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8 महीने की गर्भवती महिला पर सवार घर वापसी का जुनून, पैदल ही नाप रही सैकड़ों किमी. की दूरी

कोरोना संकट में सरकार और प्रशासन आम जनता के सहयोग के लिए बड़े-बड़े दावे करता नजर आ रहा है. लेकिन इन सबसे ऊपर है, इस 8 माह की गर्भवती महिला की पीड़ा. जो इस 38 डिग्री तापमान में चिलचिलाती धूप में 8 महीने का गर्भ लेकर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर है.

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लॉकडाउन की मजबूरी...
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Published : Apr 18, 2020, 6:21 PM IST

दौसा. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन के बाद मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़़ा हो गया है. दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले मजदूर घर लौट रहे हैं. शनिवार को दौसा में ईंट भट्ठों पर काम करने वाले 18 लोग 38 डिग्री की धूप में अपनी गर्भवती बहू के साथ बरेली के लिए निकल गए. कारण पूछने पर कहा मजबूरी है.

लॉकडाउन की मजबूरी...

नंदराम का कहना था हम दौसा में ईंट के भट्टे पर काम करते हैं. मालिक आता नहीं हमारी सुनता नहीं. कहता है कि काम नहीं आएगा तो पैसे कहां से आएगा. दिन भर से पैदल चल रहे हैं प्रशासन ने हमें कहीं नहीं टोका. चंदकली का कहना था दौसा से बरेली अपनी गर्भवती बहू के लिए घर जा रही हूं. पैदल जा रहे हैं हम उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. हम नहीं जानते यहां के हॉस्पिटल कैसे हैं तो डर के मारे हम घर जा रहे हैं. अपने घर पर जान पहचान है यह हमारी कोई जान पहचान नहीं है.

यह भी पढ़ेंः COVID- 19: देश पर आफत पड़ी तो 'सांसद' बन गए डॉक्टर

बहू की डिलीवरी के लिए पैसे की जरूरत पड़ी तो यहां कोई इंतजाम भी नहीं कर पाएंगे. चंदकली के पति का कहना परेशान हैं ठेकेदार से कहने पर ठेकेदार ने दौसा में दिखाने को बोला पर ठेकेदार 4 दिन से नहीं आया. घर जाकर कुछ जुगाड़ कर लेंगे और अपनी बहू का इलाज करवाएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि गर्भवती महिला अपने परिजनों के साथ कई पुलिस के चेक पोस्ट पार करते हुए पैदल जा रही है. लेकिन चेक पोस्ट पर आने जाने वाले लोगों की निगरानी रखने वाले लोगों को भी इसकी पीड़ा नजर नहीं आई. किसी ने इनकी कोई मदद नहीं की, जिसके चलते ये लोग अपने परिवार सहित सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल तय करने को मजबूर हैं.

दौसा. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन के बाद मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़़ा हो गया है. दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले मजदूर घर लौट रहे हैं. शनिवार को दौसा में ईंट भट्ठों पर काम करने वाले 18 लोग 38 डिग्री की धूप में अपनी गर्भवती बहू के साथ बरेली के लिए निकल गए. कारण पूछने पर कहा मजबूरी है.

लॉकडाउन की मजबूरी...

नंदराम का कहना था हम दौसा में ईंट के भट्टे पर काम करते हैं. मालिक आता नहीं हमारी सुनता नहीं. कहता है कि काम नहीं आएगा तो पैसे कहां से आएगा. दिन भर से पैदल चल रहे हैं प्रशासन ने हमें कहीं नहीं टोका. चंदकली का कहना था दौसा से बरेली अपनी गर्भवती बहू के लिए घर जा रही हूं. पैदल जा रहे हैं हम उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. हम नहीं जानते यहां के हॉस्पिटल कैसे हैं तो डर के मारे हम घर जा रहे हैं. अपने घर पर जान पहचान है यह हमारी कोई जान पहचान नहीं है.

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बहू की डिलीवरी के लिए पैसे की जरूरत पड़ी तो यहां कोई इंतजाम भी नहीं कर पाएंगे. चंदकली के पति का कहना परेशान हैं ठेकेदार से कहने पर ठेकेदार ने दौसा में दिखाने को बोला पर ठेकेदार 4 दिन से नहीं आया. घर जाकर कुछ जुगाड़ कर लेंगे और अपनी बहू का इलाज करवाएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि गर्भवती महिला अपने परिजनों के साथ कई पुलिस के चेक पोस्ट पार करते हुए पैदल जा रही है. लेकिन चेक पोस्ट पर आने जाने वाले लोगों की निगरानी रखने वाले लोगों को भी इसकी पीड़ा नजर नहीं आई. किसी ने इनकी कोई मदद नहीं की, जिसके चलते ये लोग अपने परिवार सहित सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल तय करने को मजबूर हैं.

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