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एक उम्मीद थी...उस पर भी Corona का कहर, साहब...'लहलहाते टमाटर खेतों में सड़ गए'

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Published : Apr 19, 2020, 11:32 AM IST

लॉकडाउन...लॉकडाउन...लॉकडाउन, दरअसल ये तो सिर्फ एक शब्द है. लेकिन इसके मायने वर्तमान में लोगों पर कहर बनकर ढा रहा है. कोई भूख से परेशान है तो कहीं किसी को सिर ढकने के लिए छत नहीं मिल रही है. इतना ही नहीं गजब तो तब हो गया, जब धरतीपुत्रों की एकमात्र सहारा उनकी खेती पूरी तरह चौपट हो गई. अब तो किसान ये भी कहने लगे कि 'साहब कर्जा कैसे चुकाएंगे.' आइए नजर डालते हैं बूंदी के इन किसानों पर...

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एक उम्मीद उस पर भी Corona का कहर

बूंदी. कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. इसको देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया है. लेकिन लॉकडाउन के बीच किसानों की हालत दर से बदतर हो गई है. बूंदी के किसान फसल खराब होने से काफी चिंतित हैं.

एक उम्मीद उस पर भी Corona का कहर

दरअसल, बूंदी के किसान बड़े पैमाने पर टमाटर सहित भिंडी की खेती करते हैं. लेकिन इस लॉकडाउन के कालचक्र में इनकी फसलें खराब हो गईं, जिस वजह से इनको काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. साथ ही खेतों में खड़ी टमाटर की फसल में रोग भी लग गया है.

इस गांव में होती है टमाटर की खेती...

बूंदी के केशोरायपाटन और बड़ा नया गांव में सबसे अधिक टमाटर की खेती होती है. यहां पर किसान टमाटर और भिंडी की फसल को अच्छी तरह से उपज करते हैं. किसानों ने हर साल की तरह इस साल भी बड़ी तादाद में टमाटर की फसल की उपज की थी. उन्हें नहीं पता था कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होगा और उनकी फसल को कोई खरीदने के लिए नहीं आएगा. लेकिन किसान तो कर्ज के तले दबा हुआ है और इस बार भी टमाटर की फसल खराब होने के चलते मुसीबत किसानों के सिर आ गई.

यह भी पढ़ेंः

वर्तमान में बूंदी के बड़ा नया गांव व केशोरायपाटन इलाके में खेतों में टमाटर पूरी तरह से नष्ट हो चुका है. तरह-तरह के रोग इन टमाटरों में लग चुके हैं, जिन खेतों में टमाटर लाल और केसरिया हुआ करता था, वह आज रोग की वजह से पूरी तरह से नष्ट हो चुका है. बूंदी के टमाटर का स्वाद अब पूरी तरह से फीका सा हो गया है और इस फसल को नष्ट होते देख किसान भी चिंतित हैं कि आखिरकार उनकी फसल पूरी तरह से नष्ट होने के कगार पर चली गई.

लॉकडाउन की वजह से नहीं आ रहा कोई खरीदार...

लॉकडाउन की वजह से किसानों को न तो कोई खरीदार मिल पाया और न ही मजदूरी करने वाला कोई मजदूर मिल पाया, जिसके चलते किसान अपनी फसल को काट नहीं सके. साथ ही खेतों में छिड़कने के लिए कोई उन्हें खाद या कोई अलग से कीटनाशक उपलब्ध नहीं हो पाया, जिसके चलते किसान अपनी फसल को संभाल नहीं सके और लॉगडाउन बढ़ा तो दिन-ब-दिन टमाटर की फसल पर रोग लगता चला गया. हरे पौधे रोग के चलते काले पड़ने लगे और उन हरे पौधों में लहरा रहे टमाटर भी काले पड़ने लगे.

2 रुपए किलो का भाव, जानवरों को खिलाना पड़ रहा है टमाटर...

समय पर किसानों को आवश्यक सामग्री नहीं मिल पाई तो किसानों का टमाटर खेतों में ही खराब होने लगा. खेतों में लगे रोग के चलते टमाटर पूरी तरह से सड़ गया. ऐसे में एक बीघा में कई क्विंटल निकलने वाले टमाटर की संख्या कम हो गई और टमाटर भारी संख्या में खराब निकलने लगा. किसान उस खराब हुए टमाटर को एकत्रित कर जानवरों को खिलाने पर मजबूर हो गए, जितना किसान बेचने के लिए बाहर भेजते थे. उतना तो किसानों ने जानवरों को ही अपना टमाटर खिला दिया.

वहीं बचा हुआ टमाटर किसान के पास बचा तो उसका भाव भी किसान के मन मुताबिक नहीं मिल सका. किसान बताते हैं कि मंडिया खुल नहीं रहीं और कोई खरीदार लेने के लिए नहीं आ रहा. ऐसे में उन्हें औने-पौने दामों में ही टमाटर बेचना पड़ रहा है. वे 2 से 3 रुपए किलो टमाटर बेच रहे हैं, जबकि यही टमाटर वे 20 से 25 रुपए किलो आमतौर पर बेचते थे.

मुआवजे की मांग...

किसानों के हालात बहुत बुरे हैं और टमाटर खराब होने के चलते उनके सिर पर चिंता की लकीरें हैं. ईटीवी भारत की टीम जब बूंदी के बड़ा नया गांव इलाके में पहुंची तो किसानों ने अपना दर्द कैमरे पर बयां करते हुए कहा कि सब कुछ बर्बाद हो चुका है. एक बीघा पर उन्हें करीब 25 हजार रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है. इस नुकसान की भरपाई आखिरी करेगा कौन.? किसानों ने ईटीवी भारत के माध्यम से आवाज उठाई और कहा कि सरकार उनके लिए जल्द मुआवजा का एलान करे. ताकि वे इस कर्ज के तले दबे बोझ से उबर सकें, जिस फसल से उन्हें पैसा मिलता था वह फसल तो अब पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. ऐसे में आखिरकार वे किस पैसे से अपने घर का कर चलाएंगे. यह सवाल उनके सामने खड़ा हो गया है. जरूरत है कि सरकार को बूंदी के किसानों के लिए मुआवजे का एलान करे.

