दौसा. पटरी से शुरू हुआ आंदोलन अब प्रदेश में धीरे-धीरे पूरी तरह से सड़क पर आ गया है. धौलपुर, करौली, बूंदी, अजमेर के बाद अब दौसा में गुर्जर समाज के लोगों ने नेशनल हाईवे सिकंदरा पर जाम लगा दिया. भारी संख्या में एकजुट होकर गुर्जर समाज के लोगों ने NH- 21 के सिकंदरा चौराहे को पूरी तरह से बंद कर दिया.
प्रदेश में चल रहे गुर्जर आरक्षण आंदोलन का असर अब पूरे प्रदेश में हो रहा है. गुर्जर समाज ने चेतावनी दी थी कि वो सिकंदरा चौराहे पर जाम लगाएंगे. जिसके बाद सिकंदरा के बाजार की दुकानें बंद हैं और नेशनल हाईवे- 21 पर सिकंदरा चौराहे पर समाज के लोग महिलाओं सहित बीच चौराहे पर फर्श बिछाकर हाईवे पर बैठ गए हैं. जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है.
हजारों की तादाद में गुर्जर समाज के लोग सिकंदर चौराहे पर इकट्ठे हो चुके हैं. वह समाज के पंच पटेल सिकंदरा चौराहे पर जाजम बिछा कर बैठे है. युवा गुर्जर आने जाने वाले वाहनों को रोक रहे है. सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन के कई अधिकारी और जवान समाज के लोगों के बीच में सादा वर्दी में घूम रहे हैं. साथ ही पल-पल की अपडेट के अपने आला अधिकारियों को वाकिफ करा रहे है.
बूंदी में नैनवां हाईवे पर लगया जाम
बूंदी में गुर्जर समाज के लोगों ने NH-नैनवां 148 डी पर प्रशासन को चेतावनी देने के बाद जाम लगा दिया था. वहीं जाम लगाकर बैठे समाज के लोग लोकगीतों पर थिरकते भी दिखे तो सरकार को कोसते भी रहे. इस दौरान जाम की सूचना पर मौके पर बूंदी पुलिस ने निगाहें बनाई.साथ ही148 डी को डायवर्ट कर रास्ते को सुचारू करने की कोशिश की जा रही है.
रोजाना तेज हो रहा आंदोलन
सरकारी नौकरियों और शिक्षा में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में गुर्जर समुदाय आंदोलन कर रहा है. राजस्थान में दिन प्रतिदिन गुर्जर आंदोलन तेज होता जा रहा है. गुर्जर आंदोलन के चौथे दिन 21 ट्रेनें रद्द कर दी गई है, 26 को परिवर्तित मार्ग से चलाया गया है. कल यानि रविवार को धौलपुर में हिंसा की खबर सामने आई, जहां पुलिस के वाहनों को आगे के हवाले कर दिया गया. वहीं गुर्जरों की चेतावनी के संभावना थी कि आज वो सिकंदराबाद और आगरा हाईवे को गुर्जर जाम कर सकते है और वो ही हुआ. धौलपुर और करौली जिले में धारा 144 लगा दी है. अधिकारियों ने बताया कि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी रविवार तीसरे दिन भी सवाई माधोपुर जिले में रेल पटरियों पर बैठे रहें. इसके चलते दिन में कम से कम 20 ट्रेनें रद्द कर दी गईं और सात अन्य के मार्ग में परिवर्तन कर दिया गया.