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लूणकरनसर में बागियों ने बढ़ाई सियासी दलों की टेंशन, चतुष्कोणीय मुकाबले में बिछी बिसात - bikaner latest news

विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा अपने-अपने हिसाब से दावे कर रही है. दोनों प्रमुख सियासी दल कांग्रेस और बीजेपी के कुछ सीट ऐसी हैं जहां दोनों ही पार्टियों की बागियों ने परेशानी बढ़ाई है. दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए बागी मैदान में चुनौती बने हुए हैं. बीकानेर की लूणकरणसर विधानसभा सीट पर भी चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है.

Rajasthan assembly Election 2023
बागियों ने बढ़ाई सियासी दलों की टेंशन
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 17, 2023, 8:41 PM IST

बीकानेर. राजस्थान विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए सियासी दलों के साथ बागी कैंडिडेट पूरी दमखम के साथ डटे हुए हैं. बीकानेर जिले में अलग-अलग विधानसभा सीटों पर अलग-अलग समीकरण बनते नजर आ रहे हैं. जिले की लूणकरणसर विधानसभा सीट तीन जिलों श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू के साथ सटी है.

एक समय में यह विधानसभा क्षेत्र काफी बड़ा था, लेकिन 2008 के परिसीमन में इसका कुछ हिस्सा हटाकर खाजूवाला नया विधानसभा क्षेत्र बना. बात करें इस बार के चुनाव की तो यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही पार्टी के बागी चुनौती देते नजर आ रहे हैं. लूणकरणसर सीट पर मुकाबले में चार प्रत्याशी मैदान में हैं. कांग्रेस और भाजपा के अलावा दो बागी डटे हुए हैं. तीसरे दल के रूप में राजस्थान में कई सीटों पर चुनाव लड़ रही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी यहां से अपना उम्मीदवार खड़ा किया है.

पढ़ें:अजमेर में गरजे अमित शाह, कहा- देश की आजादी के बाद से कांग्रेस अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे को अटकाती रही

कांग्रेस के लिए बेनीवाल बने चुनौती: कभी लूणकरणसर की पहचान चौधरी भीमसेन से हुआ करती थी. यहां से छह बार चुनाव जीतकर मंत्री बनने वाले चौधरी भीमसेन के देहांत के बाद कांग्रेस ने उनके पुत्र वीरेंद्र बेनीवाल मैदान में उतारा, लेकिन पिछले दो चुनाव में लगातार वीरेंद्र बेनीवाल की हार के बाद इस बार पार्टी ने कांग्रेस के युवा चेहरे के रूप में प्रदेश महासचिव डॉ राजेंद्र मूंड पर भरोसा जताया है. टिकट कटने के बाद पार्टी से नाराजगी जताते हुए बेनीवाल निर्दलीय मैदान में डटे हुए हैं.

भाजपा के लिए प्रभुदयाल परेशानी: भाजपा ने एक बार फिर विधायक सुमित गोदारा पर भरोसा जताया है. पिछली बार भी बागी होकर चुनाव लड़ने वाले प्रभुदयाल सारस्वत इस बार फिर मैदान में हैं. प्रभुदयाल ने पिछली बार करीब 24000 से ज्यादा वोट लिए, लेकिन बावजूद इसके सुमित गोदारा चुनाव जीत गए.

अब क्या समीकरण: लूणकरणसर विधानसभा क्षेत्र जातिगत लिहाज से इस बार समीकरण बिगड़ने और बिगाड़ने की स्थिति में है. हर प्रत्याशी अपने हिसाब से दम दिखा रहे हैं. जातिगत बाहुल्य की बात करें तो यहां भाजपा और कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय बेनीवाल के खड़े होने से जाट मतदाताओं का विभाजन होना तय माना जा रहा है. वहीं, ब्राह्मण मतदाताओं में प्रभुदयाल सारस्वत अकेले हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय बेनीवाल के साथ भी कई ब्राह्मण नेता लगे हुए हैं. ऐसे में खुद की जाति के अलावा दूसरी जाति के मतदाताओं को अपने साथ लाने की कोशिश हर प्रत्याशी की ओर से की जा रही है.

