जयपुर. राजस्थान का नाम आते अक्सर रेगिस्तान की धारणा सामने आती है जबकि राजस्थान में पिछले वर्षों की तुलना में वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2015-17 की एफएसआई यानी फॉरेस्ट सर्वे इंडिया द्वारा सैटेलाइट से की गई सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में 466 वर्ग किलोमीटर वन आवरण में वृद्धि दर्ज की गई थी. 2013-15 में की गई एफएसआई की सर्वे रिपोर्ट में 66 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही वन आवरण वृद्धि दर्ज की गई थी. एसएसआई की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में लगातार हरित क्षेत्र में वृद्धि हो रही है.
राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 239 वर्ग किलोमीटर है. इसमे 32,830 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है जिसमें से 16,572 वर्ग किलोमीटर में हरित वन क्षेत्र है.
हर साल वन विभाग की ओर से पूरे प्रदेश में पौधारोपण किया जाता है. वर्ष 2019 में 16,248 हेक्टर क्षेत्र में 64 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. वर्ष 2018 में 24,489 हेक्टेयर क्षेत्र में 96 लाख पौधे लगाए गए थे. वर्ष 2017 में 36,549 हेक्टेयर क्षेत्र में 1 करोड़ 44 लाख पौधे लगाए गए थे. वर्ष 2016 में 59,466 हेक्टेयर क्षेत्र में 2 करोड़ 37 लाख पौधे लगाए गए थे और 2015 में 64,523 हेक्टेयर क्षेत्र में 2 करोड़ 50 लाख पौधे लगाए गए थे.
इसके अलावा प्रतिवर्ष वन विभाग की ओर से लोगों को भी पौधे वितरण किये जाते है. मानसून के शुरू होते ही वन विभाग की ओर से पौधे वितरण करने का कार्यक्रम भी शुरू कर दिया जाता है. राजस्थान में इस वर्ष 2019 में करीब 85 लाख पौधे वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है. प्रदेशभर में कुल 550 नर्सरिया है. जहां से पौधे वितरण किए जाते हैं. सभी जिलों में पौधे वितरण के अलग-अलग लक्ष्य रखे गए हैं. पौधा वितरण कर लोगों को भी अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए विभाग की ओर से जागरूक किया जाता है. इन नर्सरियो में मानसून से पहले ही पौधे तैयार किए जाते हैं और मानसून आने से पहले वन विभाग पौधे लगाने की भी तैयारी कर लेता है. बारिश आते ही पौधे लगाने का काम शुरू कर दिया जाता है और इसके बाद क्षेत्रीय वन अधिकारी और फॉरेस्ट गार्ड इनकी देखरेख करते हैं. वन विभाग की ओर से 5 साल तक इन पौधों की देखरेख की जाती है.
वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई के अनुसार राजस्थान में इस बार फलदार पौधे ज्यादा लगाए जाएंगे और पिछले वर्षों की तुलना में ज्यादा पौधारोपण करने का प्रयास किया जाएगा. पौधे लगाने के बाद उनको जीवित रखने के लिए मॉनिटरिंग भी की जाएगी. प्रदेश की हर पंचायत में 100 पौधे लगाने का टारगेट दिया गया है. जिससे राजस्थान की हरियाली बढ़ेगी.
राजस्थान में हर साल हो रहे पौधारोपण से वृक्षों की बढ़ोतरी भी हुई है. इसके साथ ही वृक्षारोपण से कई फायदे भी होते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो वृक्षारोपण से हरियाली बढ़ती है. हरियाली से बारिश भी ज्यादा होती है. वृक्षों से जलस्तर भी ऊपर आता है. कई पेड़ों की जड़े जल स्तर को ऊपर की ओर खींचती है. जिससे जल स्तर ऊपर आता है. जलस्तर के ऊपर आने से पानी की कमी भी दूर होती है. अगर प्रदेश में वृक्षों की बढ़ोतरी होती रही तो पानी की कमी भी दूर होगी.
पर्यावरणविद् सूरज सोनी ने बताया कि राजस्थान में शुरू से ही हरियाली रही है. देश की आजादी के समय राजस्थान में 50 हजार वर्ग किलोमीटर सघन वन क्षेत्र था. राजस्थान में केवल पश्चिमी क्षेत्र में ही मरुस्थल है. लेकिन मरुस्थल में भी उष्ण मरुस्थलीय वन होने से हरियाली रही है. मरुस्थलीय क्षेत्रों में खेजड़ी, कीकर, केर, सांगड़ी जैसे वृक्ष ज्यादा पनपते हैं. जिनसे से भी हरियाली बनी रहती है.
राजस्थान के जिन क्षेत्रों में सघन वन है वहां पर जलस्तर भी ऊपर आ रहा है. राजस्थान में ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाकर हरियाली को बढ़ाया जा सकता है ताकि प्रदेश में जल संकट को दूर किया जा सके. राजस्थान में नदियों के किनारे कई संस्थाओं की ओर से हर साल वृक्षारोपण किया जाता है ताकि राजस्थान में हरियाली छाई रहे. वृक्षारोपण के बाद इन पौधों की देखरेख भी की जाती है ताकि पौधे जल्दी से बड़े होकर वृक्ष का रूप ले. इससे वाटर लेवल भी ऊपर आएगा और जल संरक्षण का काम होगा. इसके साथ ही वायु प्रदूषण को भी पेड़ पौधे अवशोषित करते हैं. पेड़ पौधे जल स्तर को बढ़ाने के साथ ही प्रदूषण को भी रोकने का काम करते हैं.
जयपुर के झालाना वन क्षेत्र की बात की जाए तो यहां पर भी 1000 नए पौधे लगाए जाएंगे और 2 लाख 38 हजार पौधे वितरित किए जाएंगे. इसके अलावा 2500 पौधे पिछले वर्षों के नष्ट हुए पौधों की जगह लगाए जाएंगे. झालाना में ज्यादा फ्रूटी के पौधे लगाए जाएंगे जिनमें ज्यादातर लिसोड़ा, करौंदा और बेर के पौधे लगाए जाएंगे. झालाना के 10 हेक्टेयर एरिया में मानसून आते ही पौधे लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा. वही जयपुर जिले की बात की जाए तो इस बार करीब चार लाख से भी ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे.