चित्तौड़गढ़. कोरोना संक्रमण के कारण राज्य सरकार की ओर से अभिभावकों को राहत देने की बात की जा रही है. इस संदर्भ में शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा के फीस जमा नहीं करवाने के बयान को लेकर अब निजी शिक्षण संस्थाओं के संचालक और शिक्षक आंदोलन की राह अपनाने को मजबूर हैं. इस संदर्भ में शुक्रवार को एक निजी होटल में शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की पत्रकार वार्ता आयोजित की. इसमें समिति के पदाधिकारियों ने आगामी दिनों में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.
शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की प्रदेश समन्वयक हेमलता शर्मा ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षक लगातार विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षा दे रहे हैं. इसके बावजूद शिक्षा मंत्री की ओर से बयान जारी कर फीस जमा नहीं कराने की बात कहीं जा रही है, जो सरासर अनुचित है. इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी फीस जमा कराने को लेकर आदेश जारी कर दिए है. सरकार उच्चतम न्यायालय का आदेश नहीं मान रही है. ऐसे में अवमानना की कार्रवाई की जाएगी.
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साथ ही कहा कि, प्रदेश भर में करीब 38 हजार निजी स्कूलों में 11 लाख लोग है,जो निजी शिक्षण और गैर शिक्षण गतिविधियों के जरिए निजी विद्यालयों से जुड़े हुए है. इनका परिवार इसी से चलता है. लेकिन राज्य सरकार अपना तुगलकी फरमान जारी कर इनके परिवार को संकट में डाल रही है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि, यदि यह तुगलकी फरमान सात दिन में वापस नहीं लिया जाता है तो प्रत्येक जिला मुख्यालय पर शिक्षा मंत्री का पुतला फूंककर आंदोलन तेज किया जाएगा.
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वहीं प्रेस वार्ता के दौरान समिति के प्रदेशाध्यक्ष कैलाश शर्मा ने भी कहा कि, निजी स्कूलों के सभी संगठनों को एक होने का आव्हान किया है. एक बैनर के तले सभी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे. इस दौरान शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की सीमा शर्मा, प्रवक्ता प्रकाश चेलावत, संरक्षक बालमुकुंद राठी, जयेश भटनागर, दिलीप पोखरना, अरुण कुमावत, विपिन दाधीच, गुंजन गोठवाल, इंद्रजीत सिंह अरोड़ा सहित समिति से जुड़े कई पदाधिकारी मौजूद रहे.