भरतपुर. पहले वर्षभर मेहनत करता, काफी लागत आती लेकिन फसल उठाकर बाजार बेचकर हिसाब लगाता, तो आय के नाम पर बहुत कम पैसे हाथ में आते. इससे परेशान होकर जिले के बयाना तहसील के गांव विजयपुरा का युवा किसान तेजवीर सिंह परंपरागत खेती की राह को छोड़कर अब प्रगतिशील तरीके से खेती कर रहा है. 6 माह पहले 5 बीघा खेत में रेड लेडी ताइवानी पपीता की फसल बोई थी. साथ ही खेत में इंटरक्रोपिंग कर के मिर्ची, गेंदा और गोभी की फसल भी उगाई. अब तक किसान इंटरक्रोपिंग से ही करीब 3 लाख से अधिक की कमाई कर चुका है. जबकि डेढ़ माह बाद ताइवानी पपीता के फल भी बाजार के लिए तैयार हो जाएंगे. किसान तेजवीर की मानें तो रेड लेडी ताइवानी पपीता से परंपरागत खेती की तुलना में कई गुना ज्यादा आय होने की उम्मीद है.
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5 बीघा में ताइवानी पपीता की फसलः प्रगतिशील किसान तेजवीर ने बताया कि उसने करीब 6 माह पूर्व 5 बीघा खेत में रेड लेडी ताइवानी पपीता की पौध लगाई थी. इसके लिए बीज मंगाकर खुद ही पौध तैयार की थी. 5 बीघा में 1600 पौधे लगाए. किसान तेजवीर ने बताया कि इसमें करीब ढाई लाख रुपए की लागत आई. अब पौधों पर पपीते के फल आना शुरू हो गए हैं और जून अंत या जुलाई शुरुआत में फल तैयार हो जाएंगे और हम उन्हें मंडी में बेच सकेंगे.
इंटरक्रोपिंग से निकली लागतः तेजवीर ने बताया कि ताइवानी पपीते के पौधों के बीच बीच में गेंदा, गोभी और टमाटर की फसल भी बोई है. बीते करीब 4 माह में इंटरक्रोपिंग से पपीता की बुवाई की लागत निकाल ली है. करीब 2 लाख रुपए का गेंदा और 50 हजार रुपए के टमाटर बेच दिए हैं. अभी गेंदा की पैदावार जारी है, जिससे और आय होगी.
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4 लाख रुपए प्रति बीघा तक आयः उद्यान विभाग के उपनिदेशक जनकराज मीणा ने बताया कि रेड लेडी ताइवानी पपीता की नस्ल भरतपुर की आबोहवा और भौगोलिक परिस्थितियों में बहुत ही सफल है. एक बीघा में 300 से अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं. एक पौधा दो साल तक फल देता है. औसतन एक पौधे पर एक साल में 50 से 100 किलो तक पैदावार दे सकता है. ऐसे में ताइवानी पपीता की खेती से प्रति बीघा प्रति वर्ष करीब 3 से 4 लाख रुपए तक की आमदनी की जा सकती है.
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योजनाओं का मिलता है लाभः उपनिदेशक जनकराज मीणा ने बताया कि प्रगतिशील तरीके से खेती करने वाले किसानों को उद्यान विभाग की कई योजनाओं का लाभ मिलता है. किसान तेजवीर ने खेती के दौरान ड्रिप सिस्टम, मल्च और लो टनल तकनीक का इस्तेमाल किया. जिस पर उन्हें 75-75% अनुदान दिलाया गया. साथ ही ऐसे किसानों को विभाग की आत्मा योजना के तहत ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर पुरस्कृत भी किया जाता है.
तरबूज और मिर्चीः किसान तेजवीर ने बताया कि करीब ढाई बीघा खेत में मिर्ची की फसल की है. जिससे से अब तक करीब साढ़े तीन लाख की आय हो चुकी है. अभी भी मिर्ची की पैदावार जारी है. इसी तरह दो बीघा में तरबूज की फसल से करीब एक लाख की आमदनी हो चुकी है.
किसानों को करते हैं जागरूकः कृषि अधिकारी हरेंद्र सिंह ने बताया कि परंपरागत तरीके से खेती करने वाले किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षण के माध्यम से प्रगतिशील खेती के फायदे समझाए जाते हैं. उन्हें कई स्थानों पर भ्रमण कराकर प्रगतिशील तरीके से की जा रही खेती दिखाई जाती है. जिसके चलते कई किसान प्रगतिशील तरीके से खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं और उसका लाभ ले रहे हैं.
इसलिए छोड़ी परंपरागत खेतीः किसान तेजवीर ने बताया कि दो साल पहले 15 बीघा खेत में परंपरागत खेती करता था. उस समय एक साल में 15 बीघा खेत से सिर्फ 2 लाख रुपए की आमदनी हुई थी. जबकि अब प्रगतिशील तरीके से खेती कर के कुछ ही महीनों में 5 लाख की आमदनी हो गई है. मुख्य आय वाली फसल पपीता की है. इससे बंपर आय होने की संभावना है.