भीलवाड़ा. अगर आधुनिक नवाचार के साथ किसान परंपरागत किसानी काम छोड़कर बागवानी की खेती करें, तो खेती घाटे का सौदा साबित नहीं हो सकती. भीलवाड़ा के किसान गोपाल जाट ने यही कर दिखाया है. जिन्होंने अपने खेत पर 4 बीघा चीकू की फसल बोई और उस फसल मे किसी प्रकार का अंग्रेजी खाद और दवाई का छिड़काव नहीं करते हुए लाखों रुपए की उपज प्राप्त की है.
ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा जिले के आटुण गांव के पास किसान गोपाल जाट के खेत पर पहुंची. जहां किसान गोपाल जाट ने ईटीवी भारत पर अपनी कामयाबी की दास्तां सुनाते हुए कहा कि 4 बीघा में 300 चीकू के पौधे लगाए गए. यह पौधे गुजरात के वलसाड से 2005 में लेकर आया था. इन पौधे को लगाने पर 80 रुपये का खर्चा आया था, और वर्तमान में एक पेड़ से 100 किलो 1 वर्ष में चीकू का उत्पादन हो रहा है, और 40 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है.
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किसान ने बताया कि, उन्हें आधुनिक नवाचार से किसानी करने का ख्याल मन में आया, और वहीं से परंपरागत खेती छोड़कर उद्यान की खेती करने की ठानी. उसी के तहत चीकू के पौधे लगाए, जो एक चीकू का वजन 80 से 100 ग्राम है, जो बहुत मीठा है. पहले यहां की मिट्टी बहुत खराब थी, तो मिट्टी को चेंज करवाया और पानी भी खराब होने के कारण टैंकर के जरिए इन पौधों की पिलाई की.
इसके साथ ही पहले यहां का वातावरण पौधों को सूट नहीं कर रहा था. लेकिन कुछ दिनों के बाद वातावरण भी पौधों को सूट करने लगा और हमारे यहां गर्मी की ऋतु में जून और जुलाई माह में चीकू की फसल का उत्पादन हो रहा है. जबकि दूसरी जगह सर्दी की ऋतु में होता है.
किसान गोपाल जाट ने भीलवाड़ा जिले के किसानों को संदेश देते हुए कहा कि, मेरी तरह अन्य किसान भी परंपरागत खेती छोड़कर बागवानी की खेती करें तो अच्छी उपज हो सकती है. क्योंकि चीकू की फसल को सिर्फ गर्मी में 5 बार पानी पिलाना पड़ता है. एक बार निराई गुड़ाई करनी पड़ती है. यहां तक कि इसमें किसी प्रकार की दवाई और अंग्रेजी खाद की जरूरत नहीं होती है. जिससे मानव जीवन के स्वास्थ्य पर भी कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. साथ ही चीकू पीलिया रोग में भी लाभदायक होता है.
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चीकू की फसल के अच्छे उत्पादन को लेकर ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा के कृषि विभाग कार्यालय पहुंची. जहां उद्यान विभाग के सहायक निदेशक रामकिशोर मीणा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि, भीलवाड़ा जिले के किसान आधुनिक नवाचार के साथ उद्यान की खेती कर रहे हैं.
उद्यान की खेती करने से किसानों को लाभ ही लाभ मिलता है. हमारे यहां कैलाश जाट ने आधुनिक नवाचार के साथ चीकू की फसल के पौधे बोये और अच्छा उत्पादन हो रहा है. जिले के किसानों को संदेश देना चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा बागवानी की खेती करें जिससे अच्छी उपज हो सके.
अब देखना यह होगा होनहार किसान गोपाल जाट की तरह जिले के अन्य किसान भी परंपरागत खेती छोड़ कर फलदार पौधों की खेती करते है जिससे उनको लाखों रुपए की उपज प्राप्त हो सके.