ETV Bharat / state

उत्तराखंड में ही नहीं भरतपुर में भी विराजमान हैं नीलकंठ महादेव - Neelkanth Mahadev lives in Bharatpur Rajasthan

उत्तराखंड में चारधाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु दुर्गम पहाड़ियों में विराजमान नीलकंठ महादेव के दर्शन जरूर करते हैं. लेकिन नीलकंठ महादेव उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों में ही नहीं बल्कि बृज भूमि में भी विराजमान हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jul 11, 2023, 8:29 AM IST

भरतपुर में भी विराजमान हैं नीलकंठ महादेव

भरतपुर. सावन के महीने में मंदिर बम बम भोले के जयकारों से गूंज रहे हैं. उत्तराखंड में चारधाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु दुर्गम पहाड़ियों में विराजमान नीलकंठ महादेव के दर्शन जरूर करते हैं. लेकिन नीलकंठ महादेव उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों में ही नहीं बल्कि बृज भूमि में भी विराजमान हैं. द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के निवेदन पर नीलकंठ महादेव यहां प्रकट हुए थे. इसलिए जो श्रृद्धालु उत्तराखंड जाकर नीलकंठ महादेव के दर्शन नहीं कर पाते वो बृज के मेवात में दर्शन कर वही पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.

यहां विराजमान हैं नीलकंठ महादेव : भरतपुर संभाग मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर डीग पहुंचकर मेवात क्षेत्र में करीब 20 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर नीलकंठ महादेव का मंदिर स्थित है. यहीं पर लक्ष्मण झूला, गंगोत्री और यमुनोत्री का मंदिर भी स्थित है. श्रावण मास में श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं.

ऐसे प्रकट हुए नीलकंठ : नीलकंठ महादेव मंदिर के पुजारी सरजुदास ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण के बुजुर्ग माता पिता नंदबाबा और यशोदा मां चार धाम की यात्रा पर जाने की जिद करने लगे. भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि यदि मैं बृज में ही चारधाम, नीलकंठ महादेव, गंगोत्री, यमुनोत्री बुला दूं और दर्शन करा दूं तो चार धाम की यात्रा की जिद छोड़ दोगे. इस पर नंदबाबा और यशोदा मान गए थे. उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने योग माया से नीलकंठ महादेव, आदिबद्री, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, नर-नारायण पर्वत, लक्ष्मण झूला बृज में ही प्रकट कर दिए. नंदबाबा, यशोदा मां और सभी बृज वासियों ने बृज में ही चारधाम और नीलकंठ महादेव के दर्शन किए. सभी के दर्शन के बाद भी सभी तीर्थ यहीं पर विराजमान हो गए.

पढ़ें Neelkanth Shiv Temple : पांडवों ने की थी स्थापना, नीलम पत्थर का बना है शिवलिंग...औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया

दर्शन का मिलता है यह पुण्य : पुजारी सरजुदास ने बताया कि बृज के 14 कोस क्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण ने योगमाया से चारों धाम और अन्य तीर्थ प्रकट कर दिए। उन्होंने बताया कि बृज में गंगोत्री के दर्शन से ज्ञान प्राप्त होता है, यमुनोत्री के दर्शन से त्याग भावना जागृत होती है और केदारनाथ के दर्शन से माया मोह त्याग कर मन में वैराग्य पैदा होता है। इसलिए श्रावण मास में नीलकंठ महादेव और इन सभी तीर्थों के दर्शन से बहुत ही पुण्य प्राप्त होता है

भरतपुर में भी विराजमान हैं नीलकंठ महादेव

भरतपुर. सावन के महीने में मंदिर बम बम भोले के जयकारों से गूंज रहे हैं. उत्तराखंड में चारधाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु दुर्गम पहाड़ियों में विराजमान नीलकंठ महादेव के दर्शन जरूर करते हैं. लेकिन नीलकंठ महादेव उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ियों में ही नहीं बल्कि बृज भूमि में भी विराजमान हैं. द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के निवेदन पर नीलकंठ महादेव यहां प्रकट हुए थे. इसलिए जो श्रृद्धालु उत्तराखंड जाकर नीलकंठ महादेव के दर्शन नहीं कर पाते वो बृज के मेवात में दर्शन कर वही पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.

यहां विराजमान हैं नीलकंठ महादेव : भरतपुर संभाग मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर डीग पहुंचकर मेवात क्षेत्र में करीब 20 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर नीलकंठ महादेव का मंदिर स्थित है. यहीं पर लक्ष्मण झूला, गंगोत्री और यमुनोत्री का मंदिर भी स्थित है. श्रावण मास में श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं.

ऐसे प्रकट हुए नीलकंठ : नीलकंठ महादेव मंदिर के पुजारी सरजुदास ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण के बुजुर्ग माता पिता नंदबाबा और यशोदा मां चार धाम की यात्रा पर जाने की जिद करने लगे. भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि यदि मैं बृज में ही चारधाम, नीलकंठ महादेव, गंगोत्री, यमुनोत्री बुला दूं और दर्शन करा दूं तो चार धाम की यात्रा की जिद छोड़ दोगे. इस पर नंदबाबा और यशोदा मान गए थे. उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने योग माया से नीलकंठ महादेव, आदिबद्री, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, नर-नारायण पर्वत, लक्ष्मण झूला बृज में ही प्रकट कर दिए. नंदबाबा, यशोदा मां और सभी बृज वासियों ने बृज में ही चारधाम और नीलकंठ महादेव के दर्शन किए. सभी के दर्शन के बाद भी सभी तीर्थ यहीं पर विराजमान हो गए.

पढ़ें Neelkanth Shiv Temple : पांडवों ने की थी स्थापना, नीलम पत्थर का बना है शिवलिंग...औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया

दर्शन का मिलता है यह पुण्य : पुजारी सरजुदास ने बताया कि बृज के 14 कोस क्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण ने योगमाया से चारों धाम और अन्य तीर्थ प्रकट कर दिए। उन्होंने बताया कि बृज में गंगोत्री के दर्शन से ज्ञान प्राप्त होता है, यमुनोत्री के दर्शन से त्याग भावना जागृत होती है और केदारनाथ के दर्शन से माया मोह त्याग कर मन में वैराग्य पैदा होता है। इसलिए श्रावण मास में नीलकंठ महादेव और इन सभी तीर्थों के दर्शन से बहुत ही पुण्य प्राप्त होता है

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.