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चित्तौड़गढ़: 1981 के बाद पहली बार वीरांगनाओं को बिना शोभायात्रा की दी गई श्रद्धांजलि

कोरोना वायरस के कारण चितौड़गढ़ में 1981 के बाद पहली बार चित्तौड़ दुर्ग पर जौहर करने वाली वीरांगनाओं को बिना शोभायात्रा और सभा की श्रद्धांजलि दी गई.

Tributes paid to the enthusiasts
1981 के बाद पहली बार वीरांगनाओं को बिना शोभायात्रा की दी गई श्रद्धांजलि
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Published : Mar 20, 2020, 6:04 PM IST

चितौड़गढ़. आन, बान, शान और नारी के सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का त्याग कर चित्तौड़ दुर्ग पर जौहर करने वाली वीरांगनाओं को 1981 के बाद पहली बार बिना शोभायात्रा और सभा के ही श्रद्धांजलि दी गई. कोरोना वायरस के चलते जौहर श्रद्धांजलि समारोह के तीन दिवसीय आयोजन निरस्त कर दिए गए थे. वहीं गुरुवार को जौहर स्मृति संस्थान के कार्यक्रमों को भी छोटा रूप दे दिया था.

1981 के बाद पहली बार वीरांगनाओं को बिना शोभायात्रा की दी गई श्रद्धांजलि

जानकारी के अनुसार गुरुवार को मुख्य दिवस होने पर जौहर स्मृति संस्थान ने जौहर स्थल पर दीप प्रज्वलित कर और यज्ञ हवन में आहुतियां देकर वीरांगनाओं के बलिदान का स्मरण किया. हवन से पहले संस्थान के अध्यक्ष तख्तसिंह सोलंकी, महामंत्री मंगल सिंह खंगारोत के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने जौहर मंदिर में दीप जलाकर वीरांगनाओं के चित्र पर पुष्प अर्पित किए.

दुर्ग स्थित जौहर स्थल पर यज्ञ हवन हुआ, इसमें विधायक चंद्रभान सिंह के साथ जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष सोलंकी, महामंत्री खंगारोत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शक्तिसिंह, भगवती देवी झाला सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी शामिल हुए और हवन में आहुतियां दी. कोरोना वायरस के चलते 31 मार्च तक दुर्ग बंद किए जाने से यज्ञ हवन के लिए जौहर स्थल पर विशेष व्यवस्था की गई थी.

यह भी पढ़ें- Corona Virus का खौफ: माकपा ने 23 मार्च को होने वाला धरना प्रदर्शन किया स्थगित

आयोजन से जुड़े लोगों को ही वहां तक जाने की अनुमति थी. इसके अलावा किसी को वहां पर नहीं जाने दिया गया. सुरक्षा गार्ड जौहर स्थल की तरफ किसी को नहीं जाने दे रहे थे. कार्यक्रम निरस्त होने के कारण संस्थान के पदाधिकारियों ने सभी से घर पर ही दीप जला कर वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि देने का आव्हान किया था.

चितौड़गढ़. आन, बान, शान और नारी के सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का त्याग कर चित्तौड़ दुर्ग पर जौहर करने वाली वीरांगनाओं को 1981 के बाद पहली बार बिना शोभायात्रा और सभा के ही श्रद्धांजलि दी गई. कोरोना वायरस के चलते जौहर श्रद्धांजलि समारोह के तीन दिवसीय आयोजन निरस्त कर दिए गए थे. वहीं गुरुवार को जौहर स्मृति संस्थान के कार्यक्रमों को भी छोटा रूप दे दिया था.

1981 के बाद पहली बार वीरांगनाओं को बिना शोभायात्रा की दी गई श्रद्धांजलि

जानकारी के अनुसार गुरुवार को मुख्य दिवस होने पर जौहर स्मृति संस्थान ने जौहर स्थल पर दीप प्रज्वलित कर और यज्ञ हवन में आहुतियां देकर वीरांगनाओं के बलिदान का स्मरण किया. हवन से पहले संस्थान के अध्यक्ष तख्तसिंह सोलंकी, महामंत्री मंगल सिंह खंगारोत के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने जौहर मंदिर में दीप जलाकर वीरांगनाओं के चित्र पर पुष्प अर्पित किए.

दुर्ग स्थित जौहर स्थल पर यज्ञ हवन हुआ, इसमें विधायक चंद्रभान सिंह के साथ जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष सोलंकी, महामंत्री खंगारोत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शक्तिसिंह, भगवती देवी झाला सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी शामिल हुए और हवन में आहुतियां दी. कोरोना वायरस के चलते 31 मार्च तक दुर्ग बंद किए जाने से यज्ञ हवन के लिए जौहर स्थल पर विशेष व्यवस्था की गई थी.

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आयोजन से जुड़े लोगों को ही वहां तक जाने की अनुमति थी. इसके अलावा किसी को वहां पर नहीं जाने दिया गया. सुरक्षा गार्ड जौहर स्थल की तरफ किसी को नहीं जाने दे रहे थे. कार्यक्रम निरस्त होने के कारण संस्थान के पदाधिकारियों ने सभी से घर पर ही दीप जला कर वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि देने का आव्हान किया था.

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