जयपुर: प्रदेश की भजनलाल सरकार भले ही बजट सुझाव में कर्मचारियों की चर्चा करके उनकी नाराजगी को दूर करने की कोशिश कर रही हो, लेकिन खेमराज कमेटी की रिपोर्ट से नाखुश कर्मचारी अब सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत इस रिपोर्ट को कर्मचारियों के साथ छलावा बताया है. कर्मचारी विरोध स्वरूप 6 फरवरी को वित्त भवन के सामने रिपोर्ट की प्रतियां जलाएंगे.
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि खेमराज कमेटी की रिपोर्ट कर्मचारियों के साथ छलावा है. राज्य सरकार ने कर्मचारियों के वेतन विसंगति एवं परीक्षण समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक तो कर दिया, लेकिन इस रिपोर्ट में कर्मचारियों के लिए कुछ भी नहीं है, जिससे कर्मचारियों में बहुत बड़ा आक्रोश है. खेमराज कमेटी की ओर से कर्मचारियों की मांगों एवं वेतन विसंगतियों को गंभीरता से नहीं लिया गया और महत्वपूर्ण मांगों की उपेक्षा की है, जबकि इससे पूर्व गठित सावंत कमेटी तथा खेमराज कमेटी पर सरकार ने जनता का करोड़ों रुपया खर्च कर दिया. कर्मचारी संगठनों को भी वार्ता के लिए दूर दराज जिलों से बुलाकर जयपुर में ठहराया गया. इन सब पर ही बहुत खर्च हो गया.
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संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा भी पूरा नहीं: राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने संविदा कर्मचारियों को भी नियमित करने के वादा किया था, लेकिन लगभग 14 माह होने के बावजूद अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया. मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए दूसरी पदोन्नति पर ग्रेड पे 4200 सहित सचिवालय के समान वेतनमान, राज्य के समस्त कर्मचारियों को 9, 18 व 27 के चयनित वेतनमान के स्थान पर एसीपी 8,16, 24 व 32 में देने तथा निविदा कर्मचारियों के लिए आरएलएसडीसी के गठन की मांग भी अधूरी है. सरकार ने अभी तक इस पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया है. इस बात को लेकर राज्य भर के कर्मचारियों में बहुत बड़ा आक्रोश है और इसी को देखते हुए 6 फरवरी को जयपुर में खेमराज कमेटी की रिपोर्ट की प्रतियों की वित्त भवन के सामने होली जलाई जाएगी.
सभा में बनाएंगे रणनीति: गजेंद्र सिंह ने कहा कि आगे के कार्यक्रम में विभागों में 7 और 8 फरवरी को सभाओं द्वारा संपर्क करके आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी. महासंघ अध्यक्ष ने कहा कि छोटे कर्मचारियों पर अधिकारी और राजनेताओं की ओर से दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है. इस पर रोक लगाने के लिए एक कानून बनना चाहिए. साथ ही सभी बोर्ड निगम का निजीकरण बंद करते हुए नई भर्ती प्रक्रिया चालू करनी चाहिए. आइसोलेटेड पदों को पदोन्नति का लाभ एसीपी की अवधि से पहले दिए जाना चाहिए. कर्मचारियों की पदोन्नति में विलंब करके आर्थिक नुकसान करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राजकीय कार्य में बाधा पहुंचाने वाले नेताओं के खिलाफ कानून बनने चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से शीघ्र ही उचित नहीं निर्णय नहीं लिया जाता है तो विधानसभा पर प्रदर्शन और आंदोलन भी शुरू करना पड़ सकता है.