बालोतरा (बाड़मेर). केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने बुधवार को अपने निवास से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से आयोजित उच्चतर कृषि शिक्षा में नई शिक्षा नीति पर कुलपतियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग वेबिनार में भाग लिया. इस डिजिटल संवाद में विशेष रूप से ग्रामीण उद्यमिता जागरूकता विकास योजना कार्यक्रम को सभी कृषि विश्वविद्यालयों में जमीनी अनुभव और व्यवहारिक प्रशिक्षण को सुनिश्चित करने के लिए विचार विमर्श हुआ.
इस दौरान विद्यार्थियों के लिए उद्यमिता विकास और व्यवसाय प्रबंधन पर अनिवार्य पाठ्यक्रम की क्रियान्वयन पर सहमति बनी. इस दौरान कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि वैश्विक आवश्यकताओं के अनुसार, हमारे कृषि जगत और शिक्षा ढांचे में बदलाव की आवश्यकता और विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए नई शिक्षा नीति सहित मोदी सरकार ने कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं.
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कैलाश चौधरी ने कहा कि नई शिक्षा नीति आने के बाद नए तरीके से सोचना और काम करना होगा. शिक्षा रोजगारोन्मुखी हो और गुणवत्ता अच्छी हो. सिर्फ भीड़ न हो, बल्कि शिक्षा में उत्कृष्टता आए. इसका लाभ भी कृषि शिक्षा के क्षेत्र में मिलेगा. शिक्षा नीति की बातों को कैसे कृषि विज्ञान के अनुरूप बनाया जाए, इसको लेकर भी योजना बनाई जाए. चौधरी ने नई शिक्षा नीति के साथ कदमताल मिलाते हुए कृषि शिक्षा और शोध कार्यों को बढ़ावा दिए जाने की बात पर भी जोर दिया.
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कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि देश के किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम दिलाने के लिए मोदी सरकार ने 'आत्मनिर्भर कृषि' के राष्ट्रीय लक्ष्य के तहत देश के किसानों को उद्यमी बनाने के साथ-साथ भारत को दुनिया के लिए 'फूड बास्केट' बनाने की परिकल्पना की है.
केंद्र सरकार ने साल 2022 तक कृषि उत्पादों का निर्यात दोगुना बढ़ाकर 60 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है. कोरोना काल में भी मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र को सबसे ज्यादा प्रमुखता देते हुए इस क्षेत्र में सुधार के लिए अध्यादेश लाकर नीतिगत बदलाव किए और 'आत्मनिर्भर कृषि' के तहत लक्ष्य निर्धारित किए हैं.