बूंदी. कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. इसको देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया है. लेकिन लॉकडाउन के बीच किसानों की हालत दर से बदतर हो गई है. बूंदी के किसान फसल खराब होने से काफी चिंतित हैं.

एक उम्मीद उस पर भी Corona का कहर

दरअसल, बूंदी के किसान बड़े पैमाने पर टमाटर सहित भिंडी की खेती करते हैं. लेकिन इस लॉकडाउन के कालचक्र में इनकी फसलें खराब हो गईं, जिस वजह से इनको काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. साथ ही खेतों में खड़ी टमाटर की फसल में रोग भी लग गया है.

इस गांव में होती है टमाटर की खेती...

बूंदी के केशोरायपाटन और बड़ा नया गांव में सबसे अधिक टमाटर की खेती होती है. यहां पर किसान टमाटर और भिंडी की फसल को अच्छी तरह से उपज करते हैं. किसानों ने हर साल की तरह इस साल भी बड़ी तादाद में टमाटर की फसल की उपज की थी. उन्हें नहीं पता था कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होगा और उनकी फसल को कोई खरीदने के लिए नहीं आएगा. लेकिन किसान तो कर्ज के तले दबा हुआ है और इस बार भी टमाटर की फसल खराब होने के चलते मुसीबत किसानों के सिर आ गई.

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वर्तमान में बूंदी के बड़ा नया गांव व केशोरायपाटन इलाके में खेतों में टमाटर पूरी तरह से नष्ट हो चुका है. तरह-तरह के रोग इन टमाटरों में लग चुके हैं, जिन खेतों में टमाटर लाल और केसरिया हुआ करता था, वह आज रोग की वजह से पूरी तरह से नष्ट हो चुका है. बूंदी के टमाटर का स्वाद अब पूरी तरह से फीका सा हो गया है और इस फसल को नष्ट होते देख किसान भी चिंतित हैं कि आखिरकार उनकी फसल पूरी तरह से नष्ट होने के कगार पर चली गई.

लॉकडाउन की वजह से नहीं आ रहा कोई खरीदार...

लॉकडाउन की वजह से किसानों को न तो कोई खरीदार मिल पाया और न ही मजदूरी करने वाला कोई मजदूर मिल पाया, जिसके चलते किसान अपनी फसल को काट नहीं सके. साथ ही खेतों में छिड़कने के लिए कोई उन्हें खाद या कोई अलग से कीटनाशक उपलब्ध नहीं हो पाया, जिसके चलते किसान अपनी फसल को संभाल नहीं सके और लॉगडाउन बढ़ा तो दिन-ब-दिन टमाटर की फसल पर रोग लगता चला गया. हरे पौधे रोग के चलते काले पड़ने लगे और उन हरे पौधों में लहरा रहे टमाटर भी काले पड़ने लगे.

2 रुपए किलो का भाव, जानवरों को खिलाना पड़ रहा है टमाटर...

समय पर किसानों को आवश्यक सामग्री नहीं मिल पाई तो किसानों का टमाटर खेतों में ही खराब होने लगा. खेतों में लगे रोग के चलते टमाटर पूरी तरह से सड़ गया. ऐसे में एक बीघा में कई क्विंटल निकलने वाले टमाटर की संख्या कम हो गई और टमाटर भारी संख्या में खराब निकलने लगा. किसान उस खराब हुए टमाटर को एकत्रित कर जानवरों को खिलाने पर मजबूर हो गए, जितना किसान बेचने के लिए बाहर भेजते थे. उतना तो किसानों ने जानवरों को ही अपना टमाटर खिला दिया.

वहीं बचा हुआ टमाटर किसान के पास बचा तो उसका भाव भी किसान के मन मुताबिक नहीं मिल सका. किसान बताते हैं कि मंडिया खुल नहीं रहीं और कोई खरीदार लेने के लिए नहीं आ रहा. ऐसे में उन्हें औने-पौने दामों में ही टमाटर बेचना पड़ रहा है. वे 2 से 3 रुपए किलो टमाटर बेच रहे हैं, जबकि यही टमाटर वे 20 से 25 रुपए किलो आमतौर पर बेचते थे.

मुआवजे की मांग...

किसानों के हालात बहुत बुरे हैं और टमाटर खराब होने के चलते उनके सिर पर चिंता की लकीरें हैं. ईटीवी भारत की टीम जब बूंदी के बड़ा नया गांव इलाके में पहुंची तो किसानों ने अपना दर्द कैमरे पर बयां करते हुए कहा कि सब कुछ बर्बाद हो चुका है. एक बीघा पर उन्हें करीब 25 हजार रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है. इस नुकसान की भरपाई आखिरी करेगा कौन.? किसानों ने ईटीवी भारत के माध्यम से आवाज उठाई और कहा कि सरकार उनके लिए जल्द मुआवजा का एलान करे. ताकि वे इस कर्ज के तले दबे बोझ से उबर सकें, जिस फसल से उन्हें पैसा मिलता था वह फसल तो अब पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. ऐसे में आखिरकार वे किस पैसे से अपने घर का कर चलाएंगे. यह सवाल उनके सामने खड़ा हो गया है. जरूरत है कि सरकार को बूंदी के किसानों के लिए मुआवजे का एलान करे.

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