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विलुप्त होता गिद्ध साल में एक बार करता है प्रजनन, अंडा संभालने में वन विभाग को आ रहा पसीना - VULTURE REPRODUCTION STORY

मध्य प्रदेश के नौरादेही टाइगर रिजर्व में विलुप्त हो रहे गिद्धों के अंडे सहेजने में वन विभाग को पसीना आ रहा है.

VULTURE REPRODUCTION STORY
विलुप्त होता गिद्ध साल में एक बार करता प्रजनन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 3, 2025, 8:57 PM IST

सागर (कपिल तिवारी): पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों की बड़ी चिंता विलुप्त हो रहे उस पक्षी को लेकर काफी ज्यादा है, जिसे हम गिद्ध के नाम से जानते हैं. प्रकृति के सफाई कर्मी के तौर पर जाने जाने वाले गिद्ध पर्यावरण का अहम हिस्सा है. इनकी मौजूदगी मानव जीवन को कई तरह के संकटों से बचाती है, लेकिन मवेशियों में उपयोग होने वाले कुछ इंजेक्शन इनकी मौत की वजह बन रहे हैं. इनकी संख्या तेजी से कम हो रही है. ऐसे में गिद्धों के संरक्षण के लिए दुनिया भर के पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं.

खासकर सर्दी के मौसम में चिंता इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि गिद्ध इस समय पर प्रजनन करते हैं. साल में एक बार में सिर्फ एक अंडा देते हैं. ऐसे में एक अंडे को बचाने के लिए मध्य प्रदेश का वन विभाग काफी मशक्कत कर रहा है, क्योंकि सर्दी के मौसम में मध्य प्रदेश में सात प्रजाति के गिद्ध आते हैं. जिनमें से स्थानीय प्रजाति के गिद्ध यहीं पर अंडे देते हैं. इन अंडों को बचाने के लिए वन विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर का बयान (ETV Bharat)

सर्दियों में मध्य प्रदेश में आते हैं सात प्रजाति के गिद्ध

वैसे तो देश भर में गिद्ध की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश का पहला नंबर है. यहां गिद्धों के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. खासतौर पर सर्दियों के मौसम में ये प्रयास और तेज हो जाते हैं, क्योंकि इस वक्त मध्य प्रदेश में 7 प्रजातियों के गिद्ध देखने मिलते हैं. इन सात प्रजातियों में से तीन विदेशी और चार स्थानीय प्रजातियां हैं. जो स्थानीय चार प्रजातियां है, वो इंडियन वल्चर, चमर गिद्ध, राज गिद्ध और सफेद गिद्ध स्थाई रूप से यहीं रहते हैं. इसके अलावा तीन विदेशी प्रजातियां, हिमालयन ग्रैफान, यूरेशियन ग्रैफान और सिनेरियस गिद्ध प्रवासी के रूप में सर्दियों में यहां आते हैं.

Vulture Mating
प्रजनन के मामले में गिद्ध है शर्मिला पक्षी (ETV Bharat)

विदेशी प्रजाति के गिद्ध यहां सिर्फ सर्दियां बिताने के लिए आते हैं और वापस हो जाते हैं. इसके अलावा स्थानीय प्रजाति के गिद्ध यहां पर घोंसला बनाते हैं और प्रजनन भी करते हैं. स्थानीय प्रजातियों के गिद्धों के प्रजनन को लेकर वन विभाग को काफी चिंता रहती है, क्योंकि गिद्ध साल में एक बार में एक ही अंडा देता है. इसको सुरक्षित रखना वन विभाग की बड़ी जिम्मेदारी होती है.

vulture lays one egg in year
नौरादेही में कई प्रजाति के गिद्ध (ETV Bharat)

प्रजनन के मामले में गिद्ध है शर्मिला पक्षी

जहां तक गिद्धों की बात करें, तो आमतौर पर गिद्ध जोडे़ में रहते हैं, लेकिन प्रजनन के मामले में इन्हें स्लो ब्रीडर कहा जाता है, क्योंकि ये अपने पार्टनर के साथ मैटिंग में काफी वक्त लेते हैं. ये काफी शर्मीले स्वभाव का पक्षी होता है. मई-जून से लेकर अक्टूबर तक गिद्ध मैटिंग करते हैं. 55 दिन बाद अंडे से बच्चा निकलता है. इस तरह सर्दी के मौसम में गिद्ध बच्चे देते हैं. गिद्ध के बच्चे 4 महीने घोंसले में रहते हैं. ऐसी स्थिति में ज्यादातर सर्दी में प्रवास के दौरान गिद्ध अपने बच्चों का घोंसला बनाते हैं. अगर अंडा रहता है, तो उसकी काफी देखरेख वनविभाग को करनी होती है. अगर अंडे से बच्चा निकल आता है, तो करीब चार महीने उसकी सुरक्षा करनी होती है.

