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मांसाहारी बाज को बाजरा और ज्वार खाता देख चकित हुए थे गुरु गोबिंद सिंह, पीठाधीश्वर को दिए थे सोने की मोहरें - GURU GOBIND SINGH

जयपुर के नरेना में गुरु गोबिंद सिंह 13 दिन रहे थे. यहां सिख धर्म से जुड़े इतिहास को पैनोरमा के रूप में दिखाया गया है.

चरण कमल साहिब गुरुद्वारा
चरण कमल साहिब गुरुद्वारा (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 6, 2025, 7:54 AM IST

जयपुर : सिख समुदाय के 10वें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह की आज जयंती है. गुरु गोविंद सिंह ने अपने जीवन के अंतिम समय 1707 में राजस्थान का दो बार दौरा किया था. राजस्थान के जयपुर जिले के नरेना गांव में चरण कमल साहिब गुरुद्वारे में 13 दिन तक गुरु गोविंद सिंह ने डेरा जमाया रखा था. स्थानीय निवासी गुरुद्वारे में आए बलवंत कुमार गंगवाल ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह जब यहां आए तो दादू पीठाधीश्वर ने उन्हें खाने के लिए निमंत्रण दिया. यहां बाज को शाकाहारी भोजन खिलाने को लेकर हुए चमत्कार को देखकर गुरु गोविंद सिंह ने दादू पीठाधीश्वर को कहा कि आज तक हमारा पंत किसी के आगे नहीं झुका. आज ये परीक्षा ली, इसमें सफल होने के इनाम के तौर पर 551 सोने की मोहरें दे रहा हूं.

पैनोरमा में सिखों के इतिहास को दिखाया : सिख धर्म से जुड़े इतिहास को दर्शाने के लिए नरेना गांव में पैनोरमा स्थापित किया गया है. इसमें औरंगजेब की ओर से सिखों पर की गई यातनाओं का चित्रण भी किया गया है. भाई मती दास जी और गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का किस्सा. भाई दयाला जी को धर्म परिवर्तन के लिए अमानवीय यातनाएं दी गई, उसका भी चित्रण किया गया है. पैनोरमा में पंज प्यारों की दीक्षा, वैशाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना. इसके बाद गुरु गोविंद सिंह देशभर की यात्रा पर जाते हैं. जफरनामा में औरंगजेब के अत्याचारों का भी विवरण दिया गया है. गुरुद्वारे में पैनोरमा देखने आई मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि पैनोरमा में सिख गुरुओं के त्याग साहस और पराक्रम की कहानियों को चित्रण के दर्शाया गया है. ऐसे में सभी को यहां आना चाहिए और सिखों के इतिहास को जानना चाहिए.

गुरु गोबिंद सिंह का राजस्थान से नाता (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

इसे भी पढ़ें. सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व आज, राजस्थान से था उनका गहरा नाता

मांसाहारी बाज ने खाया था बाजरा और ज्वार : गुरुद्वारे के सेवादार चतर सिंह ने बताया कि दादू मंदिर के तत्कालीन पीठाधीश्वर से जब गुरु गोविंद सिंह जाकर मिले तो उन्होंने गुरु जी को रात्रि भोजन पर आमंत्रित किया. भोजन के लिए खालसा धर्म के संस्थापक अपने प्यारे बाज के साथ पहुंचे थे और दादू धाम पर जाकर सबसे पहले बाज के लिए खाना परोसे जाने की मांग की. इस पर दादू महाराज जैतराम ने बाज को बाजरा और ज्वार परोसा तो मांसाहार पसंद बाज ने उसे भी ग्रहण कर लिया. इसके बाद गुरु गोविंद सिंह ने भी दादू आश्रम में आकर प्रसाद ग्रहण किया.

धर्म परिवर्तन के लिए अमानवीय यातनाएं दिया जाना
धर्म परिवर्तन के लिए अमानवीय यातनाएं दिया जाना (ETV Bharat Jaipur)
सिख धर्म से जुड़े इतिहास को पैनोरमा के रूप में दिखाया गया
सिख धर्म से जुड़े इतिहास को पैनोरमा के रूप में दिखाया गया (ETV Bharat Jaipur)

ज्ञानी जैल सिंह ने रखी थी गुरुद्वारा की नींव : सिख धर्म का नरेना से अनूठा जुड़ाव रहा है. राष्ट्रपति रहते हुए ज्ञानी जैल सिंह ने नरेना गुरुद्वारे का शिलान्यास किया और गुरुद्वारा चरण कमल साहिब की नीव रखीं थी. हर साल यहां प्रकाश उत्सव मनाया जाता है, जहां देश भर से हजारों की संख्या में लोग गुरुद्वारे में मत्था टेकने आते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने खाने की बेहतरीन व्यवस्थाएं की जाती है.

