भरतपुर. युवाओं में तकनीकी शिक्षा यानी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के प्रति मोहभंग हो रहा है. एक ही परिसर में संचालित भरतपुर और करौली इंजीनियरिंग कॉलेज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. सत्र 2023 में इन दोनों ही कॉलेजों में 61% से 96% तक सीट रिक्त हैं. हालात ये हैं कि करौली के इंजीनियरिंग कॉलेज में तो कई साल तक किसी विद्यार्थी ने रुचि ही नहीं दिखाई. ऐसे में दोनों कॉलेज की हर वर्ष बड़ी संख्या में सीट रिक्त रह जाती हैं.
6 साल में 4 साल तक 0 एडमिशन: भरतपुर और करौली इंजीनियरिंग कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ नवीन झा ने बताया कि करौली इंजीनियरिंग कॉलेज की शुरुआत वर्ष 2017-18 में हुई. कॉलेज में वर्ष 2017 से 2021 तक एक भी प्रवेश नहीं हुआ. यानी कॉलेज की 300-300 सीट 5 साल तक रिक्त पड़ी रहीं. अब वर्ष 2022-23, 2023-24 में 16 और 11 प्रवेश हुए हैं. यानी इस सत्र में कॉलेज में 96% सीट रिक्त हैं.
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कार्यवाहक प्राचार्य डॉ नवीन झा ने बताया कि भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में भी कम विद्यार्थी रुचि दिखा रहे हैं. कॉलेज में 300 सीट हैं, लेकिन वर्ष 2023-24 में सिर्फ 117 विद्यार्थियों ने ही प्रवेश लिया. जबकि वर्ष 2022-23 में महज 102 विद्यार्थियों ने ही रुचि दिखाई. ऐसे में हर वर्ष 60% से अधिक सीट रिक्त रह जाती हैं.
फैक्ट:
- भरतपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में 300 सीटों पर सिर्फ 117 प्रवेश
- करौली कॉलेज में 300 सीटों पर सिर्फ 11 प्रवेश
- करौली कॉलेज में 5 साल तक नहीं हुआ एक भी प्रवेश
- भरतपुर कॉलेज में 7 ब्रांच उपलब्ध
- करौली कॉलेज में 5 ब्रांचों में पढ़ाई
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गौरतलब है कि युवाओं का आईआईटी और एमएनआईटी जैसे संस्थानों की तरफ रुझान ज्यादा देखने को मिल रहा है. ऐसे में जिलास्तर के इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीट बड़ी संख्या में रिक्त रह रही हैं. कॉलेज प्राचार्य डॉ रवि गुप्ता ने बताया कि कॉलेज में विद्यार्थियों का प्रवेश बढ़ाने के लिए हर वर्ष प्रयास किए जाते हैं. कॉलेज में मूलभूत सुविधा, शिक्षणिक सुविधाओं का लगातार विस्तार किया जा रहा है.