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राजस्थान के इस सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में बाघों के बीच होता है टेरेटरी के लिए संघर्ष, कम पड़ रहा क्षेत्रफल

रणथंभौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve) में बाघों की संख्या बढ़ी है लेकिन रिजर्व उनके लिए छोटा पड़ने लगा है. जिससे आए दिन बाघों में संघर्ष होता रहता है. प्रदेश के 70 फीसदी बाघ रणथंभौर में हैं लेकिन वन विभाग ने शिफ्टिंग के योजना पर कार्य शुरू नहीं किया है.

Ranthambhore Tiger Project, Bharatpur News
रणथंभौर टाइगर रिजर्व बाघों के लिए कम पड़ा
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Published : Jul 8, 2021, 7:30 PM IST

सवाई माधोपुर/भरतपुर. प्रदेश के रणथंभौर बाघ परियोजना (Ranthambhore Tiger Project) में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह सुकून देने वाली बात भी है. लेकिन साथ ही बाघों की बढ़ती हुई संख्या से एक नई परेशानी सामने खड़ी हो गई है. बाघों के लिए अब रणथंभौर बाघ परियोजना का क्षेत्रफल कम पड़ने लगा है.

विशेषज्ञों की मानें तो एक बाघ के लिए आवश्यक क्षेत्रफल से एक चौथाई से भी कम स्थान में रणथंभौर के बाघ रहने को मजबूर हैं. यही वजह है कि आए दिन रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाघों के संघर्ष की सूचनाएं सामने आती रहती हैं. जिसकी वजह से हर साल किसी ना किसी बाघ की मौत हो जाती है. वहीं वन विभाग बीते करीब दो साल से बाघों को अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की योजना भी बना रहा है लेकिन अभी तो उस योजना पर काम शुरू नहीं पाया है.

रणथंभौर टाइगर रिजर्व बाघों के लिए कम पड़ा

रणथंभौर बाघ परियोजना सलाहकार समिति के सदस्य एवं सेवानिवृत्त डीएफओ दौलत सिंह शक्तावत ने बताया कि एक नर बाघ के लिए औसतन 40 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र और मादा बाघ के लिए 25 वर्ग किमी का क्षेत्र निवास के लिए चाहिए. इससे वो आसानी से अपना भोजन (शिकार) भी प्राप्त कर लेता है. दूसरे बाघों से संघर्ष का खतरा भी नहीं रहता लेकिन रणथंभौर बाघ परियोजना में प्रति बाघ बमुश्किल 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही मिल पा रहा है.

यह भी पढ़ें. शिकंजे में शिकारी : 4 लोगों को मौत के घाट उतारने से दहशत में थे लोग, पकड़ा गया 'आदमखोर' पैंथर

सेवानिवृत्त डीएफओ दौलत सिंह शक्तावत ने बताया कि प्रदेश की सभी भाग परियोजनाओं में कुल 99 में बाघ मौजूद हैं. इनमें से 70 बाघ अकेले रणथंभौर में हैं.रणथंभौर बाघ परियोजना का कुल क्षेत्रफल करीब 600 वर्ग किलोमीटर है. जबकि यहां वर्तमान में 70 बाघ मौजूद हैं. ऐसे में प्रति बाघ 10 वर्ग किलोमीटर से भी कम क्षेत्रफल मिल पा रहा है. ऐसे में बाघों में आए दिन टेरिटरी फाइट होती रहती हैं.

सेवानिवृत्त डीएफओ दौलत सिंह शक्तावत और सेवानिवृत्त डीएफओ सुनयन शर्मा ने बताया कि रणथंभौर में बाघों की बढ़ती हुई संख्या और संघर्ष को देखते हुए इनमें से कुछ बाघों को अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करना चाहिए. इसको लेकर विभाग योजना भी बना रहा है लेकिन अभी तक यहां से बाघों की शिफ्टिंग पर काम नहीं हो पाया है.

दौलत सिंह शक्तावत ने बताया कि रणथंभौर में बाघों के लिए जगह कम पड़ने की वजह से बाघों के बीच टेरिटरी फाइट की घटनाएं भी बढ़ी हैं. यहां तक कि टेरिटरी फाइट के चलते हर वर्ष एक-दो बाघों की मौत भी हो जाती है.

पढ़ें: पैंथर का आतंक: महिला को आधा किलोमीटर तक घसीटकर ले गया, फिर बनाया शिकार...परिजनों में आक्रोश

रणथंभौर में बाघों की संख्या बढ़ने और जगह कम पड़ने की वजह से बाघ आबादी क्षेत्रों तक पहुंच जाते हैं. जिससे आम लोगों पर हमले और स्टाफ पर हमले की घटनाएं भी बढ़ी हैं. बीते दिनों कई बार बाघों ने आम लोगों पर हमले किए. जिनमें कई लोग घायल हुए और कई की मौत भी हुई.

रणथंभौर बाघ परियोजना में कुल 71 बाघ थे. जिसमें टी-65 की मौत के बाद कुल संख्या अब 70 है. जिसमें 23 नर, 29 मादा और 19 शावक हैं. करौली बाघ परियोजना में 2 नर, 1 मादा, 2 शावक हैं. अलवर सरिस्का बाघ परियोजना में कुल 23 बाघ हैं. जिसमें 6 नर, 10 मादा, 7 शावक हैं. मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 1 बाघ है.

सवाई माधोपुर/भरतपुर. प्रदेश के रणथंभौर बाघ परियोजना (Ranthambhore Tiger Project) में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह सुकून देने वाली बात भी है. लेकिन साथ ही बाघों की बढ़ती हुई संख्या से एक नई परेशानी सामने खड़ी हो गई है. बाघों के लिए अब रणथंभौर बाघ परियोजना का क्षेत्रफल कम पड़ने लगा है.

विशेषज्ञों की मानें तो एक बाघ के लिए आवश्यक क्षेत्रफल से एक चौथाई से भी कम स्थान में रणथंभौर के बाघ रहने को मजबूर हैं. यही वजह है कि आए दिन रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाघों के संघर्ष की सूचनाएं सामने आती रहती हैं. जिसकी वजह से हर साल किसी ना किसी बाघ की मौत हो जाती है. वहीं वन विभाग बीते करीब दो साल से बाघों को अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की योजना भी बना रहा है लेकिन अभी तो उस योजना पर काम शुरू नहीं पाया है.

रणथंभौर टाइगर रिजर्व बाघों के लिए कम पड़ा

रणथंभौर बाघ परियोजना सलाहकार समिति के सदस्य एवं सेवानिवृत्त डीएफओ दौलत सिंह शक्तावत ने बताया कि एक नर बाघ के लिए औसतन 40 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र और मादा बाघ के लिए 25 वर्ग किमी का क्षेत्र निवास के लिए चाहिए. इससे वो आसानी से अपना भोजन (शिकार) भी प्राप्त कर लेता है. दूसरे बाघों से संघर्ष का खतरा भी नहीं रहता लेकिन रणथंभौर बाघ परियोजना में प्रति बाघ बमुश्किल 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही मिल पा रहा है.

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सेवानिवृत्त डीएफओ दौलत सिंह शक्तावत ने बताया कि प्रदेश की सभी भाग परियोजनाओं में कुल 99 में बाघ मौजूद हैं. इनमें से 70 बाघ अकेले रणथंभौर में हैं.रणथंभौर बाघ परियोजना का कुल क्षेत्रफल करीब 600 वर्ग किलोमीटर है. जबकि यहां वर्तमान में 70 बाघ मौजूद हैं. ऐसे में प्रति बाघ 10 वर्ग किलोमीटर से भी कम क्षेत्रफल मिल पा रहा है. ऐसे में बाघों में आए दिन टेरिटरी फाइट होती रहती हैं.

सेवानिवृत्त डीएफओ दौलत सिंह शक्तावत और सेवानिवृत्त डीएफओ सुनयन शर्मा ने बताया कि रणथंभौर में बाघों की बढ़ती हुई संख्या और संघर्ष को देखते हुए इनमें से कुछ बाघों को अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करना चाहिए. इसको लेकर विभाग योजना भी बना रहा है लेकिन अभी तक यहां से बाघों की शिफ्टिंग पर काम नहीं हो पाया है.

दौलत सिंह शक्तावत ने बताया कि रणथंभौर में बाघों के लिए जगह कम पड़ने की वजह से बाघों के बीच टेरिटरी फाइट की घटनाएं भी बढ़ी हैं. यहां तक कि टेरिटरी फाइट के चलते हर वर्ष एक-दो बाघों की मौत भी हो जाती है.

पढ़ें: पैंथर का आतंक: महिला को आधा किलोमीटर तक घसीटकर ले गया, फिर बनाया शिकार...परिजनों में आक्रोश

रणथंभौर में बाघों की संख्या बढ़ने और जगह कम पड़ने की वजह से बाघ आबादी क्षेत्रों तक पहुंच जाते हैं. जिससे आम लोगों पर हमले और स्टाफ पर हमले की घटनाएं भी बढ़ी हैं. बीते दिनों कई बार बाघों ने आम लोगों पर हमले किए. जिनमें कई लोग घायल हुए और कई की मौत भी हुई.

रणथंभौर बाघ परियोजना में कुल 71 बाघ थे. जिसमें टी-65 की मौत के बाद कुल संख्या अब 70 है. जिसमें 23 नर, 29 मादा और 19 शावक हैं. करौली बाघ परियोजना में 2 नर, 1 मादा, 2 शावक हैं. अलवर सरिस्का बाघ परियोजना में कुल 23 बाघ हैं. जिसमें 6 नर, 10 मादा, 7 शावक हैं. मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 1 बाघ है.

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