च अधिकारियों को गुमराह करना, महिला कांस्टेबल की छुट्टी की अर्जी आने के बाद बार-बार फोन कर परेशान करना.
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नरेन्द्र सिंह: पुलिस मुख्यालय की विभागीय कार्रवाई में वर्ष 1999 से 2017 तक 16 व 17 सीसीए से 7 बार दंडित किया जा चुका है. ड्यूटी पर बार-बार गैर हाजिर रहना, ड्यूटी पर शराब पीना, रिकॉर्ड खुर्दबुर्द करना, अनुसंधान करने में असमर्थ, फर्जी मेडिकल पेश करना.
बनवारी लाल: पुलिस मुख्यालय की ओर से विभागीय कार्रवाई में वर्ष 2003 से 2021 तक 16 व 17 सीसीए से 17 बार दंडित किया जा चुका है. मृतक की फोटोग्राफी नहीं करवाना, मुलजिम पेशी के बाद हथियार खुद के साथ घर पर ले जाना, संबंधित सीओ को सूचना दिए बिना एफआर लगाना, वीआइपी ड्यूटी से स्वेच्छा से गैर हाजिर होना, प्रकरण में आरोपी पक्ष को लाभ पहुंचाना, निर्दोष लोगों को मुलजिम बनाना, सटोरियों से मिलीभगत व मासिक बंधी लेना, अनुसंधान करने में असमर्थ.
जितेन्द्र कुमार गंगवानी: पुलिस मुख्यालय की विभागीय कार्रवाई में वर्ष 2008 से 2015 तक 16 व 17 सीसीए से 6 बार दंडित किया जा चुका है. बिना रिकॉर्ड के परिवादी को थाने पर लाकर मारपीट करना, मृतक का मौका मुआयना नहीं करना और सीओ को इस संबंध में जानकारी नहीं देना, निजी कार मालिक की गाड़ी को हजारों किलोमीटर चलाकर किराया समय पर नहीं देना, चार्जशीट समय पर पेश नहीं करना, अनुसंधान करने में असमर्थ.