बूंदी. शहर के जैतसागर झील किनारे पर स्थित आरटीडीसी होटल बृन्दावती को सरकार ने 3 साल पहले बंद कर दिया था. गुपचुप तरीके से प्रशासन द्वारा इस होटल पर ताले लगा दिए गए थे. फिलहाल, जर्जर हो चुके होटल पर सरकार का कोई ध्यान ही नहीं है.
राज्य सरकार, पर्यटन विकास और संचालित होटलों के व्यवस्थित संचालन में रुचि नहीं दिखा रही है. होटल के चारों ओर गंदगी हो गई है. यहां पर असामाजिक तत्वों का सुबह से लेकर शाम तक जमावड़ा रहता है और शराब सहित कई नशे की चीजों को इस्तेमाल किया जाता है. जिससे होटल की व्यवस्थाओं सहित प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.
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किसी समय यहां पर पर्यटक का जमावड़ा लगा रहता था. पर्यटक इस होटल में रुक कर बूंदी के वातावरण को देखते थे. इस होटल में 7 कमरे हैं और 7 कमरों में विदेशी सैलानी रुका करते थे, लेकिन आरटीडीसी के होटल को घाटे में बताकर अचानक सरकार द्वारा बंद कर दिया गया था.
लोगों का कहना है कि सरकार अपने स्तर पर इस होटल को नहीं चला सकती तो इस होटल को निजी हाथों में दे देना चाहिए, ताकि यह होटल भी चलता रहे और सरकार को निजी हाथों से राजस्व भी प्राप्त होता रहे. लेकिन सरकार ने इस ओर भी ध्यान नहीं दिया. सरकार अपने स्तर पर ही इस होटल को चलाती थी और पर्यटन विभाग इस होटल का प्रमोटर बन कर काम करता था. यहां आने वाले पर्यटकों को इस होटल में रुकने की सलाह दी जाती थी.
1993 में हुई होटल की शुरुआत
बूंदी के इस आरटीडीसी होटल की शुरुआत 1993 में हुई थी और 2015 में राजस्थान सरकार की तरफ से 15 से अधिक आरटीडीसी होटल को बंद किया गया था. जिनमें से बूंदी का यह होटल भी शामिल था. लेकिन बूंदी की इस आरटीडीसी होटल में तालाबंदी होने के बाद भी यहां पर ताले खुले हुए हैं और लोग अपनी मर्जी से यहां पर आया जाया करते हैं.
फिलहाल, बूंदी का आरटीडीसी होटल अपनी बदहाली पर आंसू बहाता नजर आ रहा है. ये होटल प्रकृति की गोद में पर्यटकों के लिए आस का केंद्र बन सकता है, लेकिन सरकार इसे फिर से शुरू करने के लिए पहल करे. नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब इतिहास के पन्नों में बूंदी का आरटीडीसी होटल का नाम भी गायब हो जाएगा और इतिहास के पन्नों में समय के साथ-साथ धूमिल हो जाएगा.