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बांसवाड़ा : दुष्कर्म और हत्या के मामले में अब पुलिस अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, जानें पूरा मामला

बांसवाड़ा में दुष्कर्म और हत्या के निर्देश दिया है. 7 साल पहले एक किशोरी की गला दबाकर हत्या की गई थी. परिजनों ने दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोप लगाते हुए पुलिस में मामला दर्ज कराया था, लेकिन मामले में पीड़िता के कपड़े और चिकित्सीय नमूने ही थाने से गायब हो गए.

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7 साल पहले एक किशोरी की गला दबाकर हत्या की गई थी.
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Published : Nov 10, 2020, 3:42 PM IST

बांसवाड़ा. दुष्कर्म और हत्या (Rape And Murder Case) के एक प्रकरण में पॉक्सो कोर्ट (POCSO Court) ने पुलिस जांच को दोषपूर्ण मानते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक समेत कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिया है. 7 साल पहले एक किशोरी की गला दबाकर हत्या की गई थी. परिजनों ने दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोप लगाते हुए पुलिस में मामला दर्ज कराया था, लेकिन मामले में पीड़िता के कपड़े और चिकित्सीय नमूने ही थाने से गायब हो गए. इस कारण कोर्ट में आरोपी पर कोई अपराध साबित नहीं हो सका. इसके बाद पुलिस ने आरोपी को क्लीन चिट देते हुए कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी. कोर्ट ने पुलिस की जांच को दोषपूर्ण मानते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक केसर सिंह शेखावत, एएसपी महेश मीणा, डिप्टी कुशलगढ़ सवाई सिंह भाटी, डिप्टी नारायण सिंह के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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जमीन विवाद करार देकर खत्म किया केस...

पुलिस ने 29 मार्च 2014 को मामले में अपनी जांच में अंतिम रिपोर्ट पेश की थी. 30 जुलाई 2019 को कोर्ट ने फिर से जांच के आदेश दिए. दोबारा कोर्ट में पेश की गई जांच रिपोर्ट में भी पुलिस ने प्रार्थी और गवाहों के बीच बयानों के आधार पर इसे जमीन विवाद करार दिया गया. पुलिस ने अपनी जांच में अनुसंधान अधिकारी द्वारा किसी भी प्रकार की लापरवाही से इनकार किया गया. पीठासीन अधिकारी आरिफ मोहम्मद ने साक्ष्य और पत्रावली के अवलोकन के बाद पुलिस जांच को दोषपूर्ण माना.

कोर्ट ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि पीड़िता के कपड़े और चिकित्सा अधिकारी द्वारा लिए गए नमूने थाने से गायब हो जाए. फिर भी अनुसंधान अधिकारी की कोई लापरवाही विभागीय जांच में नहीं मानी गई. जबकि, दुष्कर्म जैसे मामले में विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट का काफी महत्व है. ऐसी स्थिति में नमूने थाने से ही गायब हो जाना पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है. पीठासीन अधिकारी ने मामले की प्रति पुलिस महानिदेशक को भेजकर दोषी पुलिस अधिकारी तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शेखावत, एएसपी महेश मीणा, पुलिस उपाधीक्षक कुशलगढ़ सवाई सिंह भाटी और डीवाईएसपी नारायण सिंह के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

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यह था मामला...

वर्ष 2013 में सज्जनगढ़ थाना इलाके के एक व्यक्ति ने पुलिस थाने में दी थी कि उसकी बेटी खेत में गई थी, लेकिन काफी समय तक नहीं लौटी. इस दौरान उसको तलाश करते हुए जब वह खेत में पहुंचा तो आरोपी उसकी बेटी का गला दबा रहा था. वह बेटी के पास पहुंचता, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. उसने रिपोर्ट में उसकी बेटी के साथ रेप और हत्या का मामला दर्ज कराया.

बांसवाड़ा. दुष्कर्म और हत्या (Rape And Murder Case) के एक प्रकरण में पॉक्सो कोर्ट (POCSO Court) ने पुलिस जांच को दोषपूर्ण मानते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक समेत कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिया है. 7 साल पहले एक किशोरी की गला दबाकर हत्या की गई थी. परिजनों ने दुष्कर्म के बाद हत्या का आरोप लगाते हुए पुलिस में मामला दर्ज कराया था, लेकिन मामले में पीड़िता के कपड़े और चिकित्सीय नमूने ही थाने से गायब हो गए. इस कारण कोर्ट में आरोपी पर कोई अपराध साबित नहीं हो सका. इसके बाद पुलिस ने आरोपी को क्लीन चिट देते हुए कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी. कोर्ट ने पुलिस की जांच को दोषपूर्ण मानते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक केसर सिंह शेखावत, एएसपी महेश मीणा, डिप्टी कुशलगढ़ सवाई सिंह भाटी, डिप्टी नारायण सिंह के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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जमीन विवाद करार देकर खत्म किया केस...

पुलिस ने 29 मार्च 2014 को मामले में अपनी जांच में अंतिम रिपोर्ट पेश की थी. 30 जुलाई 2019 को कोर्ट ने फिर से जांच के आदेश दिए. दोबारा कोर्ट में पेश की गई जांच रिपोर्ट में भी पुलिस ने प्रार्थी और गवाहों के बीच बयानों के आधार पर इसे जमीन विवाद करार दिया गया. पुलिस ने अपनी जांच में अनुसंधान अधिकारी द्वारा किसी भी प्रकार की लापरवाही से इनकार किया गया. पीठासीन अधिकारी आरिफ मोहम्मद ने साक्ष्य और पत्रावली के अवलोकन के बाद पुलिस जांच को दोषपूर्ण माना.

कोर्ट ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि पीड़िता के कपड़े और चिकित्सा अधिकारी द्वारा लिए गए नमूने थाने से गायब हो जाए. फिर भी अनुसंधान अधिकारी की कोई लापरवाही विभागीय जांच में नहीं मानी गई. जबकि, दुष्कर्म जैसे मामले में विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट का काफी महत्व है. ऐसी स्थिति में नमूने थाने से ही गायब हो जाना पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है. पीठासीन अधिकारी ने मामले की प्रति पुलिस महानिदेशक को भेजकर दोषी पुलिस अधिकारी तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शेखावत, एएसपी महेश मीणा, पुलिस उपाधीक्षक कुशलगढ़ सवाई सिंह भाटी और डीवाईएसपी नारायण सिंह के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

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यह था मामला...

वर्ष 2013 में सज्जनगढ़ थाना इलाके के एक व्यक्ति ने पुलिस थाने में दी थी कि उसकी बेटी खेत में गई थी, लेकिन काफी समय तक नहीं लौटी. इस दौरान उसको तलाश करते हुए जब वह खेत में पहुंचा तो आरोपी उसकी बेटी का गला दबा रहा था. वह बेटी के पास पहुंचता, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. उसने रिपोर्ट में उसकी बेटी के साथ रेप और हत्या का मामला दर्ज कराया.

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