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आबकारी विभाग में घोटाले पर अधिकारियों में हड़कंप, रिकॉर्ड खंगालने में जुटी जांच टीम - Excise Department related news

हनुमानगढ़ में शराब के नाम पर करीब एक करोड़ का घोटाला होने का मामला सामने आया है. ऐसे में इस घोटाले के बाद से अधिकारी इसकी जांच में जुटे हैं. बताया जा रहा है कि इस घोटाले की गाज कई शराब ठेकेदारों पर भी गिरी है.

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Published : Oct 8, 2019, 6:21 PM IST

हनुमानगढ़. जिला आबकारी कार्यालय में पिछले तीन महीने में शराब के नाम पर करीब एक करोड़ का घोटाला होने का मामला सामने आया है. अधिकारियों की ओर से अभी तक जो तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाई गई है, उसके मुताबिक घोटला की प्रथम दृष्टया की पुष्टि हो चुकी है.

आबकारी विभाग में घोटाला

मामला बड़ा होने के कारण बीकानेर से लेकर उदयपुर के अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं. इसके तहत अवकाश के दिन भी बीकानेर की विभागीय टीम हनुमानगढ़ कार्यालय में दिनभर दस्तावेज खंगालने में जुटी रही. सूत्रों के अनुसार इस घोटाले की गाज कई शराब ठेकेदारों पर भी गिरी है.

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जानकारी के अनुसार गबन का यह खेल पांच अप्रैल 2019 से चल रहा था. इसकी भनक हनुमानगढ़ के जिला आबकारी अधिकारी को कुछ दिन पहले ही पड़ी. ऐसे में भादरा क्षेत्र की दस शराब की दुकानें, रावतसर क्षेत्र की सात शराब की दुकानें और नोहर क्षेत्र की 12 शराब की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की एवज में करीब एक करोड़ की राशि के कागजों में गड़बड़ी की गई है.

वहीं, इस गड़बड़ी के शक में आबाकरी विभाग ने सबसे पहले अपनी जांच में विभाग के ही लिपिक ग्रेड द्वितीय इंद्रजीत सिंह को लपेटे में लिया है. बताया जा रहा है कि बीते 27 सितंबर को जिला आबकारी अधिकारी सहदेव रत्नू ने करीब एक करोड़ की राशि का ब्योरा और रिकार्ड देने के लिए नोटिस भी दिया था. इसके बाद उच्चाधिकारियों के पास इस मामले की पूरी जानकारी पहुंची तो पूरे विभाग में हड़कंप सा मच गया.

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शराब ठेकेदारों को गोदाम से शराब लेने के लिए राशि बैंक में जमा करवाना होती है. इसके लिए ईमित्र से तीन चालान निकलवाने पड़ते हैं. चालान की राशि संबधित पांच या छह बैंकों में से एक में जमा करवानी होती है. ऐसे में एक चालान की कॉपी बैंक के पास रहती है और दो चालान की कॉपी ठेकेदार को दी जाती हैं. इसमें से एक कॉपी ठेकेदार खुद के पास रखता है और दूसरी चालान की कॉपी शराब उठाने के लिए गोदाम में जमा करवाता है.

वहीं भादरा क्षेत्र की दस दुकानों की शराब की 20 लाख 36 हजार दो सौ रुपए की राशि का चालान तो आबकारी कार्यालय में पहुंच गया, लेकिन राशि खाता में जमा ही नहीं हुई. इसी तरह रावतसर क्षेत्र की सात शराब दुकानों के माल की राशि 45 लाख 92 हजार 150 रुपए की राशि भी विभाग के खाते में जमा नहीं होना पाया गया. जबकि इसका चालान विभाग की फाइलों में जमा है. इसके अलावा नोहर की 12 शराब की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की राशि में से 33 लाख 30 हजार 400 रुपए की राशि विभाग के बैंक अकाउंट में तो जमा नहीं हुई, लेकिन विभाग के फाइलों में जमा है. ऐसे में कुल मिलाकर 99 लाख 58 हजार 750 रुपए विभाग के खाते में जमा नहीं हुए है, लेकिन राशि गई कहां इसकी गुपचुप तरीके से जांच चल रही हैं.

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27 सितंबर 2019 को जिला आबकारी अधिकारी ने वृत भादरा अतिरिक्त प्रभार कार्यालय आबकारी निरीक्षक नोहर, रावतसर के लिपिक इंन्द्रजीत सिंह को नोटिस जारी किया गया है. इस नोटिस में लिखा गया है कि संबंधित इलाके का चार्ज आपके पास है. ऐसे में वित्तीय वर्ष 2019-2020 के निर्गम चालान और परमिटों का मिलान आप के द्वारा नहीं किया गया है. जिला कार्यालय में पदस्थापित लिपिक प्रथम इकबाल सिंह की ओर से आबकारी वृत भादरा, रावतसर, नोहर के चालानों का मिलान ई-ग्रास की साईड पर किया गया.