Sagar Nauradehi Tiger Reserve
विलुप्त होता पक्षी साल में देता है एक अंडा (ETV Bharat)

देश में मध्य प्रदेश नंबर वन, लेकिन अभी सफर काफी लंबा

जहां तक मध्य प्रदेश की बात करें, तो गिद्ध संरक्षण के मामले में मध्य प्रदेश देश में नंबर वन पर है. वनविभाग की जानकारी के मुताबिक 2022 की गिद्ध गणना में 9464 गिद्ध मध्य प्रदेश भर में पाए गए थे. भोपाल के केरवा स्थित गिद्ध प्रजनन केंद्र में गिद्धों की संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. यहां हर साल 50 लाख गिद्धों की संख्या बढ़ाने पर खर्च किए जाते हैं. केंद्र में फिलहाल 61 गिद्ध निगरानी है. यहां 8 साल पहले हरियाणा से गिद्धों के 23 जोडे़ लाए गए थे. वहीं 4 गिद्ध छिंदवाड़ा से लाए गए थे. यहां अब तक सिर्फ 8 गिद्धों की संख्या बढ़ पायी है. इसलिए कहा जाता है कि गिद्ध शर्मिला पक्षी है और इसकी संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास सब्र के साथ करने होते हैं.

Sagar Vulture Reproduction
सागर के नौरादेही में गिद्धों का जमावड़ा (ETV Bharat)

क्या कहते हैं जानकार

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ एए अंसारी कहते हैं कि "हमारे मध्य प्रदेश की बात करें या फिर हमारे टाइगर रिजर्व की बात करें, तो यहां पर सात प्रजातियों के गिद्ध हैं. जिनमें से चार प्रजातियां स्थानीय है, ये यहीं पर घोंसला बनाते हैं. यहीं पर प्रजनन करते हैं. इसके अलावा तीन प्रजातियां प्रवासी गिद्धों की है. उनमें हमारा हिमालयन ग्रैफान, यूरेशियन ग्रैफान और सिनेरेसियस वल्चर है. ये यहां सर्दी बिताने के लिए यानि एक तरह से भोजन के लिए आते हैं. ये यहां पर घोंसले नहीं बनाते हैं.

vulture lays one egg in year
सर्दियों में एमपी में आते हैं सात प्रजाति के गिद्ध (ETV Bharat)

गिद्धों को स्लो ब्रीडर कहा जाता है, इनकी प्रजनन की रफ्तार काफी धीमी होती है. ये साल में सिर्फ एक बार में एक अंडा देते हैं. आप समझ सकते हैं कि अगर एक अंडा देते हैं, तो उसको बचाने हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है. अगर एक अंडा बच्चे में कनवर्ट नहीं होता है, तो हमारा एक तरह से एक साल खराब हो जाता है. इसलिए हम लोगों को गिद्ध के साथ-साथ उनके घोंसलों की रक्षा करनी होती है.

सागर (कपिल तिवारी): पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों की बड़ी चिंता विलुप्त हो रहे उस पक्षी को लेकर काफी ज्यादा है, जिसे हम गिद्ध के नाम से जानते हैं. प्रकृति के सफाई कर्मी के तौर पर जाने जाने वाले गिद्ध पर्यावरण का अहम हिस्सा है. इनकी मौजूदगी मानव जीवन को कई तरह के संकटों से बचाती है, लेकिन मवेशियों में उपयोग होने वाले कुछ इंजेक्शन इनकी मौत की वजह बन रहे हैं. इनकी संख्या तेजी से कम हो रही है. ऐसे में गिद्धों के संरक्षण के लिए दुनिया भर के पर्यावरण प्रेमी चिंतित हैं.

खासकर सर्दी के मौसम में चिंता इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि गिद्ध इस समय पर प्रजनन करते हैं. साल में एक बार में सिर्फ एक अंडा देते हैं. ऐसे में एक अंडे को बचाने के लिए मध्य प्रदेश का वन विभाग काफी मशक्कत कर रहा है, क्योंकि सर्दी के मौसम में मध्य प्रदेश में सात प्रजाति के गिद्ध आते हैं. जिनमें से स्थानीय प्रजाति के गिद्ध यहीं पर अंडे देते हैं. इन अंडों को बचाने के लिए वन विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर का बयान (ETV Bharat)

सर्दियों में मध्य प्रदेश में आते हैं सात प्रजाति के गिद्ध

वैसे तो देश भर में गिद्ध की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश का पहला नंबर है. यहां गिद्धों के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. खासतौर पर सर्दियों के मौसम में ये प्रयास और तेज हो जाते हैं, क्योंकि इस वक्त मध्य प्रदेश में 7 प्रजातियों के गिद्ध देखने मिलते हैं. इन सात प्रजातियों में से तीन विदेशी और चार स्थानीय प्रजातियां हैं. जो स्थानीय चार प्रजातियां है, वो इंडियन वल्चर, चमर गिद्ध, राज गिद्ध और सफेद गिद्ध स्थाई रूप से यहीं रहते हैं. इसके अलावा तीन विदेशी प्रजातियां, हिमालयन ग्रैफान, यूरेशियन ग्रैफान और सिनेरियस गिद्ध प्रवासी के रूप में सर्दियों में यहां आते हैं.

