त्रिशूर: केरल सरकार ने एचएमपीवी वायरस के बारे में अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छपी खबरों का खंडन किया है. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि यह वायरस केरल के लिए नया नहीं है, क्योंकि यह पहले भी राज्य में पाया जा चुका है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है.
तिरुवनंतपुरम स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड वायरोलॉजी (IAV) ने 2023-24 में इस वायरस पर काम करना शुरू किया, तब से सैंपल टेस्टिंग के जरिये 11 मामलों की पहचान की गई है. त्रिशूर में मीडिया से बातचीत के दौरान वीना जॉर्ज ने कहा कि राज्य में पहले ही सभी आवश्यक उपाय लागू किए गए हैं.
वीना जॉर्ज ने कहा कि भारत में पहली बार एचएमपीवी के मामले सामने आने के दावे निराधार हैं, क्योंकि यह वायरस देश में 2001 से मौजूद है. उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई नया वेरिएंट मिलने का कोई सबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एचएमपीवी के बारे में कोई अलर्ट जारी नहीं किया है.
मंत्री जॉर्ज ने कहा, "फिलहाल चिंता करने की कोई बात नहीं है. एचएमपीवी के बारे में प्रसारित होने वाली ज्यादातर खबरें झूठी हैं." उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि सभी मामलों का पता घरेलू परीक्षण के जरिये लगाया गया है और वायरस के कारण होने वाली सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए सहायक उपचार आसानी से उपलब्ध हैं.
लोगों से सतर्क रहने की अपील
मंत्री ने कहा कि राज्य स्तरीय त्वरित प्रतिक्रिया दल सक्रिय रूप से स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और जोखिम का आकलन कर रहे हैं. गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और लंबे समय से बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए मास्क पहनने जैसे निवारक उपायों की सिफारिश की गई. हालांकि, उन्होंने लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया.
इस समय केरल में एचएमपीवी संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है. राज्य सरकार संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रख रही है और जांच कर रही है. मंत्री वीना जॉर्ज ने दोहराया कि भारत में अभी तक एचएमपीवी का कोई आनुवंशिक परिवर्तन नहीं पाया गया है.
स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से गलत सूचना से बचने और अपडेट के लिए केवल सरकारी स्रोतों पर भरोसा करने के महत्व पर जोर दिया. हालांकि विदेश से आने वाले यात्रियों पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है, लेकिन उन्होंने सभी से सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने का आग्रह किया.
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