जयपुर : सिख समुदाय के 10वें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह की आज जयंती है. गुरु गोविंद सिंह ने अपने जीवन के अंतिम समय 1707 में राजस्थान का दो बार दौरा किया था. राजस्थान के जयपुर जिले के नरेना गांव में चरण कमल साहिब गुरुद्वारे में 13 दिन तक गुरु गोविंद सिंह ने डेरा जमाया रखा था. स्थानीय निवासी गुरुद्वारे में आए बलवंत कुमार गंगवाल ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह जब यहां आए तो दादू पीठाधीश्वर ने उन्हें खाने के लिए निमंत्रण दिया. यहां बाज को शाकाहारी भोजन खिलाने को लेकर हुए चमत्कार को देखकर गुरु गोविंद सिंह ने दादू पीठाधीश्वर को कहा कि आज तक हमारा पंत किसी के आगे नहीं झुका. आज ये परीक्षा ली, इसमें सफल होने के इनाम के तौर पर 551 सोने की मोहरें दे रहा हूं.

पैनोरमा में सिखों के इतिहास को दिखाया : सिख धर्म से जुड़े इतिहास को दर्शाने के लिए नरेना गांव में पैनोरमा स्थापित किया गया है. इसमें औरंगजेब की ओर से सिखों पर की गई यातनाओं का चित्रण भी किया गया है. भाई मती दास जी और गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का किस्सा. भाई दयाला जी को धर्म परिवर्तन के लिए अमानवीय यातनाएं दी गई, उसका भी चित्रण किया गया है. पैनोरमा में पंज प्यारों की दीक्षा, वैशाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना. इसके बाद गुरु गोविंद सिंह देशभर की यात्रा पर जाते हैं. जफरनामा में औरंगजेब के अत्याचारों का भी विवरण दिया गया है. गुरुद्वारे में पैनोरमा देखने आई मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि पैनोरमा में सिख गुरुओं के त्याग साहस और पराक्रम की कहानियों को चित्रण के दर्शाया गया है. ऐसे में सभी को यहां आना चाहिए और सिखों के इतिहास को जानना चाहिए.

गुरु गोबिंद सिंह का राजस्थान से नाता (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

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मांसाहारी बाज ने खाया था बाजरा और ज्वार : गुरुद्वारे के सेवादार चतर सिंह ने बताया कि दादू मंदिर के तत्कालीन पीठाधीश्वर से जब गुरु गोविंद सिंह जाकर मिले तो उन्होंने गुरु जी को रात्रि भोजन पर आमंत्रित किया. भोजन के लिए खालसा धर्म के संस्थापक अपने प्यारे बाज के साथ पहुंचे थे और दादू धाम पर जाकर सबसे पहले बाज के लिए खाना परोसे जाने की मांग की. इस पर दादू महाराज जैतराम ने बाज को बाजरा और ज्वार परोसा तो मांसाहार पसंद बाज ने उसे भी ग्रहण कर लिया. इसके बाद गुरु गोविंद सिंह ने भी दादू आश्रम में आकर प्रसाद ग्रहण किया.

धर्म परिवर्तन के लिए अमानवीय यातनाएं दिया जाना
धर्म परिवर्तन के लिए अमानवीय यातनाएं दिया जाना (ETV Bharat Jaipur)
सिख धर्म से जुड़े इतिहास को पैनोरमा के रूप में दिखाया गया
सिख धर्म से जुड़े इतिहास को पैनोरमा के रूप में दिखाया गया (ETV Bharat Jaipur)

ज्ञानी जैल सिंह ने रखी थी गुरुद्वारा की नींव : सिख धर्म का नरेना से अनूठा जुड़ाव रहा है. राष्ट्रपति रहते हुए ज्ञानी जैल सिंह ने नरेना गुरुद्वारे का शिलान्यास किया और गुरुद्वारा चरण कमल साहिब की नीव रखीं थी. हर साल यहां प्रकाश उत्सव मनाया जाता है, जहां देश भर से हजारों की संख्या में लोग गुरुद्वारे में मत्था टेकने आते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने खाने की बेहतरीन व्यवस्थाएं की जाती है.

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