Vulture Mating
प्रजनन के मामले में गिद्ध है शर्मिला पक्षी (ETV Bharat)

विदेशी प्रजाति के गिद्ध यहां सिर्फ सर्दियां बिताने के लिए आते हैं और वापस हो जाते हैं. इसके अलावा स्थानीय प्रजाति के गिद्ध यहां पर घोंसला बनाते हैं और प्रजनन भी करते हैं. स्थानीय प्रजातियों के गिद्धों के प्रजनन को लेकर वन विभाग को काफी चिंता रहती है, क्योंकि गिद्ध साल में एक बार में एक ही अंडा देता है. इसको सुरक्षित रखना वन विभाग की बड़ी जिम्मेदारी होती है.

vulture lays one egg in year
नौरादेही में कई प्रजाति के गिद्ध (ETV Bharat)

प्रजनन के मामले में गिद्ध है शर्मिला पक्षी

जहां तक गिद्धों की बात करें, तो आमतौर पर गिद्ध जोडे़ में रहते हैं, लेकिन प्रजनन के मामले में इन्हें स्लो ब्रीडर कहा जाता है, क्योंकि ये अपने पार्टनर के साथ मैटिंग में काफी वक्त लेते हैं. ये काफी शर्मीले स्वभाव का पक्षी होता है. मई-जून से लेकर अक्टूबर तक गिद्ध मैटिंग करते हैं. 55 दिन बाद अंडे से बच्चा निकलता है. इस तरह सर्दी के मौसम में गिद्ध बच्चे देते हैं. गिद्ध के बच्चे 4 महीने घोंसले में रहते हैं. ऐसी स्थिति में ज्यादातर सर्दी में प्रवास के दौरान गिद्ध अपने बच्चों का घोंसला बनाते हैं. अगर अंडा रहता है, तो उसकी काफी देखरेख वनविभाग को करनी होती है. अगर अंडे से बच्चा निकल आता है, तो करीब चार महीने उसकी सुरक्षा करनी होती है.

Sagar Nauradehi Tiger Reserve
विलुप्त होता पक्षी साल में देता है एक अंडा (ETV Bharat)

देश में मध्य प्रदेश नंबर वन, लेकिन अभी सफर काफी लंबा

जहां तक मध्य प्रदेश की बात करें, तो गिद्ध संरक्षण के मामले में मध्य प्रदेश देश में नंबर वन पर है. वनविभाग की जानकारी के मुताबिक 2022 की गिद्ध गणना में 9464 गिद्ध मध्य प्रदेश भर में पाए गए थे. भोपाल के केरवा स्थित गिद्ध प्रजनन केंद्र में गिद्धों की संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. यहां हर साल 50 लाख गिद्धों की संख्या बढ़ाने पर खर्च किए जाते हैं. केंद्र में फिलहाल 61 गिद्ध निगरानी है. यहां 8 साल पहले हरियाणा से गिद्धों के 23 जोडे़ लाए गए थे. वहीं 4 गिद्ध छिंदवाड़ा से लाए गए थे. यहां अब तक सिर्फ 8 गिद्धों की संख्या बढ़ पायी है. इसलिए कहा जाता है कि गिद्ध शर्मिला पक्षी है और इसकी संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास सब्र के साथ करने होते हैं.

Sagar Vulture Reproduction
सागर के नौरादेही में गिद्धों का जमावड़ा (ETV Bharat)

क्या कहते हैं जानकार

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ एए अंसारी कहते हैं कि "हमारे मध्य प्रदेश की बात करें या फिर हमारे टाइगर रिजर्व की बात करें, तो यहां पर सात प्रजातियों के गिद्ध हैं. जिनमें से चार प्रजातियां स्थानीय है, ये यहीं पर घोंसला बनाते हैं. यहीं पर प्रजनन करते हैं. इसके अलावा तीन प्रजातियां प्रवासी गिद्धों की है. उनमें हमारा हिमालयन ग्रैफान, यूरेशियन ग्रैफान और सिनेरेसियस वल्चर है. ये यहां सर्दी बिताने के लिए यानि एक तरह से भोजन के लिए आते हैं. ये यहां पर घोंसले नहीं बनाते हैं.

vulture lays one egg in year
सर्दियों में एमपी में आते हैं सात प्रजाति के गिद्ध (ETV Bharat)

गिद्धों को स्लो ब्रीडर कहा जाता है, इनकी प्रजनन की रफ्तार काफी धीमी होती है. ये साल में सिर्फ एक बार में एक अंडा देते हैं. आप समझ सकते हैं कि अगर एक अंडा देते हैं, तो उसको बचाने हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है. अगर एक अंडा बच्चे में कनवर्ट नहीं होता है, तो हमारा एक तरह से एक साल खराब हो जाता है. इसलिए हम लोगों को गिद्ध के साथ-साथ उनके घोंसलों की रक्षा करनी होती है.

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