दौसा. मानसून आने को 2 माह से ऊपर का समय बीत चुका है. लेकिन जिले में अभी तक किसान खेतों में बुवाई भी नहीं कर पाए हैं. इस बार क्षेत्र में कम बारिश होने से दौसा जिले के अधिकतर इलाकों में बुवाई नहीं हुई जिससे खेत खाली पड़े हैं. मानसून आने के बाद भी किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि कुछ किसानों ने हल्की बारिश में ही बुआई कर दी थी. लेकिन अब पानी न बरसने से उगी हुई फसलें भी नष्ट होने के कगार पर हैं.
दौसा जिला पानी की समस्या के कारण डार्क जोन क्षेत्र में आता है और यहां सिंचाई वाली खेती बहुत कम होती है. ऐसे में रबी के सीजन में खेत खाली पड़े रहते हैं. बारिश के दिनों में होने वाली खरीफ की फसल ही किसानों के जीवन यापन का सबसे बड़ा माध्यम है. लेकिन इस बार खरीफ की फसल भी किसानों के साथ धोखा कर रही है. आमतौर पर जून और जुलाई माह में खरीफ की फसल की बुवाई हो जाती है. लेकिन इस बार दौसा जिले में जून और जुलाई माह में बारिश ही नहीं हुई.
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वर्षा ऋतु को 2 माह बीत चुके हैं. लेकिन दौसा जिले में अभी अच्छी बारिश नहीं हुई. हालांकि कुछ जगहों पर कम मात्रा में बारिश हुई जिसके चलते वहां के किसानों ने बुवाई कर दी. लेकिन अब बारिश का अंतराल अधिक होने के कारण उगी हुई फसल भी नष्ट हो रहीं हैं.
कृषि विभाग के आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2020 में कृषि विभाग को 1 लाख 93 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का लक्ष्य मिला था. लेकिन अभी तक करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुआई हो पाई है. कम बारिश में बुवाई कर दिए जाने के कारण अधिकतर खेतों में बीज अंकुरित ही नहीं हुआ.
ऐसे में किसान अब वापस बारिश का इंतजार कर रहे हैं. ताकि दूसरी बार बुवाई कर सकें जिन क्षेत्रों में बीज अंकुरित हो गया. दौसा जिला मुख्यालय के आसपास के 11 पटवार मंडल क्षेत्रों में तो अभी नाम मात्र की बुवाई हुई है. यहां पर 80% खेत खाली पड़े हैं.
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इधर, कोरोना और लॉकडाउन के चलते लोगों के काम धंधे छूट गए हैं जिससे उन्होंने कृषि को एक बार फिर अपनाया है. ऐसे में इस बार लोगों की उम्मीद फसल पर ही थी और जो लोग प्रवासी मजदूर के रुप में बाहरी क्षेत्रों से अपने गांव आए हैं, वे भी खेती करने में जुटे हुए हैं. लेकिन बारिश कम होने से कोरोना की मार झेल रहे प्रवासी मजदूरों को भी इस बार निराशा ही हाथ लग रही है.
ऐसे में कोरोना की मार झेल रहे किसान अब बारिश कम होने से परेशान हैं. इधर, किसानों को इस बार टिड्डी दल भी टेंशन दे रहा है. ऐसे में वर्ष 2020 में किसानों पर चारों तरफ से प्राकृतिक संकट आ पड़ा है. किसानों को अब जीवन यापन की चिंता सता रही है.