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डूंगरपुर में खेली गई परंपरागत पत्थर मार होली, 2 दर्जन से ज्यादा लोग घायल - stone throwing holi

डूंगरपुर में पत्थर मार होली खेली गई. इस खूनी होली में पथराव के कारण दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए. दरअसल, गांव वासी एक पुरानी मान्यता के चलते ऐसी होली खेलते हैं. मंगलवार को खेली गई इस होली में कई लोग घायल हो गए, जिनका इलाज किया जा रहा है.

डूंगरपुर की खबर, stone throwing holi
पत्थर मार होली खेलते लोग
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Published : Mar 10, 2020, 9:19 PM IST

डूंगरपुर. जिले के भीलूड़ा गांव में हर साल की तरह इस साल भी धुलंडी पर पत्थर मार होली खेली गई. इस खूनी होली में पथराव के कारण दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनका पास के ही अस्पताल में इलाज करवाया गया.

लोगों को भारी पड़ी परंपरागत पत्थर मार होली

होली के दूसरे दिन धुलंडी पर पत्थरों की ताड़ खेलने की परंपरा के तहत भीलूड़ा और आसपास के गांवों से आये लोग रघुनाथजी मंदिर में एकत्रित हुए. इसके बाद हाथों में पत्थर, गोफन और ढाल लेकर ये लोग दो टोलियों में बंट गए.

इसके बाद लोगों ने होरिया के चीत्कार लगाते हुए एक-दूसरे की टोली पर पत्थर बरसाना शुरू किया. करीब डेढ़ घंटे तक चली पत्थरों की राड में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए.

इस खूनी होली में 2 दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनका भीलूड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार किया गया. वहीं गंभीर घायलों को सागवाड़ा के लिए रेफर कर दिया गया.

पढ़ें: डूंगरपुरः होली के रंग में रंगे देशी-विदेशी सैलानी, अबीर-गुलाल लगाकर उठाया धुलंडी का लुत्फ

ग्रामीणों की मानें तो सदियों पहले पूर्व तत्कालीन शासक ने एक किसान की हत्या कर दी थी, जिसके बाद उसकी पत्नी वहां सती हो गई थी. जिसने श्राप दिया था कि होली के पर्व पर उस स्थान पर इंसान का खून गिरना चाहिए नहीं तो गांव पर संकट आ सकता है. वहीं इसी मान्यता को लेकर यहां के लोग आज भी ये खूनी खेल को खेलते आ रहे है.

डूंगरपुर. जिले के भीलूड़ा गांव में हर साल की तरह इस साल भी धुलंडी पर पत्थर मार होली खेली गई. इस खूनी होली में पथराव के कारण दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनका पास के ही अस्पताल में इलाज करवाया गया.

लोगों को भारी पड़ी परंपरागत पत्थर मार होली

होली के दूसरे दिन धुलंडी पर पत्थरों की ताड़ खेलने की परंपरा के तहत भीलूड़ा और आसपास के गांवों से आये लोग रघुनाथजी मंदिर में एकत्रित हुए. इसके बाद हाथों में पत्थर, गोफन और ढाल लेकर ये लोग दो टोलियों में बंट गए.

इसके बाद लोगों ने होरिया के चीत्कार लगाते हुए एक-दूसरे की टोली पर पत्थर बरसाना शुरू किया. करीब डेढ़ घंटे तक चली पत्थरों की राड में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए.

इस खूनी होली में 2 दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनका भीलूड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार किया गया. वहीं गंभीर घायलों को सागवाड़ा के लिए रेफर कर दिया गया.

पढ़ें: डूंगरपुरः होली के रंग में रंगे देशी-विदेशी सैलानी, अबीर-गुलाल लगाकर उठाया धुलंडी का लुत्फ

ग्रामीणों की मानें तो सदियों पहले पूर्व तत्कालीन शासक ने एक किसान की हत्या कर दी थी, जिसके बाद उसकी पत्नी वहां सती हो गई थी. जिसने श्राप दिया था कि होली के पर्व पर उस स्थान पर इंसान का खून गिरना चाहिए नहीं तो गांव पर संकट आ सकता है. वहीं इसी मान्यता को लेकर यहां के लोग आज भी ये खूनी खेल को खेलते आ रहे है.

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