पढ़ें:दौसा के महुवा में भिड़े भाजपा-कांग्रेस कार्यकर्ता, कांग्रेस प्रत्याशी ओमप्रकाश हुड़ला ने किरोड़ी लाल मीणा पर लगाए गंभीर आरोप

नहरी पानी क्षेत्र का विकास मुद्दे: लूणकरणसर क्षेत्र नमक के पानी का इलाका है, जहां फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. ऐसे में नहर से सिंचाई पानी को लेकर भी हर बार यहां मुद्दा रहता है. क्षेत्र के सर्वांगीण विकास को लेकर मतदाता के पास प्रत्याशी जा रहे हैं.

बीकानेर. राजस्थान विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए सियासी दलों के साथ बागी कैंडिडेट पूरी दमखम के साथ डटे हुए हैं. बीकानेर जिले में अलग-अलग विधानसभा सीटों पर अलग-अलग समीकरण बनते नजर आ रहे हैं. जिले की लूणकरणसर विधानसभा सीट तीन जिलों श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू के साथ सटी है.

एक समय में यह विधानसभा क्षेत्र काफी बड़ा था, लेकिन 2008 के परिसीमन में इसका कुछ हिस्सा हटाकर खाजूवाला नया विधानसभा क्षेत्र बना. बात करें इस बार के चुनाव की तो यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही पार्टी के बागी चुनौती देते नजर आ रहे हैं. लूणकरणसर सीट पर मुकाबले में चार प्रत्याशी मैदान में हैं. कांग्रेस और भाजपा के अलावा दो बागी डटे हुए हैं. तीसरे दल के रूप में राजस्थान में कई सीटों पर चुनाव लड़ रही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी यहां से अपना उम्मीदवार खड़ा किया है.

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कांग्रेस के लिए बेनीवाल बने चुनौती: कभी लूणकरणसर की पहचान चौधरी भीमसेन से हुआ करती थी. यहां से छह बार चुनाव जीतकर मंत्री बनने वाले चौधरी भीमसेन के देहांत के बाद कांग्रेस ने उनके पुत्र वीरेंद्र बेनीवाल मैदान में उतारा, लेकिन पिछले दो चुनाव में लगातार वीरेंद्र बेनीवाल की हार के बाद इस बार पार्टी ने कांग्रेस के युवा चेहरे के रूप में प्रदेश महासचिव डॉ राजेंद्र मूंड पर भरोसा जताया है. टिकट कटने के बाद पार्टी से नाराजगी जताते हुए बेनीवाल निर्दलीय मैदान में डटे हुए हैं.

भाजपा के लिए प्रभुदयाल परेशानी: भाजपा ने एक बार फिर विधायक सुमित गोदारा पर भरोसा जताया है. पिछली बार भी बागी होकर चुनाव लड़ने वाले प्रभुदयाल सारस्वत इस बार फिर मैदान में हैं. प्रभुदयाल ने पिछली बार करीब 24000 से ज्यादा वोट लिए, लेकिन बावजूद इसके सुमित गोदारा चुनाव जीत गए.

अब क्या समीकरण: लूणकरणसर विधानसभा क्षेत्र जातिगत लिहाज से इस बार समीकरण बिगड़ने और बिगाड़ने की स्थिति में है. हर प्रत्याशी अपने हिसाब से दम दिखा रहे हैं. जातिगत बाहुल्य की बात करें तो यहां भाजपा और कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय बेनीवाल के खड़े होने से जाट मतदाताओं का विभाजन होना तय माना जा रहा है. वहीं, ब्राह्मण मतदाताओं में प्रभुदयाल सारस्वत अकेले हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय बेनीवाल के साथ भी कई ब्राह्मण नेता लगे हुए हैं. ऐसे में खुद की जाति के अलावा दूसरी जाति के मतदाताओं को अपने साथ लाने की कोशिश हर प्रत्याशी की ओर से की जा रही है.

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नहरी पानी क्षेत्र का विकास मुद्दे: लूणकरणसर क्षेत्र नमक के पानी का इलाका है, जहां फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. ऐसे में नहर से सिंचाई पानी को लेकर भी हर बार यहां मुद्दा रहता है. क्षेत्र के सर्वांगीण विकास को लेकर मतदाता के पास प्रत्याशी जा रहे हैं.

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