चूरू. वैश्विक महामारी कोविड 19 से देश में 90 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित है तो करीब तीन हजार लोगों की जान जा चुकी है. इस संक्रमण का खौफ इतना है कि देश में कोविड 19 से मौत के शिकार हुए कई लोगों के परिजन उनका अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे हैं. ऐसा ही मंजर 104 साल पहले प्लेग महामारी के दौरान चूरू में देखने को मिला था. उस समय चूरू में प्लेग महामारी से सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी. तब इस महामारी को मात देने के लिए आयुर्वेद के जानकार और समाज सुधारक स्वामी गोपालदास आगे आए. जिन्होंने उस समय प्लेग से संक्रमित लोगों का इलाज किया था. साथ ही मौत के शिकार लोगों का अंतिम संस्कार भी किया करते थे.
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परिजन नहीं करते थे दाह संस्कार
वरिष्ठ इतिहासकार भंवर सिंह सामौर बताते हैं कि प्लेग महामारी छूत की बीमारी मानी जाती थी. जिसे स्थानीय भाषा में मरी कहते थे. इस बीमारी के डर से उस दौरान कई गांव एकाएक खाली हो गए थे. वहीं इस महामारी से बचने के लिए लोग अपनों का अंतिम संस्कार तक नहीं करते थे.ऐसे समय में स्वामी गोपालदास प्लेग के रोगियों का इलाज भी करते थे और जिन मृत लोगों के परिजन उनका अंतिम संस्कार नहीं करते थे. गोपालदास खुद उनका अंतिम संस्कार करते थे.
महान समाज सुधारक
स्वामी गोपालदास चूरू के महान समाज सुधारक थे. जिन्होंने रचनात्मक कार्यों के लिए 1907 में चूरू में सर्व हितकारिणी सभा गठित की. इसके अलावा की गांव में पानी के कुंड बनवाए, भामाशाहों से राशि एकत्र कर गौशाला बनवाई और पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे लगवाए. इसके साथ ही शिक्षा के चूरू में दो विद्यालय भी खुलवाए. वहीं बालिकाओं के लिए पुत्री पाठशाला और छात्रों के लिए कबीर पाठशाला खुलवाई.