बाड़मेर. कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए देश में लॉकडाउन लगाया गया. ऐसे में कई गरीब परिवार है जिनकी स्थिति बदतर हो गई है. वे खाने-खाने के मोहताज हो गए है. ऐसे में कई भामाशाह और समाजसेवी संस्थाएं भी बढ़-चढ़कर कोरोना के खिलाफ जंग में अपना सहयोग दे रहे हैं. साथ ही गरीब और जरूरतमंद लोगों तक खाद्य सामग्री भी उपलब्ध करवा रहे हैं. लेकिन प्रभावी मॉनिटरिंग के अभाव की वजह से कई गरीब परिवार दो वक्त की रोटी का भी इंतजाम नहीं कर पा रहे है.
यहां हम बात कर रहे है बाड़मेर ग्रामीण पंचायत में रहने वाले 104 साल के बुजुर्ग पोकरराम और उसकी पत्नी गवरी देवी की जिन्होंने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा था कि सरकार की तरफ से उन्हें कोई राहत सामग्री नहीं मिल रही है. वह पिछले 20 दिनों से दाने-दाने को मोहताज है. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रसारित किया जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने सुध लेते हुए इस परिवार के पास राहत सामग्री उपलब्ध करवाई.
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बाड़मेर के सीओ मोहन दान रतनू ने बताया कि शुक्रवार को हमें अवगत कराया गया कि बलदेव नगर इलाके में बुजुर्ग पोकरराम सहित 11 परिवार गवारीया समुदाय के है. जिनके पास खाने के लिए खाद्य सामग्री किसी भी प्रकार से उपलब्ध नहीं हो पा रही है. उसके बाद तत्काल हमने बाड़मेर ग्रामीण पंचायत समिति के विकास अधिकारी और ग्राम विकास अधिकारी को भेजा. उन्होंने कहा कि हमारे पास 11 परिवारो की लिस्ट आई थी.
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उनमें से 7 परिवार खाद्य सुरक्षा योजना एनएफएसए (NFSA) सूची में रजिस्टर्ड है. उनको अप्रैल माह का गेहूं भी मिल चुका था. 4 परिवार ऐसे थे जो खाद्य सुरक्षा योजना एनएफएसए (NFSA) से लाभान्वित नहीं हो रहे थे. पोकरराम और उसका बेटा उकाराम खाद्य सुरक्षा योजना मे रजिस्टर्ड है. उन 4 परिवारो को पूर्व में भी खाद्य सामग्री किट दिए गए थे. सीओ ने बताया कि बुजुर्ग पोकरराम को मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर उन्हें भी किट उपलब्ध करवाए हैं. हालांकि उन्हें अप्रैल माह के गेहूं मिल चुके हैं वहीं उन्हें दाल मिर्च मसाला और तेल उपलब्ध करवा दिया है. इसी तरह 11 परिवार थे उन्हें खाद्यान्न और किट की सामग्री उपलब्ध करा दी गई है.