हनुमानगढ़. जिला आबकारी कार्यालय में पिछले तीन महीने में शराब के नाम पर करीब एक करोड़ का घोटाला होने का मामला सामने आया है. अधिकारियों की ओर से अभी तक जो तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाई गई है, उसके मुताबिक घोटला की प्रथम दृष्टया की पुष्टि हो चुकी है.

आबकारी विभाग में घोटाला

मामला बड़ा होने के कारण बीकानेर से लेकर उदयपुर के अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं. इसके तहत अवकाश के दिन भी बीकानेर की विभागीय टीम हनुमानगढ़ कार्यालय में दिनभर दस्तावेज खंगालने में जुटी रही. सूत्रों के अनुसार इस घोटाले की गाज कई शराब ठेकेदारों पर भी गिरी है.

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जानकारी के अनुसार गबन का यह खेल पांच अप्रैल 2019 से चल रहा था. इसकी भनक हनुमानगढ़ के जिला आबकारी अधिकारी को कुछ दिन पहले ही पड़ी. ऐसे में भादरा क्षेत्र की दस शराब की दुकानें, रावतसर क्षेत्र की सात शराब की दुकानें और नोहर क्षेत्र की 12 शराब की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की एवज में करीब एक करोड़ की राशि के कागजों में गड़बड़ी की गई है.

वहीं, इस गड़बड़ी के शक में आबाकरी विभाग ने सबसे पहले अपनी जांच में विभाग के ही लिपिक ग्रेड द्वितीय इंद्रजीत सिंह को लपेटे में लिया है. बताया जा रहा है कि बीते 27 सितंबर को जिला आबकारी अधिकारी सहदेव रत्नू ने करीब एक करोड़ की राशि का ब्योरा और रिकार्ड देने के लिए नोटिस भी दिया था. इसके बाद उच्चाधिकारियों के पास इस मामले की पूरी जानकारी पहुंची तो पूरे विभाग में हड़कंप सा मच गया.

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शराब ठेकेदारों को गोदाम से शराब लेने के लिए राशि बैंक में जमा करवाना होती है. इसके लिए ईमित्र से तीन चालान निकलवाने पड़ते हैं. चालान की राशि संबधित पांच या छह बैंकों में से एक में जमा करवानी होती है. ऐसे में एक चालान की कॉपी बैंक के पास रहती है और दो चालान की कॉपी ठेकेदार को दी जाती हैं. इसमें से एक कॉपी ठेकेदार खुद के पास रखता है और दूसरी चालान की कॉपी शराब उठाने के लिए गोदाम में जमा करवाता है.

वहीं भादरा क्षेत्र की दस दुकानों की शराब की 20 लाख 36 हजार दो सौ रुपए की राशि का चालान तो आबकारी कार्यालय में पहुंच गया, लेकिन राशि खाता में जमा ही नहीं हुई. इसी तरह रावतसर क्षेत्र की सात शराब दुकानों के माल की राशि 45 लाख 92 हजार 150 रुपए की राशि भी विभाग के खाते में जमा नहीं होना पाया गया. जबकि इसका चालान विभाग की फाइलों में जमा है. इसके अलावा नोहर की 12 शराब की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की राशि में से 33 लाख 30 हजार 400 रुपए की राशि विभाग के बैंक अकाउंट में तो जमा नहीं हुई, लेकिन विभाग के फाइलों में जमा है. ऐसे में कुल मिलाकर 99 लाख 58 हजार 750 रुपए विभाग के खाते में जमा नहीं हुए है, लेकिन राशि गई कहां इसकी गुपचुप तरीके से जांच चल रही हैं.

पढ़े:जोधपुर में 6500 स्कूली छात्र बनेंगे 'महात्मा गांधी, बनाए जाएंगे चार तरह के रिकॉर्ड

27 सितंबर 2019 को जिला आबकारी अधिकारी ने वृत भादरा अतिरिक्त प्रभार कार्यालय आबकारी निरीक्षक नोहर, रावतसर के लिपिक इंन्द्रजीत सिंह को नोटिस जारी किया गया है. इस नोटिस में लिखा गया है कि संबंधित इलाके का चार्ज आपके पास है. ऐसे में वित्तीय वर्ष 2019-2020 के निर्गम चालान और परमिटों का मिलान आप के द्वारा नहीं किया गया है. जिला कार्यालय में पदस्थापित लिपिक प्रथम इकबाल सिंह की ओर से आबकारी वृत भादरा, रावतसर, नोहर के चालानों का मिलान ई-ग्रास की साईड पर किया गया.

