कटक: ओडिशा में रैगिंग के आरोपी छात्रों को हाईकोर्ट से अनोखी सजा दी है. कोर्ट ने उनके विरुद्ध दायर आपराधिक कार्यवाही रद्द करते हुए उन्हें एक हफ्ते तक अनाथालय के बच्चों को पढ़ाने का निर्देश दिया. यह फैसला उन मामलों में नया दृष्टिकोण पेश करता है, जहां सजा के साथ सुधार पर जोर दिया जा रहा है. मामला ओडिशा के एक लॉ कॉलेज से संबंधित है.
क्या है मामलाः भुवनेश्वर में भरतपुर पुलिस ने 15 मार्च, 2024 को शहर के एक संस्थान के प्रथम वर्ष के छात्र के पिता की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया. कुछ सीनियर छात्रों पर बेटे को परेशान करने और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देने के आरोप लगाये. शिकायत में नामित छात्रों पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया. इसके बाद, छात्रों ने आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया.
क्या कहा सरकारी वकील नेः हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि मामला पहले ही सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा लिया गया है. 12 नवंबर, 2024 को एक समझौता भी किया गया था, जिसमें दोनों पक्षों ने भविष्य में एक-दूसरे के साथ शांति और मित्रता बनाए रखने और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह की गड़बड़ी पैदा नहीं करने पर सहमति जताई थी. सरकारी वकील ने साक्ष्य प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता और पीड़ित छात्र के बीच हुई घटना गलतफहमी और अचानक उकसावे का नतीजा था.
हाई कोर्ट ने क्या कहाः हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है, "संबंधित विधि छात्र अनाथालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शिक्षण या कार्यशाला आयोजित करने में शामिल होंगे." इसके अलावा, अदालत ने कहा, "विधि छात्र अनाथालय का चयन करेंगे और अनाथालय के प्रमुख को वर्तमान आदेश के बारे में सूचित करेंगे. एक सप्ताह के कार्यशाला पूरा होने के बाद अनाथालय के प्रमुख से प्रमाण पत्र प्राप्त करेंगे. इसके बाद वे चार सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय के समक्ष प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेंगे."
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