चूरू. मदरसा पैराटीचर को स्थाई करने और राजकीय महाविद्यालयों में अल्प भाषा संकाय खोले जाने, सरकारी स्कूलाें में उर्दू विषय काे समाप्त करने के विरोध समेत विभिन्न मांगों को लेकर चूरू के उर्दू अध्यापक शमशेर खां पैदल मार्च पर निकले हैं. शमशेर खां चूरू से गुजरात के दांडी तक 1100 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकले हैं.
उनका आंदोलन तेज होता जा रहा है, क्योंकि अब उनके समर्थन में लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं. बुधवार को 4 गांवों के लोग उर्दू अध्यापक की मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट पैदल मार्च करते हुए पहुंचे. इस दौरान लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान शमशेर खां की बेटी अंजली खां भी मौजूद रही.
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राजस्थान सरकार को चेतावनी...
अंजली खां ने राजस्थान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि गहलोत सरकार ने 2018 के अपने चुनावी मेनिफेस्टो में वादा किया था की मदरसा पैरा टीचरों को स्थाई करेंगे, लेकिन अभी तक उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया है. उन्होंने कहा, अगर मेरे पिता की जगह कोई सेलिब्रेटी होता तो अब तक सरकार की आंखें खुल जाती. उन्होंने सरकार को चेताया कि सरकार हमारी नहीं सुन रही, ऐसे अब चुनावों में वोट मांगने आएंगे तो हमारे घर उनके लिए बंद रहेंगे.
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क्या हैं मांगें?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 350अ को लागू करने हेतु गुजराल समिति की रिपोर्ट लागू करने के लिए मंत्रिमंडलीय समिति की सिफारिश अनुसार माध्यमिक शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा बीकानेर के परिपत्र शिविरा 13 दिसंबर 2004 के आदेश की पालना की जाए, स्टाफिंग पेटर्न 2016 व स्टाफिंग पैटर्न दिशा निर्देश 28 मई 2019 के परिपत्र शिविरा 13 दिसंबर 2004 के अनुसार संशोधन किया जाए, समस्त राजकीय महाविद्यालयों में अल्प भाषा उर्दू, सिंधी, पंजाबी, गुजराती संकाय खोले जाएं.