Intro:हनुमानगढ़. जिला आबकारी कार्यालय में गत तीन माह में मदिरा के नाम पर करीब एक करोड़ का घोटाला होने का मामला सामने आया है। अधिकारियों की ओर से अभी तक जो तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाई गई है। उसमें घोटला की प्रथम दृष्टया पुष्टि भी हो चुकी है।Body:मामला बड़ा होने के कारण बीकानेर से लेकर उदयपुर के अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं। इसके तहत अवकाश के दिन बीकानेर की विभागीय टीम हनुमानगढ़ कार्यालय में दिनभर दस्तावेज खंगालने में जुटी रही। सूत्रों के अनुसार इस घोटाले की गाज कई मदिरा के ठेकेदारों पर भी गिरी है। जानकारी के अनुसार गबन का खेल पांच अप्रेल 2019 से चल रहा था। इसकी भनक हनुमानगढ़ के जिला आबकारी अधिकारी को कुछ दिन पहले पड़ी और पैरों के नीचे जमीन उस वक्त खिसक गई, जब एक राष्ट्रीय स्तर के बैंक ने अपनी मुहर को फर्जी और जाली बताया। जानकारी के अनुसार भादरा क्षेत्र की दस शराब की दुकानें, रावतसर क्षेत्र की भी सात मदिरा की दुकानें व नोहर क्षेत्र की 12 मदिरा की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की एवज में कागजों में जमा दिखाई गई एक करोड़ की राशि को खुर्दबुर्द किया गया है। खुर्द-बुर्द करने के पीछे आबाकरी विभाग ने सबसे पहले अपनी जांच में विभाग के ही लिपिक ग्रेड द्वितीय इंद्रजीत सिंह को लपेटे में लेते हुए 27 सितंबर को जिला आबकारी अधिकारी सहदेव रत्नू ने करीब एक करोड़ की राशि का ब्यौरा व रिकार्ड देने के लिए नोटिस भी दिया था। इसके बाद उच्चाधिकारियों के पास इस मामले की पूरी जानकारी पहुंची तो पूरे विभाग में हडकंप मचा हुआ है।शराब ठेकेदारों को गोदाम से मदिरा लेने के लिए राशि बैंक में जमा करवाना होती है। इसके लिए ईमित्र से तीन चालान निकलवाने पड़ते हैं। चालान की राशि संंबंधित पांच या छह बैंकों में एक में जमा करवानी होती है। एक चालान की कॉपी बैंक के पास रहती है और दो चालान की कॉपी ठेकेदार को दी जाती हैं। इसमें से एक कॉपी ठेकेदार खुद के पास रखता है और दूसरी चालान की कॉपी मदिरा उठाने के लिए गोदाम में जमा करवाता है। जानकारी के अनुसार भादरा क्षेत्र की दस दुकानों की मदिरा की 20 लाख 36 हजार दो सौ रुपए की राशि का चालान तो आबकारी कार्यालय में पहुंच गया लेकिन राशि खाती में जमा नहीं हुई। इसी तरह रावतसर क्षेत्र की सात मदिरा दुकानों के माल की राशि 45 लाख 92 हजार 150 रुपए की राशि भी विभाग के खाते में जमा नहीं होना पाया गया। जबकि इसका चालान विभाग की फाइलों में जमा है। इसके अलावा नोहर की 12 मदिरा की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की राशि में से 33 लाख 30 हजार 400 रुपए की राशि विभाग के बैंक अकाउंट में तो जमा नहीं हुई, लेकिन विभाग के फाइलों में जमा बोल रही है। कुल मिलाकर 99 लाख 58 हजार 750 रुपए विभाग के खाते में जमा नहीं हुए लेकिन राशि गई कहां इसकी गुपचुप तरीके से जांच चल रही है।

बाइट :- संजीव कुमार जिला आबकारी अधिकारी

Conclusion:27 सितंबर 2019 को जिला आबकारी अधिकारी ने वृत भादरा अतिरिक्त प्रभार कार्यालय आबकारी निरीक्षक नोहर, रावतसर के लिपिक इंन्द्रजीत सिंह को नोटिस जारी किया। इसमें लिखा कि संबधित इलाके का चार्ज आपके पास है। वित्तीय वर्ष 2019-2020 के निर्गम चालान व परमिटों का मिलान आप द्वार नहीं किया गया। जिला कार्यालय में पदस्थापित लिपिक प्रथम इकबाल सिंह की ओर से आबकारी वृत भादरा, रावतसर, नोहर के चालानों का मिलान ई-ग्रास की साईड पर किया गया।







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